नूंह में कार्तिक पूर्णिमा पर गुरु नानक देव जी के प्रकाशोत्सव पर हवन-पूजा का आयोजन

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City24news/अनिल मोहनिया
नूंह 
| कार्तिक पूर्णिमा और गुरु नानक देव जी के प्रकाशोत्सव के शुभ अवसर पर नूंह में श्रद्धा और भक्ति के साथ हवन-पूजा का आयोजन किया गया। इस अवसर पर आचार्य राजेश ने गुरु नानक देव जी के उपदेशों और जीवन-दर्शन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उन्होंने एक ईश्वर में विश्वास, मनुष्यों की समानता, जाति और लिंग भेद का विरोध, ईमानदारी, करुणा तथा निस्वार्थ सेवा को जीवन का मूल मंत्र बताया।आचार्य राजेश ने बताया कि गुरु नानक देव जी का संदेश “नाम जपो, कीरत करो, वंड छक्को” आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना उस समय था। यानी, ईश्वर के नाम का स्मरण करो, ईमानदारी से कर्म करो और अपनी कमाई और भोजन दूसरों के साथ बांटकर खाओ। उन्होंने कहा कि गुरु नानक देव जी मानते थे कि परमात्मा एक है और उसे केवल भक्ति और नेक कर्मों से ही पाया जा सकता है, किसी बाहरी कर्मकांड से नहीं।कार्यक्रम में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए आचार्य राजेश ने बताया कि निस्वार्थ सेवा (सेवा) गुरु नानक जी की शिक्षाओं का प्रमुख अंग था। उन्होंने गरीबों और जरूरतमंदों की सहायता और उनके प्रति करुणा दिखाने पर बल दिया। इसी भाव से प्रेरित होकर लंगर जैसी सामुदायिक परंपरा की शुरुआत हुई, जो आज विश्वभर में एकता और सेवा का प्रतीक बन चुकी है।उन्होंने आगे कहा कि गुरु नानक देव जी ने हमेशा ईमानदारी से आजीविका कमाने की प्रेरणा दी और चोरी तथा धोखे से अर्जित धन की निंदा की। उनकी शिक्षाएं समाज में सत्य, समानता और भाईचारे की भावना को बढ़ाने का संदेश देती हैं।इस अवसर पर रिंकू, कुलदीप, श्यामबती, राखी, हेमा सहित कई श्रद्धालु इस धार्मिक समारोह में उपस्थित रहे और हवन-पूजा में भाग लेकर गुरु नानक देव जी के बताए मार्ग पर चलने का संकल्प लिया।

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