आस्था श्रद्धा निष्ठा का संगम है, नगीना की रामलीला

-रावण की आवाज से कांप, उठा कार्यक्रम स्थल
-नारी के सम्मान की रक्षा में पक्षीराज जटायु ने कर दिया, प्राणों का बलिदान
-रावण ने छल से किया माता सीता का हरण, वियोग में दुःखी राम लक्ष्मण
-प्रेम वश श्री राम प्रभु ने खाऐ, माता शबरी के झूठे बेर।
City24news/अनिल मोहनिया
नूंह | आस्था श्रद्धा निष्ठा का संगम है नगीना की रामलीला। भगवान श्री गणेश भारत मां के वीर सपूतों की प्रार्थना से प्रारंभ होने वाली रामलीला वह भैया लक्ष्मण के द्वारा भगवान श्री राम प्रभु माता सीता की आरती व पूजा अर्चना का भक्ति में दृश्य दर्शकों को भक्ति के सागर में डुबो देता है। लंकापति रावण जब भव्य दरबार में प्रवेश करते हैं तो रावण की बुलंद वाणी (आवाज) से समस्त कार्यक्रम स्थल कांप (थर्रा) जाता हैं। रामलीला देख रहे नन्हे मुन्ने बच्चे रावण की भयंकर आवाज से अपने माता-पिता की गोद में छिप जाते हैं। रावण के दरबार में शूर्पणखा रावण के दरबार मे महाराज दुहाई है कहते हुए प्रवेश करती है तो रावण के दरबार मे रंग में भंग पड़ जाता है। रावण कठोर आवाज में उसे बाहर निकलने का आदेश देते हैं और कहते हैं कौन है ये जिसने रंग में भंग डाला। सैनिकों के द्वारा लंका पति को बताया जाता है ये आपकी बहन शूर्पणखा है। महाराज उसकी स्थिति देखकर अचंभित और आश्चर्यचकित रह जाते हैं।शूर्पणखा घटना में नमक मिर्च लगाकर वृतांत बताती है तो लंका पति उसे खर-दूषण के पास जाने की सलाह देते हैं। वह बताती है कि राम लक्ष्मण ने खर दूषण का सैनिको सहित वध कर दिया। इससे रावण आश्चर्य चकित व क्रोधित हो जाता है। और सीता हरण की योजना बनाता है। योजना को मूर्त रूप देने के लिए लंकेश मामा मारिच के पास जाता है और अपनी योजना से अवगत कराता है। मारिच लंकेश को समझते हैं की वे राम से वैर मोल ना लें। लेकिन रावण उनके मशवरा को ठुकरा देते हैं ,मारिच को मृत्यु भय का दिखाते हैं।मारिच सोने का मृग बन पंचवटी पहुंचकर उछल-कूद करता है। सोने का मृग देखकर सीता राम को मृग पड़कर लाने के लिए कहती है। राम उन्हें समझाते हैं कि सोने का मृग नहीं होता है। लेकिन सीता उन्हें मृग लाने के लिए विवश कर देती है। राम सीता की सुरक्षा की जिम्मेदारी लक्ष्मण को सौंप कर मृग के पीछे-पीछे चल पड़ते हैं। मायावी मृग का पीछा करते-करते राम काफी दूर निकल जाते हैं ,मृग को तीर लगता है, मृग राम प्रभु की आवाज में सहायता के लिए भैया लक्ष्मण को पुकारते हैं। माता सीता भैया लक्ष्मण को राम की सहायता के लिए जाने को कहती है लेकिन लक्ष्मण माता सीता को समझाते हैं कि ये भैया राम की आवाज नहीं है लेकिन माता-सीता उन्हें खरी खोटी सुना कर लक्ष्मण को राम की सहायता के लिए भेजने पर विवश कर देती है। लेकिन लक्ष्मण जाने से पहले एक लक्ष्मण रेखाखींचते हैं, और माता से अनुरोध करते हैं की जब तक हम लौट कर न आ जाऐ, आप इस रेखा के भीतर ही रहना। जैसे ही लक्ष्मण गए । तो रावण छद्म वेष में आकर माता सीता से भिक्षा मांगता है रेखा से बाहर आकर भिक्षा देने के लिए माता सीता मना कर देती है, रावण रेखा के तेज की वजह से कुटिया में प्रवेश नहीं कर सकता था रावण म कुटिल चाल चलकर माता सीता को रेखा से बाहर आने के लिए विवश कर देता है, जैसे ही माता सीता रेखा से बाहर आई तो रावण ने छल से माता सीता का हरण कर लिया ये दृश्य देखकर जनता भावुक गई। रावण अपने विभाग में सीता को लेकर जा रहा था तो पक्षीराज जटायु ने सीता की दयनीय स्थिति देखी तो नारी की रक्षा व उसके सम्मान के लिए रावण से युद्ध कर बैठा जिसमें वह लुहलुहान होकर भूमि पर गिर पड़ा। अशोक वाटिका में रावण सीता संवाद ने जनता को झकोर कर रख दिया। उधर जब राम लक्ष्मण वापस आए तो उन्हें घायल अवस्था में जटायु मिले, जटायु ने उन्हें पूरा वृतांत बताया और राम प्रभु की गोद मे अपने प्राणों का बलिदान कर दिया। राम लक्ष्मण सीता के वियोग में दुःखी हो गए , वन वन सीता को खोजते खोजते राम लक्ष्मण माता शबरी के आश्रम में पहुंचे जहां पर माता शबरी ने भक्ति भाव से अपने झूठे बेर राम प्रभु खिलाये, राम प्रभु ने भी भक्तिभाव वश वो बेर खाकर भक्त ओर भगवान के प्रति विश्वास व आस्था को एक नई दिशा प्रदान की। राम लक्ष्मण सीता की खोज करते-करते ऋषि मुख पर्वत के पास जा पहुंचे जहां पर राम लक्ष्मण की भेंट हनुमान जी से होती है और दोनों अपना परिचय देते हैं हनुमान जी राम लक्ष्मण को लेकर ऋषिमुख पर्वत पर जाते हैं जहां पर उनकी भेंट महाराज का सुग्रीव से होती है।
कुशलता पूर्वक मंचसंचालन : रजत जैन में शब्दों का उचित संयोजन कर कुशलतापूर्वक मंच संचालन कर जनता का दिल जीत लिया जनता भी कुशल मंच संचालन देखकर गद्गद् में नजर आई।
इन्होंने निभाए पत्रों के किरदार : रावण -रोहित शर्मा, राम- मुकेश शर्मा, लक्षमण – पवन भटनागर, भरत – परशराम सैनी, सीता-सागर गोयल, हनुमान- ओमकार साहू, हरीश कालड़ा,इंद्रजीत, शूर्पणखा अमित जांगडा,अक्षय कुमार-विकास दक्ष, मंत्री -राकेश प्रजापत, शबरी – लोकेश प्रजापत, सुग्रीव-सुभाष सैनी, नृत्यांगना व गायिका -अमित जांगडा, ने अपने अपने पात्रों के अनुसार दमदार कला (अभिनय) के माध्यम से किरदार निभाकर जनता को आत्म विभोर कर दिया।
इस अवसर पर रामलीला विकास कमेटी नगीना के अध्यक्ष कमल शर्मा, कोषाध्यक्ष गोविंद दुबे, सचिव ओमकार साहू, संरक्षक सतपाल सैनी, प्रभु दयाल गंभीर, पूर्व पंच प्यारे लाल,पंडित जगन शर्मा, परसराम सैनी, सर्वजातीय सेवा समिति के उपाध्यक्ष रजत जैन, मोनू शर्मा, शेर सिंह सैनी,संदीप सैनी आदि उपस्थित रहे।