ब्राह्मण धर्मशाला में आयोजित श्रीमद भागवत कथा के दौरान भारी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे
City24news@ज्योति खंडेलवाल
पलवल। कथा से पूर्व श्रीलक्ष्मीनारायण महायज्ञ किया गया। कथा व्यास वासुदेव कृष्ण महाराज ने कथा के तीसरे दिन बताया कि सतयुग के मध्य में भगवान विष्णु ने कपिलदेव के रूप में अवतार लिया था। इस अवतार में उन्होंने संसार को भक्ति मार्ग और सांख्य योग का ज्ञान प्रदान किया।
वासुदेव महाराज ने कहा कि ईश्वर हर युग में हर काल में हर स्थान पर रहते हैं। ईश्वर का कभी अंत नहीं होता। सनातन धर्म ही सत्य है। सभी धर्मों का उदय सनातन धर्म से ही हुआ है। सनातन धर्म में यज्ञ का विशेष महत्व होता है। यज्ञ लोक-कल्याण और सुख समृद्धि के लिए किए जाते हैं। जो भक्त यज्ञ में शामिल होता और नित्य श्रद्धा और भक्ति से यज्ञ करता है, उसके घर में स्थायी रूप से शांति उत्पन्न होती है और वैभव की कोई कमी नहीं होती है। उन्होंने कहा कि व्यक्ति को नित्य पांच सूक्ष्म यज्ञ करने चाहिए ,जिससे अनजाने में किए हुए पाप समाप्त हो जाते हैं। इन पांच यज्ञों में सर्वप्रथम घर मे जब भी भोजन प्रसाद बनाएं तो सबसे पहली रोटी गौ माता के लिए निकालकर दें और अंतिम रोटी को कुत्ते को खिलाएं। घर की मुंडेर या छत पर एक पात्र में जल भरकर रखना चाहिए। घर के दरवाजे पर भिक्षाटन के लिए आए हुए को भिक्षा अवश्य देनी चाहिए। उसे कभी अपने दरवाजे से खाली हाथ नहीं भेजना चाहिए। मछलियों के लिए आटे की गोली डालें, चीटियों के लिए सूखे आटे में थोड़ी शक्कर या मीठा मिलाकर डालना चाहिए। गौ सेवा, ब्राह्मण सेवा और संत सेवा करनी चाहिए। ऐसा करने से समाज में वर्चस्व उत्पन्न होता है।