कन्या माध्यमिक विद्यालय में मनाया महर्षि दयानंद का प्रकाश पर्व
City24news@रोबिन माथुर
हथीन | राजकीय कन्या माध्यमिक विद्यालय मंडकोला में सोमवार को महर्षि दयानंद का प्रकाश पर्व मनाया गया। विद्यालय में आयोजित कार्यक्रम में महर्षि दयानंद द्वारा लोगों के लिए किए गए कार्यों का व्याख्यान विद्यार्थियों के समक्ष किया गया। कार्यक्रम में आचार्य राजेश ने कहा महर्षि दयानंद युग पुरुष नहीं बल्कि युग युग के पुरुष थे। जिन्होंने वेदों को जर्मनी से लाकर भारत में पुन स्थापित किया। ऐसे नवजागरण के पुरोधा महर्षि दयानंद रहे। उन्होंने वैदिक धर्म के प्रचार प्रसार लेखन में अपना जीवन लगाया। आर्य समाज की स्थापना करके पूरे विश्व को आर्य बनो का संदेश दिया। आचार्य राजेश ने बताया कि महर्षि दयानंद ने सती प्रथा, बाल विवाह, विधवा पुनर्विवाह, जाति प्रथा, शुद्धिकरण के लिए अनेकों आंदोलन चलाए। स्वराज शब्द का सबसे पहले प्रयोग महर्षि दयानंद ने किया। जिनमें वह सफल रहे। वे धार्मिक आडंबर अंधविश्वास और पाखंडवाद के हमेशा घोर विरोधी रहे। उन्होंने बताया कि स्वामी दयानंद से प्रेरित व्यक्ति बाल गंगाधर तिलक, लाला लाजपत राय, स्वामी श्रद्धानंद, पंडित लेखराम, राम प्रसाद बिस्मिल, ठाकुर रोशन सिंह, लाला हरदयाल सिंह, लाला हंसराज, विनायक दामोदर सावरकर, मैडम कामा, चौधरी छोटू राम, पंडित गुरुदत्त विद्यार्थी, मदनलाल ढींगरा हजारों देशभक्त स्वतंत्रता संग्राम में योगदान दिया। महर्षि दयानंद के बारे में बताते हुए आचार्य राजेश ने कहा महर्षि दयानंद ने सत्यार्थ प्रकाश नामक ग्रंथ देखकर लोगों का जीवन का उदय किया। भारत में वेदों के प्रचार प्रसार के लिए आर्य समाज की महत्वपूर्ण भूमिका रही। उन्होंने बताया कि आर्य समाज को संप्रदाय मजहब या धर्म नहीं है वह दुनिया को मनुष्य (आर्य बनों) बनों का संदेश देता है। ऐसे क्रांतिकारीयों का संगठन देश के लिए अच्छे कार्य करता रहा है। उनका एक सपना था कि हिंदी से पूरे राष्ट्र को एक सूत्र पिरोया जा सकता है। स्कूल के हेड मास्टर राजकुमार खटाना ने बताया कि महर्षि दयानंद ने आर्य समाज की स्थापना करके पांच महायज्ञ और नारी शिक्षा के उत्थान के लिए अनेक गुरुकुल खुलवाए और शुद्ध और नारी को वेद पढ़ने का अधिकार स्थापित किया। इस अवसर पर प्राइमरी हेडमास्टर करण सिंह, सूबे सिंह, अंजू, राजरानी, इंदु, सुषमा, मीना, सीमा।