भारतीय डेयरी की नई दिशा: निफ्टेम के शोध से शुरू हुआ ‘White Revolution 2.0’

City24news@ब्यूरो
सोनीपत | राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी उद्यमिता एवं प्रबंधन संस्थान (NIFTEM-K), कुंडली के पूर्व शोधार्थी एवं वर्तमान में NIU में सहायक प्रोफेसर डॉ. मोहित मलिक का शोध-पत्र “Unlocking the Potential: Hybrid Blockchain and AI-enabled Traceability Model Development and Implementation in the Dairy Industry – Proof-of-Concept” विश्व के प्रतिष्ठित जर्नल Transportation Research Part E में प्रकाशित हुआ है। डॉ. मोहित मलिक ने अपनी पीएच.डी. उपाधि राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी उद्यमिता एवं प्रबंधन संस्थान (निफ्टेम-कुंडली) से प्राप्त की है। उनका शोध भारतीय डेयरी क्षेत्र को आधुनिक, पारदर्शी और तकनीकी रूप से सक्षम बनाने की दिशा में एक ऐतिहासिक प्रयास है। उनके शोध का मुख्य विषय था — कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और ब्लॉकचेन तकनीक के संयोजन से एक हाइब्रिड ट्रेसबिलिटी सिस्टम का विकास, जो दूध में मिलावट की रोकथाम, गुणवत्ता नियंत्रण और संपूर्ण डेयरी आपूर्ति श्रृंखला के डिजिटलीकरण को सुनिश्चित करता है। यह शोध कार्य उनकी पीएच.डी. का केंद्रीय भाग रहा है, जो अब वैश्विक स्तर पर प्रकाशित होकर भारत की तकनीकी प्रगति का प्रतीक बना है। इस शोध को निफ्टेम-कुंडली के प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों — डॉ. विजय गहलावत (प्रोफेसर, इंटरडिसिप्लिनरी साइंसेज़) और डॉ. राहुल मोर (यूनिवर्सिटी ऑफ़ नॉर्थहैम्पटन, यूके) के मार्गदर्शन एवं अमूल्य निर्देशन में पूरा किया गया। दोनों मार्गदर्शकों ने अपने गहन अनुभव, तकनीकी ज्ञान और प्रेरणा से इस जटिल मॉडल के विकास और मान्यकरण (validation) को संभव बनाया। उद्योग सहयोग के रूप में हरियाणा की प्रसिद्ध डेयरी इकाई बिनसर फार्म्स प्रा. लि., कुंडली का विशेष योगदान रहा। इसके निदेशक श्री दीपक राज तुषीर ने इस शोध कार्य को न केवल पूर्ण समर्थन दिया, बल्कि अपने संस्थान में इस तकनीक को लागू कर इसके वास्तविक परीक्षण (pilot validation) में सक्रिय भूमिका निभाई। उनके सहयोग से यह साबित हुआ कि भारतीय डेयरी उद्योग भी अब विश्वस्तरीय तकनीकी समाधानों को अपनाने के लिए तैयार है। डॉ. मलिक ने बताया कि यह शोध भारतीय डेयरी क्षेत्र को “White Revolution 2.0” की दिशा में आगे ले जाएगा — जहाँ दूध की गुणवत्ता, पारदर्शिता और उपभोक्ता सुरक्षा को अत्याधुनिक तकनीकों के माध्यम से सुनिश्चित किया जा सकेगा। यह मॉडल किसानों, उपभोक्ताओं और उद्योग — तीनों के लिए लाभकारी सिद्ध होगा। हाइब्रिड ब्लॉकचेन और AI-आधारित यह ट्रेसबिलिटी मॉडल दूध के प्रत्येक चरण — संग्रह, परिवहन, प्रसंस्करण से लेकर उपभोक्ता तक पारदर्शिता और उत्तरदायित्व सुनिश्चित करता है। इससे न केवल मिलावट और खाद्य धोखाधड़ी पर अंकुश लगेगा, बल्कि किसानों को बेहतर मूल्य, उपभोक्ताओं को सुरक्षित उत्पाद और उद्योग को एक स्थायी, सस्टेनेबल, डिजिटल और पारदर्शी डेयरी इकोसिस्टम की ओर अग्रसर करेगा।निफ्टेम-कुंडली देश को सशक्त, आत्मनिर्भर और तकनीकी रूप से उन्नत खाद्य प्रणाली की दिशा में अग्रसर कर रहा है। निफ्टेम के शोध देश में सस्टेनेबल फूड सिस्टम्स, एग्री-फूड सप्लाई चेन डिजिटलीकरण, और खाद्य गुणवत्ता सुनिश्चितता जैसे क्षेत्रों में नवाचार को प्रोत्साहित कर रहे हैं। डॉ. मोहित मलिक का यह शोध निफ्टेम की उसी दूरदर्शी नीति का हिस्सा है, जो भारत को डिजिटल और सर्कुलर फूड इकोनॉमी की दिशा में अग्रसर कर रही है।
