पंजीकरण व्यवस्था में बड़े सुधार – नागरिकों के लिए प्रक्रिया बनी और अधिक सरल, सहज व पारदर्शी : उपायुक्त अखिल पिलानीे

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City24News/अनिल मोहनिया
नूंह | हरियाणा सरकार के राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग ने पंजीकरण व्यवस्था में व्यापक और ऐतिहासिक सुधार लागू किए हैं, जिनसे आम नागरिकों को मिलने वाली सेवाएँ पहले की तुलना में कहीं अधिक सरल, सुगम और पारदर्शी हो गई हैं। उपायुक्त अखिल पिलानीे ने बताया कि इन सुधारों का उद्देश्य पंजीकरण प्रक्रिया को पूरी तरह त्वरित, त्रुटिरहित और नागरिक–हितैषी बनाना है, ताकि लोगों को आवश्यक सेवाएँ समय पर और सहज रूप से उपलब्ध हो सकें।

उपायुक्त ने कहा कि अब नागरिक अपने विलेख का नमूना अनुमोदन से पहले ही देख सकते हैं, जिससे किसी भी प्रकार की गलती या कमी को समय रहते ठीक किया जा सकेगा। यदि किसी प्रकरण में फोटो या उपस्थिति से संबंधित त्रुटि पाई जाती है तो उप-पंजीयक उसे अनुमोदन से पहले ही वापस भेज सकेंगे। विलेखों में “विधवा” सहित अन्य संबंध विकल्पों को शामिल कर दिया गया है, जो दस्तावेज़ पर स्पष्ट रूप से अंकित होंगे। सरकारी भूमि अथवा भवनों से संबंधित विलेखों में अब केवल विभाग का नाम ही आवश्यक रहेगा, आधार संख्या या स्थायी खाता संख्या की कोई अनिवार्यता नहीं होगी। इसी प्रकार सरकारी निकायों — जैसे नगरीय विकास प्राधिकरण, औद्योगिक विकास निगम, विपणन बोर्ड और आवास निर्माण मंडल — से जुड़े प्रकरणों में खसरा संख्या अंकित करना आवश्यक नहीं होगा।

सामान्य पावर ऑफ अटॉर्नी से जुड़े मामलों में अधिकृत व्यक्ति की उपस्थिति दर्ज कर विलेख में अंकित की जाएगी, जिससे पारदर्शिता बढ़ेगी। विलेख मुद्रण व्यवस्था को और उन्नत किया गया है, जिसके चलते अब दस्तावेज़ में अधिकतम उपलब्ध जानकारी स्वतः सम्मिलित हो जाएगी। लाइसेंस प्राप्त कॉलोनियों के मामलों में खसरा चुनने की आवश्यकता को समाप्त कर दिया गया है और अब पूरी प्रक्रिया भूमि पहचान संख्या के आधार पर स्वतः आगे बढ़ेगी। भूमि हस्तांतरण की अनुमति केवल बिक्री, उपहार या विनिमय से संबंधित विलेखों में ही आवश्यक होगी, वहीं वसीयतनामा में दूसरी ओर का पक्ष वैकल्पिक रहेगा।

पंजीकरण प्रक्रिया को और सरल बनाते हुए अब किसी भी विलेख में अधिक संख्या में प्रथम और द्वितीय पक्ष जोड़े जा सकेंगे। लाइसेंस प्राप्त कॉलोनियों में बकाया प्रमाण–पत्र की अनिवार्यता समाप्त कर दी गई है। दस्तावेज़ अपलोड सीमा को दस मेगाबाइट से बढ़ाकर पचास मेगाबाइट कर दिया गया है और नियम–शर्तों की सीमा पाँच सौ शब्दों से बढ़ाकर दस हजार शब्द कर दी गई है। अधिकारियों के लिए भूमि विवरण का एक नया पृष्ठ जोड़ा गया है। आपत्ति दर्ज कराते समय अब किसी भी दस्तावेज़ की मांग नहीं की जाएगी। पुराने आबादी क्षेत्रों में खसरा अनिवार्य नहीं रहेगा और सामान्य पावर ऑफ अटॉर्नी निरस्तीकरण में दूसरी ओर के पक्ष की अनिवार्यता भी समाप्त कर दी गई है। विलेखों पर स्वीकृति संख्या अब स्वतः अंकित की जाएगी।

उपायुक्त ने बताया कि नगरीय निकाय क्षेत्रों में जहाँ कोई संपत्ति एक ही व्यक्ति के नाम है, वहाँ हिस्सेदारी को एक में एक माना जाएगा। संबंधित अधिकारियों के लिए ऐसे पृष्ठ सक्रिय किए गए हैं जिनकी सहायता से विलेख के विभिन्न हिस्से जोड़ने या हटाने की सुविधा मिलेगी। साथ ही किस प्रकार के विलेख में प्रथम पक्ष किसे माना जाएगा, इसका निर्धारण अब व्यवस्था स्वयं कर लेगी, जैसे बिक्री विलेख में ‘विक्रेता’ तथा पावर ऑफ अटॉर्नी में ‘मूलधन देने वाला’ स्वतः निर्धारित हो जाएगा।

उन्होंने बताया कि पंजीकरण व्यवस्था में कई नई सुविधाएँ भी विकासाधीन हैं। नागरिक अब आपत्ति के समय आवश्यक अतिरिक्त कागजात भी संलग्न कर सकेंगे। प्रत्येक विलेख के अनुरूप नियम–शर्तें स्वतः निर्धारित की जाएँगी। भविष्य में विलेखों पर पहचान चिन्ह मुद्रित करने की व्यवस्था भी जोड़ी जाएगी, जिससे दस्तावेज़ों की विश्वसनीयता और अधिक बढ़ेगी। विनिमय विलेख के लिए अलग प्रक्रिया विकसित की जा रही है। तहसीलों में नगद लेखा पंजी तैयार किया जा रहा है और नियुक्तियों व आवेदनों की प्रभावी निगरानी के लिए एक विस्तृत निगरानी पट्ट (डैशबोर्ड) भी बनाया जा रहा है।

उपायुक्त अखिल पिलानीे ने कहा कि पंजीकरण प्रणाली में किए गए ये सुधार न केवल नागरिकों की सुविधा को बढ़ाएंगे बल्कि विभागीय कार्यप्रणाली को अधिक पारदर्शी, सुचारू और परिणामोन्मुखी बनाएंगे। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि नई व्यवस्था से पंजीकरण से जुड़े सभी कार्य और अधिक सरल, तेज़ तथा भरोसेमंद रूप से पूर्ण होंगे।

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