क्या राजनीतिक भ्रष्टाचार व अपराध को मिटाएंगे भाजपा द्वारा लाए हुए तीन नए कानून
भारतीय जनता पार्टी अक्सर राजनीति की उन दुःखती हुई रगों पर ही हाथ डालती आई है जो इस सद्भावी देश व समरस समाज को बदलने की कुव्वत रखते हैं। इससे सोकॉल्ड सेक्यूलर्स, समाजवादियों व साम्यवादियों की बौखलाहट देखते ही बनती है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से प्रेरित भाजपा की दशक भर से ज्यादा देशव्यापी सियासी सफलता का राज भी यही है।
इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गत बुद्धवार को एकजुट विपक्ष के विरोध और हंगामे के बीच सदन में जो ‘संविधान (130वां संशोधन) विधेयक, 2025’, ‘संघ राज्य क्षेत्र शासन (संशोधन) विधेयक, 2025’ और ‘जम्मू कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2025’ को पेश किया और उसके बाद उनके ही प्रस्ताव पर सदन ने तीनों विधेयकों को संसद की संयुक्त समिति को भेजने का जो निर्णय लिया, वह देश व स्वस्थ समाज की स्थापना की दिशा में एक और बहुत ही उपयोगी पहल है।
दरअसल, यह भाजपा का एक ऐसा मास्टरस्ट्रोक है, जिससे न केवल शरारती विपक्ष चारो खाने चित्त हो जाएगा, बल्कि अपने भ्रष्टाचारी सियासी मिजाज और अपराध को बढ़ावा देने के स्वभाव या फिर उससे आंखें मूंदे रखने के स्वभाव की भारी राजनीतिक कीमत भी उन्हें चुकानी पड़ेगी। दिलचस्प बात तो यह है कि कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी आदि ने जिस अदूरदर्शी तरीके से इन प्रस्तावित तीनों विधेयकों का विरोध किया है, उससे उसकी भी भ्रष्ट व आपराधिक मनोवृति को संरक्षण देने वाली कलई खुल चुकी है।
दरअसल, एक ओर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने आप को कानून के दायरे में लाने का संविधान संशोधन पेश किया है, तो दूसरी ओर ‘‘कानून के दायरे से बाहर रहने, जेल से सरकारें चलाने एवं कुर्सी का मोह न छोड़ने के लिए’’ कांग्रेस के नेतृत्व में पूरे विपक्ष ने इसका विरोध किया है। इसलिए सजग जनता उनको मुंहतोड़ जवाब देगी। देखा जाए तो दिल्ली के तत्कालीन मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने जिस तरह से जेल में रहकर दिल्ली की सरकार चलाई, उसके दृष्टिगत ऐसा विधेयक लाना केंद्र सरकार के लिए नितांत जरूरी हो गया था। इसलिए सरकार ने पूरी तैयारी के साथ इसे लोकसभा में प्रस्तुत कर दिया।