बजाज पुणे ग्रैंड टूर ने राष्ट्रीय राजधानी में अपनी विरासत-प्रेरित ट्रॉफी का अनावरण किया

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City24News/ओम यादव
नई दिल्ली
| पुणे के प्रसिद्ध तांबट आळी समुदाय (तांबे के कारीगरों) द्वारा निर्मित यह झिलमिलाती ट्रॉफी भारत की आत्मा, व्यापकता और महत्वाकांक्षा का प्रतीक है।

नई दिल्ली, 16 दिसंबर 2025: भारत की पहली UCI 2.2 मल्टी-स्टेज रोड साइक्लिंग रेस बजाज पुणे ग्रैंड टूर 2026 ने आज नई दिल्ली में आयोजित एक गरिमामय समारोह में अपनी विरासत-प्रेरित ट्रॉफी का अनावरण किया।

राष्ट्रीय राजधानी में आयोजित इस कार्यक्रम में केंद्रीय युवा एवं खेल मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया और भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) की अध्यक्ष श्रीमती पी. टी. उषा की अगुवाई में पुणे की शान कही जाने वाली इस ट्रॉफी का अनावरण किया गया। इस अवसर पर श्री पंकज सिंह अध्यक्ष साइक्लिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (CFI), श्री जितेंद्र डूडी (IAS) जिलाधिकारी पुणे, श्री ओंकार सिंह चेयरमैन CFI, और श्री मनिंदर पाल सिंह, महासचिव CFI भी उपस्थित थे।

पुणे के प्रसिद्ध तांबे के कारीगरों, जिन्हें तांबट आळी समुदाय के नाम से जाना जाता है के द्वारा निर्मित यह पुणे ग्रैंड टूर ट्रॉफी नए भारत की आत्मा, विस्तार और नई ऊँचाइयों को छूने की महत्वाकांक्षा का प्रतीक है। अगले 15 दिनों में यह झिलमिलाती ट्रॉफी राजस्थान, गुजरात, तेलंगाना, तमिलनाडु और महाराष्ट्र राज्यों का भ्रमण करेगी, और यह संदेश देगी कि भारत गर्व, महत्वाकांक्षा और विरासत से जुड़ी एक रेस के साथ वैश्विक साइक्लिंग मानचित्र पर अपनी जगह बनाने के लिए पूरी तरह तैयार है।

बजाज पुणे ग्रैंड टूर एक चार-दिवसीय, चार-चरणों वाली 437 किलोमीटर लंबी कॉन्टिनेंटल टीम पुरुष रोड रेस है, जिसमें 19 से 23 जनवरी 2026 के बीच 26 देशों के 150 से अधिक पेशेवर अंतरराष्ट्रीय साइक्लिस्टों के हिस्सा लेने की उम्मीद है। भारत की पहली UCI 2.2 श्रेणी की इस ऐतिहासिक रेस का आयोजन महाराष्ट्र सरकार, पुणे जिला प्रशासन और साइक्लिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया के संयुक्त तत्वावधान में किया जा रहा है।

विशेष रूप से डिज़ाइन की गई ट्रॉफी

इसका सार, विरासत और प्रेरणा है।

कुछ रचनाएँ अपने आकार से कहीं अधिक अर्थ रखती हैं, और पुणे ग्रैंड टूर की ट्रॉफी उन्हीं में से एक है। यह केवल तांबे से गढ़ी गई एक वस्तु नहीं है; इसमें एक खेल की धड़कन, गौरव के लिए संघर्ष करने वाले खिलाड़ियों का
जज़्बा और उस भूमि की स्मृति समाहित है जहाँ से इसका जन्म हुआ है। पुणे ग्रैंड टूर की ट्रॉफी को इन्हीं भावनाओं को ध्यान में रखकर कल्पित किया गया है।

इस ट्रॉफी की आकृति रेस मार्ग पर स्थित आठ किलों से प्रेरित है, जो रणनीति, दृढ़ता और छत्रपति शिवाजी महाराज की विरासत की याद दिलाते हैं। ये किले केवल भौगोलिक प्रतीक नहीं हैं, बल्कि उस आत्मा का प्रतिनिधित्व करते हैं जिसने पुणे की पहचान को आकार दिया है। उनका प्रभाव ट्रॉफी की आठ-आयामी संरचना और आठ-मुखी मुद्रा में स्पष्ट रूप से दिखाई देता है, जो शहर की विरासत और उसकी कहानियों को एक शांत श्रद्धांजलि है।

ट्रॉफी के केंद्र में स्थित घूमती हुई, वलयाकार संरचना मानो भीतर खींची जा रही साँस की तरह प्रतीत होती है, जो एक वेलोड्रोम के आकार को प्रतिबिंबित करती है। जिन्होंने भी साइक्लिस्टों को यहाँ प्रशिक्षण करते देखा है, वे उस लय को भली-भांति जानते हैं| गति की क्रमिक वृद्धि, अनुशासन, और बार-बार उसी रेखा पर लौटने की प्रक्रिया, जब तक कि वह गति स्वाभाविक न बन जाए। यह आंतरिक भंवर उसी प्रक्रिया को समर्पित है, उस निजी संघर्ष को, जिसका सामना हर सवार रेस के दिन से बहुत पहले करता है।

यह ट्रॉफी पूरी तरह तांबे से निर्मित है और तांबट आळी के उन कारीगरों को सम्मानित करती है, जिन्होंने पीढ़ियों से शक्ति और सटीकता की इस कला को निखारा है। 480 मिमी ऊँची यह कृति अपनी असली उपस्थिति उन अनगिनत हथौड़ों की चोटों से प्राप्त करती है, जो इसकी सतह को आकार देती हैं। हर निशान उस साइक्लिस्ट की लय को दर्शाता है जो थकान के बावजूद आगे बढ़ता है, अपनी गति खोजता है और रुकने से इनकार करता है। एक तरह से, यह ट्रॉफी अडिग दृढ़ता की एक मूर्ति है।

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