राष्ट्रव्यापी हड़ताल में कर्मचारी बढ़ चढ़ कर लेंगे भाग
City24news@रोबिन माथुर
हथीन | किसान मजदूर व कर्मचारियों के लंबित मुद्दों के समाधान की मांग को लेकर 16 फरवरी को संयुक्त किसान मोर्चा व केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के आह्वान पर होने वाली राष्ट्रव्यापी हड़ताल में जिले के किसान कर्मचारी व स्कीम वर्कर तथा ग्रामीण सफ़ाई कर्मचारी बढ़ चढ़ कर भाग लेंगे।हड़ताल की सफलता की तैयारीयों को लेकर आज मोटरसाइकिल जत्था लेकर पब्लिक हेल्थ, बिजली, स्वास्थ्य विभाग, आई.टी.आई, पशुपालन विभाग, सिचाई विभाग, रोडवेज, वन विभाग, कृषि विभाग, पंचायतीराज विभाग आदि विभागों में पहुंचे और राष्ट्रव्यापी हड़ताल में शामिल होने बारे आहावन किया। मोटरसाइकिल जत्थे का नेतृत्व सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के जिला प्रधान राजेश शर्मा ने किया। सर्व कर्मचारी संघ जिलाध्यक्ष राजेश शर्मा ने कहा कि
मोटरसाइकिल रैली के द्वारा हड़ताल की सफलता के लिए सभी विभागों में जनजागरण
विशेष रूप से शामिल रहे। संयुक्त बैठक में 16 फरवरी को केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के आह्वान पर होने वाली राष्ट्रव्यापी हड़ताल का समर्थन करते हुए फैसला किया कि जिले के किसान भी मजदूर व कर्मचारियों के साथ सडक़ पर उतरकर प्रदर्शन में भाग लेंगे।
बैठक में बोलते हुए जिला सचिव योगेश शर्मा, ब्लाक पलवल सचिव हरकेश सौरोत, मैकेनिकल वर्करज यूनियन राज्य उपप्रधान राकेश तंवर, पब्लिक हेल्थ ब्रांच प्रधान बालकिशन शर्मा,उपप्रधान शिवराम कूंडु, नगर पालिका जिलाध्यक्ष कन्हैयालाल ठाकुर, इकाई प्रधान सतवीर, स्वास्थ्य विभाग सरजीत ने कहा कि आज केंद्र व राज्य सरकार की जनविरोधी नीतियों के कारण किसान मजदूर व कर्मचारियों की भारी दुर्दशा हो रही है। उन्होंने कहा कि सरकार कमेरे वर्ग के ऊपर चारों तरफ़ से हमला बोल रही है। सरकार किसानों की फसलों की खरीद पर न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी देने के अपने वायदे से पीछे हट रही है। जबकि किसानों के लिए इस्तेमाल होने वाले बीज खाद बिजली व कृषि उपकरण लगातार महंगे होते जा रहे हैं। मजदूरों के ट्रेड यूनियन अधिकारों को खत्म किया जा रहा है तथा उनके हितों के लिए पहले से बने श्रम कानूनों को समाप्त कर नए चार लेबर कोड बनने से मजदूरों को दोबारा गुलाम बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सरकारी क्षेत्र का निजीकरण करने के चलते पढ़े लिखे बेरोजगार युवाओं के लिए नौकरी के रास्ते बंद किए जा रहे हैं जिससे देश व प्रदेश में रोजगार का भारी संकट पैदा हो गया है।ऊपर से बेतहाशा बढ़ रही महंगाई ने जनता की कमर तोड़ कर रख दी है। कोविडकाल में नौकरी से हटाए गए मजदूरों के परिवार भारी आर्थिक संकट झेल रहे हैं।उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार जनहित के मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए तरह तरह के षड्यंत्र करती है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा कृषि क्षेत्र को आवंटित बजट में से लगभग एक लाख करोड़ रुपये बिना खर्च किए केंद्रीय वित्त मंत्रालय को वापिस कर दिए। यूनियन नेताओं ने सरकार द्वारा यूरिया खाद के बोरा का वजन पहले 50 किलो से 45 किलो किया तथा अब 45 किलो से घटाकर 40 किलो कर दिया है तथा नाइट्रोजन की मात्रा भी कम कर दी है। इस फ़ैसले से किसान की पैदावार पर भी विपरीत असर पड़ेगा व खर्चा भी ज्यादा आएगा।