आशा वर्कर दोबारा शुरू कर सकती हैं आंदोलन

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26 जनवरी को ट्रैक्टर व वाहन रैली में बढ़चढ़ कर भाग लेंगी आशा वर्कर 

city24news@रोबिन माथुर
हथीन | मुख्यमंत्री द्वारा मानी गई मांगों को सरकार व स्वास्थ्य विभाग द्वारा लटकाने से नाराज़ प्रदेश की आशा वर्कर दोबारा आंदोलन शुरू कर सकती हैं। आशा वर्कर्स यूनियन की जिला प्रधान सरोज की अध्यक्षता में आयोजित ज़िला कमेटी की एक बैठक में यह घोषणा की गई। यूनियन की ज़िला सचिव जगबती डागर द्वारा संचालित बैठक में सर्वसम्मति से फैसला किया गया कि 26 जनवरी को संयुक्त किसान मोर्चा व केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के आह्वान पर होने वाली ट्रैक्टर व वाहन रैली में आशा वर्कर भी बढ़चढ़ कर भाग लेंगी तथा 16 फरवरी को होने वाली हड़ताल में भी मज़बूती के साथ भागीदारी की जाएगी।जिला कमेटी की बैठक में सीआईटीयू के नेता रमेशचन्द व उर्मिला रावत  विशेष रूप से शामिल रहे। जिला कमेटी की बैठक में उपस्थित पदाधिकारियों को सम्बोधित करते हुए यूनियन की राज्य उपप्रधान रामरति चौहान व सहसचिव सुधा ने कहा कि प्रदेश की आशाओं ने स्वास्थ्य की तमाम सुविधाओं को बड़ी सफलता के साथ समाज के अंतिम छोर के व्यक्ति तक पहुंचाने का सराहनीय काम किया है। इस कार्यों के पूरा करने में आशा वर्करों ने भारी बोझ उठाते हुए बहुत पीड़ा सहन की है लेकिन आशा वर्करों द्वारा किए जा रहे काम के हिसाब से उनके मानदेय व सुविधाओं में बढ़ोतरी नहीं की जा रही है। यूनियन नेताओं ने कहा कि 73 दिन की सफल हड़ताल के बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री के साथ हुए समझौते को लगातार वायदा करने के बावजूद लटकाया जा रहा है।समझौते के लटकाने तथा आशा पे एप के बंद होने से प्रदेश की आशाओं के मानदेय का भुगतान नहीं हो पा रहा है जिसके कारण आशा वर्कर के परिवार भारी आर्थिक संकट झेल रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने आशा वर्कर की आर्थिक स्थिति को सुधारने का कोई प्रयास नहीं किया। उन्होंने बताया जिले कि आशा वर्कर रिटायरमेंट के समय ग्रेट्युटी और पैंशन की मांग को लेकर 26 जनवरी को संयुक्त किसान मोर्चा व केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के तत्वावधान में अटोंहा मोड़ पलवल पर होने वाली ट्रैक्टर व वाहन रैली में बढ़चढ़ कर भाग लेंगी।

यूनियन की ज़िला प्रधान सरोज व सचिव जगबती डागर ने मांग की कि प्रदेश की आशा वर्करों को 26 हजार न्यूनतम वेतन तथा उन्हें हैल्थ कर्मचारी का दर्जा दिया जाए। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा परियोजनाओं के निजीकरण के प्रयासों पर रोक लगाई जाए तथा परियोजनाओं के सुचारू संचालन के लिए पर्याप्त बजट का आवंटन किया जाए जिससे इन परियोजनाओं को और अधिक मजबूत बनाया जा सके। उन्होंने कहा कि सरकार देश की मेहनतकश जनता पर लगातार हमला बोल रही है तथा जनता की रोज़ी रोटी पर हमले बोल रही है। बैठक में यूनियन नेता बबली सैनी, राजन, बबली, राजबाला, पूजा, ममता, शिक्षा, रोशनी, मंजूबाला, अमला, कुसुम व पपीता ने भी भाग लिया।

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