राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा जिले में चलाया जा रहा राष्ट्रीय फलोरोसिस रोकथाम एवं नियंत्रण कार्यक्रम 

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city24news@अनिल मोहनियां

नूंह | जिले के गांवों में पीने के पानी में फलोराइड की मात्रा तय मानकों से अधिक होने के कारण जिले में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा राष्ट्रीय फलोरोसिस रोकथाम एवं नियंत्रण कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इसमें मुख्य रूप से फलोरोसिस की टीम द्वारा गांव -गांव जाकर तथा स्कूलों में पढऩे वाले बच्चों के सर्वे द्वारा दांतों और हड्डियों की जांच की जा रही है। पीने के पानी में फलोराइड की अधिकता होने के कारण छोटे बच्चों और व्यक्तियों में दांतों में पीलापन तथा हड्डियों में टेढापन (विकृति) बहुत ही सामान्य है। जिले की फलोरोसिस टीम द्वारा स्कूलों तथा गांवों में जाकर ऐसे रोगियों की जॉच की जा रही है तथा सामान्य मरीजों की मौके पर ही उपचार तथा परामर्श दिया जा रहा है, तथा जटिल मरीजों के उपचार के लिए सिविल अस्पताल मांडीखेड़ा लाया जा रहा है तथा अधिक जटिल मरीजों को मेडिकल कालेज नल्हड़ में इलाज किया जाता है। सिविल सर्जन डॉ राजीव बातिश ने बताया कि फलोरोसिस विभाग द्वारा दंत्य फलोरोसिस ग्रस्त लोंगों को फलोराइड मुक्त टुथपेस्ट वितरित की गई। अधिक जटिल मरीजों को दंत रोग विभाग द्वारा जरूरी इलाज किया गया। फलोरोसिस विभाग के नोडल अधिकारी डा. हेमन्त कुमार ने बताया की पीने के पानी में अधिक फलोराइड होने की वजह से उत्पन्न हुई फलोरोसिस बीमारी के मुख्य लक्षणों में उल्टी आना, भूख कम लगना, पेट में दर्द होना, गैस बनना, पेट फूलना, मांसपेसियों तथा जोंडों में दर्द होना, लम्बी दूरी तक चलने में असमर्थ होना, शामिल हैं।

जिला में फलोरोसिस बीमारी से बचाव के लिए अपने पीने के पानी की जांच कमरा नंबर 46 सिविल अस्पताल मांडीखेड़ा में कराएं तथा बीमारी से बचाव के लिए भरपूर मात्रा में फल, हरी सब्जियां, दूध तथा दुग्ध उत्पादन वाला संतुलित भोजन करें तथा उच्च फलोराइड युक्त भोजन जैसे काला नमक, सुपारी तम्बाकू तथा फलोराइड युक्त टूथपेस्ट का इस्तेमाल करने से बचें, और अधिक परामर्श के लिए फलोरोसिस विभाग सिविल अस्पताल मांडीखेडा में सम्पर्क करें।

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