कांवड यात्रा पर निकला हरियाणा का युवक सडक हादसे में मरकर भी हो गया अमर

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-एम्स ऋषिकेश में दिल-आंख सहित शरीर के अंग दान कर छह व्यक्तियों को दिया जीवनदान
-मृतक सचिन को एम्स ऋषिकेश ने पहला मृतक अंगदान व्यक्ति घोषित कर जगह-जगह लगाए हैं प्रेरणादायी होर्डिंगस बोर्ड  
City24news/सुनील दीक्षित
कनीना | हरियाणा में महेंद्रगढ जिले के कनीना सब डिवीजन के गांव गुढा निवासी 25 वर्षीय युवक सचिन कुमार अपने साथियों के साथ जुलाई 2024 में कांवड यात्रा पर गया था। सचिन के पिता सतीश कुमार ने बताया कि 22 जुलाई 2024 को कांवड लाते समय गुरूकुल नारसन के समीप एक वाहन ने उन्हें टक्कर मार दी। जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गया। पुलिस ने उसे नजदीकी अस्पताल में उपचार दिलाने के लिए भेजा लेकिन एंबुलेंस चालक ने उसे देहरादून के निजी अस्पताल में दाखिल करा दिया। बाद में वहां पंहुचे परिजनों ने उसे एम्स ऋषिकेश रैफर कराया। जहां चिकित्सकों ने गहन जांच के बाद एक अगस्त को उसे ब्रेन डेड घोषित कर दिया। परिजनों की सहमति के बाद सचिन के भाई पंकज ने सचिन के अंगदान करने का निर्णय लिया गया। चिकित्सकों ने बडी बुद्धिमता से शल्य चिकित्सा के जरिए सीमित समय में उसका दिल, आखें तथा अन्य अंग दूसरे करीब छह जरूरतमंद मरीजों को प्रत्यारोपित दिए। हालांकि सचिन आज इस दुनिया में नहीं है लेकिन उसका दिल आज भी धडक रहा है, उसकी आंखे संसार को देख रही हैं। वह मर कर भी अमर हो गया है। एम्स ऋषिकेश की ओर से सचिन को पहला मृतक अंग दान व्यक्ति घोषित किया गया है। जिसके होर्डिंगस बोर्ड हरिद्वार-ऋषिकेश से लेकर लगभग समूचे उतराखंड में प्रमुख स्थानों पर लगाए गए हैं। जो आमजन को प्रेरणा दे रहे हैं। उसके परिवार में माता-पिता, भाई-बहन, पत्नी व दो बच्चे आज भी उसे जीवित समझ रहे हैं। सतीश कुमार ने बताया कि आगामी 13 अगस्त को मनाए जाने वाले विश्व अंगदान दिवस के मौके पर आयोजित होने वाले समारोह में शामिल होने के लिए ण्म्स ऋषिकेश की ओर से बुलावा मिला है।
बाॅक्स न्यूज
उतराखंड के ऋषिकेश में 2012 में संचालित हुआ था एम्स
उतराखंड की वादियों के बीच प्राकृतिक सुंदरता और पवित्र गंगा नदी के किनारे स्थित अखिल भारतीय चिकित्सा विज्ञान संस्थान ऋषिकेश रणनीतिक रूप से स्वास्थ्य सेवा, अनुसंधान और प्रशिक्षण के क्षेत्र में विख्यात रहा है। कार्यकारी निदेशक एवं सीइओ मीनू सिंह ने बताया कि एम्स की स्थापना प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के पहले चरण के तहत वर्ष 2012 में की गई थी। एमबीबीएस और बीएससी नर्सिंग के छात्रों के पहले बैच ने 2012 में दाखिला लिया था तथा 2013 के मध्य में आउट पेशेंट और इन-पेशेंट सेवाएं शुरू की गई थी। वर्तमान समय में एमबीबीएस, बीएससी नर्सिंग, एमएससी नर्सिंग, एमडी,एमएस, एमडीएस, एमसीएच, डीएम एमसीएच, पीडीसीसी, एमपीएच, मेडिकल एमएससी, पीएचडी और कई चिकित्सा और गठबंधन जैसे विभिन्न पाठ्यक्रमों का सुचारू रूप से संचालन हो रहा है। 2013 में 200 बेड से शुरू हुए इस संस्थान में अब 960 बेड क्षमता है। वर्षभर 24 घंटे आपातकालीन सेवाएं संचालित की जा रही हैं। अलग -अलग आघात सर्जरी और आपातकालीन चिकित्सा सेवाओं में द्विभाजित की गई हैं। कागज-आधारित प्रणाली को सीमित करने के लिए ई-गवर्नेंस सिस्टम के माध्यम से आधिकारिक काम को ई-गवर्नेंस सिस्टम के माध्यम से ट्रैक किया जाता है। 2012 से ही ये संस्थान अपने कार्य क्षेत्र में बुलंदिया छू रहा है।
कनीना-अंगदान करने वाले युवक सचिन गुढा के उतराखंड में प्रमुख स्थानों पर लगाए गए प्रेरणा दायी होर्डिंग बोर्ड। 

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