आल इंडिया किसान खेत मजदूर संगठन ने हस्ताक्षर अभियान चलाया

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आगामी 16 फरवरी को राष्ट्रव्यापी औधोगिक हड़ताल व ग्रामीण बन्द को सफल बनाएं : छाजूराम रावत

सिटी 24 न्यूज/अशोक कौशिक 
नारनौल ।‌ संयुक्त किसान मोर्चा के प्रमुख घटक किसान संगठन आल इंडिया किसान खेत मजदूर संगठन ने राष्ट्रपति को सौंपे जाने वाले जन ज्ञापन के समर्थन में आज निजामपुर क्षेत्र के गांव बसीरपुर में हस्ताक्षर अभियान चलाया। जिसमें लोगों ने उत्साह से भाग लिया व जन ज्ञापन की मांगों का पुरजोर समर्थन किया । जनहित की मांगों को लेकर आम जन गण को जागरूक करने वाले इस अभियान को सराहनीय पहल बताया।

इस अवसर पर एआईयूटीयूसी के जिला सचिव छाजूराम रावत ने बताया कि केन्द्रीय ट्रेड यूनियंस के आह्वान पर केन्द्र सरकार व राज्य सरकार की श्रमिक- कर्मचारी विरोधी नीतियों के खिलाफ आगामी 16 फरवरी को 

राष्ट्रव्यापी औद्योगिक हड़ताल व ग्रामीण बन्द को सफल किया जाएगा । 16 फरवरी का ग्रामीण बन्द मजदूर विरोधी श्रम सुधारों, चार लेबर कोड को वापस लेने, स्कीम वर्कर्स को श्रमिक का दर्जा देने, मनरेगा मजदूरों को साल में 200 दिन का काम व 600 रूपए प्रतिदिन मजदूरी देने, विभिन्न क्षेत्र में मजदूरी करने वाले मजदूरों को कम से कम रूपए 12000‌ मासिक पेंशन देने, संगठित व असंगठित श्रेत्र में कार्यरत सभी मजदूरों को पेंशन व सामाजिक सुरक्षा के दायरे में लेने, आउटसोर्सिंग, ठेका प्रथा पर रोक लगाने,सभी कच्चे कर्मचारियों को पक्का करने, शिक्षा, स्वास्थ्य, पानी, बिजली, परिवहन जैसी बुनियादी नागरिक सुविधाओं के निजीकरण पर रोक लगाने, पुरानी पेंशन बहाल करने, स्वीकृत पदों पर स्थायी भर्ती करने, नई नौकरियां सजृन करने, आवश्यक वस्तुओं की बढ़ती कीमतों पर रोक लगाने, गरीबों के लिए आवश्यक वस्तुएं सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से सस्ती दर पर उपलब्ध कराने, सार्वजनिक उपक्रमों को बेचने, निजीकरण पर रोक लगाने जैसे मुद्दों को लेकर किया जा रहा है।

इस अवसर पर किसान संगठन एआईकेकेएम के जिला सचिव डॉ व्रतपाल सिंह ने कहा कि एमएसपी गारंटी कानून बनाने से केन्द्र सरकार मुकर गई है। बिजली संशोधन बिल 2022 को सरकार ने संसद में दोबारा पेश कर रखा है तथा बिजली को पूरी तरह से बड़े-बड़े पूंजीपतियों के कंट्रोल में देने को तैयार है। बिजली प्राइवेट कंपनियों के कंट्रोल में आने पर सभी सब्सिडियां खत्म हो जाएंगी। इससे सिंचाई बहुत महंगी हो जाएगी, जिससे खेती की लागत बहुत ज्यादा बढ़ जाएगी और यह गरीब उपभोक्ताओं की पहुंच से बाहर हो जाएगी।

उन्होंने कहा कि खाद, बीज, कीटनाशक दवाईयां तथा डीजल हर साल महंगे हो जाते हैं, जिससे खेती में लागत बढ़ जाती है, प्राकृतिक आपदा आने से फसलें बर्बाद हो जाती हैं, मुआवजा नहीं मिलता तथा फसल के टाइम भाव पिट जाते हैं, पूरे दाम नहीं मिलते। इन कारणों से किसान कर्ज के जाल में फंस जाते हैं और आत्महत्या तक करने को मजबूर होते हैं।

केन्द्र व राज्य सरकारों द्वारा सरकारी विभागों शिक्षा, इलाज, रेलवे, बिजली आदि को प्राइवेट कंपनियों के हवाले किया जा रहा है तथा पक्की नौकरियां खत्म की जा रही हैं। उसकी जगह मामूली तन्खवाह पर केवल दो-तीन साल के लिए कौशल रोजगार के तहत कच्ची नौकरियां दी जा रही हैं। इससे सीमांत किसानों तथा भूमिहीन ग्रामीण गरीबों के बच्चों के लिए रोजगार का कोई अवसर नहीं रहा।महंगाई तथा बेरोजगारी ने हम सबका जीना दुभर कर दिया है। अब मुक्ति का एकमात्र रास्ता आंदोलन ही बचा है।

डॉ व्रतपाल सिंह ने सरकार की किसान विरोधी मजदूर विरोधी तथा पूंजीपतियों के हित में बनाई जाने वाली जनविरोधी नीतियों के खिलाफ जोरदार आंदोलन निर्मित करने में हस्ताक्षर अभियान में शामिल होने की अपील की । 

इस अवसर पर छाजूराम रावत ने कहा कि जनता के खून पसीने से खड़े किए गए सार्वजनिक उपक्रमों को कौड़ियों के दाम बेचा जा रहा है। लाखों खाली पद पड़े होने के बावजूद स्थायी नौकरियों पर ताले लगे हैं।

इस अभियान मे रामस्वरूप, सुबे सिंह, भगवान सिंह, शिवलाल, ओमप्रकाश, ब्रह्मप्रकाश, भगवान सिंह, रती राम, होशियार सिंह, राजेन्द्र सिंह, रमेश सहित अनेक गणमान्य लोग शामिल रहे।

जन ज्ञापन के मुद्दे:

1 सभी फसलों के लिए लागत से डेढ़ गुना एमएसपी की गारंटी का कानून बनाओ, भावांतर भरपाई योजना रद्द करो।

2 राशन की सरकारी दुकान खोलकर तमाम ग्रामीण व शहरी गरीबों को सस्ते रेट पर राशन दो।

3 बुढ़ापा पेंशन ₹10000 महीना लागू करो।

4 मनरेगा का बजट बढ़ाकर सीमांत किसानों तथा खेत मजदूर को पूरे साल काम दो तथा ₹600 दिहाड़ी दो।

5 बिजली बिल 2022 रद्द करो ( बिजली को प्राइवेट हाथों में देना बंद करो) प्रीपेड मीटर लगाने पर रोक लगाओ।

6 संपूर्ण कर्जा मुक्ति लागू करो अर्थात सभी किसानों तथा खेत मजदूरों के कर्ज खत्म करो।

7  पूरे प्रदेश में सिंचाई का सही इंतजाम करो।

8  बर्बाद हुई फसलों का ₹50,000 प्रति एकड़ मुआवजा दो। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से प्राइवेट कंपनियों को बाहर करो। मुआवजे के लिए पूरे गांव को इकाई न मानकर एक एकड़ को इकाई माना जाए। 

9  खाद,बीज,डीजल तथा कीटनाशक सस्ते करो।

10 कौड़ियों के दाम पर कृषि भूमि का अधिग्रहण बंद करो।

11 आवारा पशुओं से फसलों की सुरक्षा का प्रबंध करो। फसलों के नुकसान का सरकार मुआवजा दे।

12 शिक्षा के निजीकरण, व्यापारीकरण तथा भगवाकरण पर रोक लगाओ।

13 मुफ्त इलाज तथा पढ़ाई का प्रबंध करो।

14 कौशल रोजगार स्कीम रद्द करो, इसकी जगह पक्की नौकरी दो और जब तक नौकरी ना मिले तब तक बेरोजगारी भत्ता दो।

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