संत रविदास जयंति पर बुधवार को रसलूपुर में आयोजित किया गया समारोह
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City24news/सुनील दीक्षित
कनीना | भारत देश में आदिकाल से संत, माहपुरुषों व ऋषियों की ओर से सनातन धर्म के लिए कठौर तपस्या की है। जिसे लेकर उनका नाम बडे ही सत्कार के लिए लिया जाता है। मोनु रसूलपुर ने बुधवार को संत गुरु रविदास की जयंति पर आयोजित समारोह में उन्होंने कहा कि उनके दोहे और चैपाई मानव जीवन का मार्गदर्शन करने के लिए काफी है।
रविदास ने किरू जाति-जाति में जाति हैं, जो केतन के पात, रैदास मनुष ना जुड़ सके जब तक जाति न जात। वे बताते हैं कि जिस प्रकार केले के तने को छिला जाए तो पत्ते के नीचे पत्ता फिर पत्ते के नीचे पत्ता और अंत में कुछ नही निकलता है और पूरा पेड़ खत्म हो जाता है। ठीक उसी प्रकार इंसान भी जातियों में बांट दिया गया है। इन जातियों के विभाजन से इन्सान तो अलग-अलग बंट जाता है और अंत में इंसान भी खत्म हो जाते हैं। लेकिन यह जाति खत्म नही होती है।
हरि-सा हीरा छांड कै, करै आन की आस, ते नर जमपुर जाहिंगे, सत भाषै रविदास।
रविदास जी बताते हैं कि हीरे से बहुमूल्य हरि यानि भगवान हैं, उनको छोड़कर अन्य चीजो की आशा करने वालों को अवश्य ही नर्क जाना पड़ता है। संत रविदास जी के वचनों के अनुसार प्रभु की भक्ति को छोडकर इधर-उधर भटकना व्यर्थ है। करम बंधन में बन्ध रहियो, फल की ना तज्जियो आस, कर्म मानुष का धर्म है, सत् भाखै रविदास। इस मौके पर ग्रामीण व समिति के पदाधिकारी उपस्थित थे।