अनुसूचित जाति के व्यक्तियों को मछली पालन हेतु दी जा रही है वित्तीय सहायता : उपायुक्त अखिल पिलानी

0

– न्यूनतम 5 वर्ष की अवधि के लिए दिए जाते हैं तालाब पट्टे पर
– प्रथम वर्ष में वास्तविक पट्टा राशि का 50 प्रतिशत या अधिकतम 50,000 रुपये प्रति हेक्टेयर (जो भी कम हो) अनुदान के रूप में दिया जाएगा
– द्वितीय एवं आगामी वर्षों में वास्तविक पट्टा राशि का 40 प्रतिशत या अधिकतम 40,000 रुपये प्रति हेक्टेयर (जो भी कम हो)
अनुदान के रूप में प्रदान किया जाएगा
City24News/अनिल मोहनिया

नूंह | उपायुक्त अखिल पिलानी ने बताया कि हरियाणा सरकार द्वारा अनुसूचित जाति वर्ग के व्यक्तियों को स्वरोजगार से जोड़ने तथा उनकी आय में वृद्धि करने के उद्देश्य से मछली पालन के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही है। इस योजना के अंतर्गत पात्र लाभार्थियों को पट्टे पर तालाब लेकर मछली पालन करने के लिए अनुदान दिया जाता है।

उपायुक्त ने जानकारी देते हुए बताया कि योजना के तहत प्रथम वर्ष पट्टे पर अनुदान का प्रावधान है। मछली पालन के लिए ग्राम पंचायतों द्वारा बोली के माध्यम से न्यूनतम 5 वर्ष की अवधि के लिए तालाब पट्टे पर दिए जाते हैं। प्रथम वर्ष में वास्तविक पट्टा राशि का 50 प्रतिशत या अधिकतम 50,000 रुपये प्रति हेक्टेयर (जो भी कम हो) अनुदान के रूप में दिया जाएगा। यह अनुदान केवल पंचायत तालाबों एवं सरकारी जलाशयों पर ही मान्य होगा। अनुसूचित जाति के एक मछुआरे के लिए अधिकतम सीमा 4.00 हेक्टेयर निर्धारित की गई है।

उन्होंने बताया कि द्वितीय एवं आगामी वर्षों के लिए भी अनुदान का प्रावधान है। इस मद के अंतर्गत द्वितीय एवं आगामी वर्षों में वास्तविक पट्टा राशि का 40 प्रतिशत या अधिकतम 40,000 रुपये प्रति हेक्टेयर (जो भी कम हो) अनुदान के रूप में प्रदान किया जाएगा। यह सहायता भी केवल पंचायत तालाबों एवं सरकारी जलाशयों पर लागू होगी।

उपायुक्त अखिल पिलानी ने कहा कि यह योजना अनुसूचित जाति वर्ग के मछुआरों के लिए आर्थिक रूप से सशक्त बनने का एक प्रभावी माध्यम है। उन्होंने पात्र व्यक्तियों से आह्वान किया कि वे इस योजना का अधिक से अधिक लाभ उठाएं तथा मछली पालन को आय का स्थायी स्रोत बनाएं। योजना से संबंधित अधिक जानकारी के लिए इच्छुक व्यक्ति जिला मत्स्य अधिकारी कार्यालय से संपर्क कर सकते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *