खेतों में पराली न जलाएं, बनाएं अतिरिक्त आमदनी का साधन – उपायुक्त अखिल पिलानी

0

– पराली प्रबंधन अपनाने पर किसानों को मिलेंगे 1200 रुपए प्रति एकड़ प्रोत्साहन, रियल टाइम मॉनिटरिंग से होगी निगरानी
City24news/अनिल मोहनिया
नूंह 
| उपायुक्त अखिल पिलानी ने जिले के किसानों से अपील की है कि वे फसलों की कटाई के बाद खेतों में पराली या फसल अवशेष न जलाएं, बल्कि उसका वैज्ञानिक तरीके से प्रबंधन करें। उन्होंने कहा कि पराली जलाना न केवल पर्यावरण को प्रदूषित करता है, बल्कि मिट्टी की उर्वरता को भी नुकसान पहुंचाता है। इसके स्थान पर किसान आधुनिक कृषि यंत्रों के माध्यम से पराली का सही उपयोग करके अतिरिक्त आमदनी का स्रोत बना सकते हैं।

उपायुक्त ने बताया कि सरकार द्वारा पराली प्रबंधन को प्रोत्साहन देने के लिए किसानों को 1200 रुपए प्रति एकड़ तक की सहायता राशि प्रदान की जा रही है। किसान इन-सीटू और एक्स-सीटू दोनों प्रकार की तकनीकों को अपनाकर मिट्टी की गुणवत्ता बनाए रख सकते हैं और साथ ही अपनी आय में भी वृद्धि कर सकते हैं।

उन्होंने कहा कि पराली जलाने से वातावरण में धुआं फैलता है, जिससे सांस व आंखों से संबंधित बीमारियां बढ़ती हैं। साथ ही, मिट्टी के जैविक तत्व नष्ट हो जाते हैं और खेत की उपजाऊ शक्ति घट जाती है। उपायुक्त ने बताया कि कृषि विभाग द्वारा सुपर सीडर, हैपी सीडर, स्ट्रा चॉपर, जीरो टिलेज, रिवर्सिबल प्लो और स्ट्रा बेलर जैसी मशीनों पर अनुदान दिया जा रहा है। किसान इन मशीनों की सहायता से पराली को खेत में मिलाकर खाद बना सकते हैं या उसे गांठ बनाकर बेच सकते हैं।

सैटेलाइट से होगी रियल टाइम निगरानी

कृषि उपनिदेशक विरेंद्र देव आर्य ने बताया कि पराली जलाने की घटनाओं की सैटेलाइट मॉनिटरिंग और एएफएल ट्रैकिंग सिस्टम के जरिए लगातार निगरानी की जाएगी। पराली प्रोटेक्शन फोर्स द्वारा आईसीएआर और हैरसक तकनीक से रियल-टाइम एक्शन लिया जाएगा। पराली जलाने वाले किसानों के खिलाफ एफआईआर, चालान, भारी जुर्माना, ‘मेरी फसल-मेरा ब्यौरा’ पोर्टल पर रेड एंट्री, और दो वर्षों तक एमएसपी पर फसल बिक्री पर रोक जैसी कड़ी कार्रवाई की जाएगी। पिछले वर्ष भी ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई की गई थी।

पराली से पर्यावरण की रक्षा और आमदनी दोनों संभव

उपायुक्त अखिल पिलानी ने कहा कि किसान पराली को खेत में मिलाकर मिट्टी की उर्वरता बढ़ा सकते हैं, उसे पशु चारे के रूप में प्रयोग कर सकते हैं या उद्योग इकाइयों को बेचकर अतिरिक्त आय प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने किसानों से अपील की कि वे पराली प्रबंधन को अपनाकर पर्यावरण संरक्षण में योगदान दें और प्रदूषण मुक्त नूंह बनाने में सहयोग करें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *