राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और स्वतंत्रता आंदोलन

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City24news/संजय शर्मा
राष्ट्रीय स्वयंसेवक के बारे में अज्ञानता से घिरे लोग अकसर यह प्रश्न पूछते हैं कि स्वतंत्रता आंदोलन में संघ की क्या भूमिका रही है? कुछ लोग इससे भी आगे बढ़ जाते हैं और पूछते हैं कि संघ के किसी एक कार्यकर्ता का नाम ही बता दीजिए, जिसने स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया हो? संघ की स्थापना जिन्होंने की, वे डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार स्वयं ही जन्मजात देशभक्त थे। डॉ. हेडगेवार क्रांतिकारी भी रहे, कांग्रेस में रहकर राजनीतिक संघर्ष किया और जेल भी गए। बाद में, देश की सर्वांग स्वतंत्रता और स्वतंत्रता को स्थायी बनाने के उद्देश्य से उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना की। डॉ. हेडगेवार अकेले नहीं हैं, अपितु स्वतंत्रता आंदोलन में हिस्सा लेनेवाले संघ के ज्ञात-अज्ञात कार्यकर्ताओं की लंबी शृंखला है। जो संगठन अपने कार्यकर्ताओं को यह शपथ दिलाता हो कि “मैं हिन्दूराष्ट्र को स्वतंत्र कराने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का घटक बना हूँ”, उसने कितने ही लोगों के मन में स्वतंत्रता प्राप्ति का भाव भरा होगा, उसकी सहज कल्पना की जा सकती है।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक के बारे में अज्ञानता से घिरे लोग अकसर यह प्रश्न पूछते हैं कि स्वतंत्रता आंदोलन में संघ की क्या भूमिका रही है? कुछ लोग इससे भी आगे बढ़ जाते हैं और पूछते हैं कि संघ के किसी एक कार्यकर्ता का नाम ही बता दीजिए, जिसने स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया हो? संघ की स्थापना जिन्होंने की, वे डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार स्वयं ही जन्मजात देशभक्त थे। डॉ. हेडगेवार क्रांतिकारी भी रहे, कांग्रेस में रहकर राजनीतिक संघर्ष किया और जेल भी गए। बाद में, देश की सर्वांग स्वतंत्रता और स्वतंत्रता को स्थायी बनाने के उद्देश्य से उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना की। डॉ. हेडगेवार अकेले नहीं हैं, अपितु स्वतंत्रता आंदोलन में हिस्सा लेनेवाले संघ के ज्ञात-अज्ञात कार्यकर्ताओं की लंबी शृंखला है। जो संगठन अपने कार्यकर्ताओं को यह शपथ दिलाता हो कि “मैं हिन्दूराष्ट्र को स्वतंत्र कराने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का घटक बना हूँ”, उसने कितने ही लोगों के मन में स्वतंत्रता प्राप्ति का भाव भरा होगा, उसकी सहज कल्पना की जा सकती है।

भारत में प्रतिज्ञा का बहुत महत्व है। हमें भीष्म प्रतिज्ञा का स्मरण है। राजा हरिशचंद्र की सत्य बोलने की प्रतिज्ञा ध्यान है। मुगलिया सल्तनत के अत्याचार के विरुद्ध महाराण प्रताप की प्रतिज्ञा को कौन भूल सकता है। छत्रपति शिवाजी महाराज ने शिव को साक्षी मानकर प्रतिज्ञा करके ‘स्वराज्य’ की नींव रखी, जिसे साकार करने में संपूर्ण समाज प्राणपण से जुट गया। संघ के स्वयंसेवक भी इसी भाव के साथ प्रतिज्ञाबद्ध होते हैं कि वह जो प्रतिज्ञा ले रहे हैं, उसको पूर्ण करने में अपना सर्वस्व देंगे और प्रतिज्ञा को आजन्म निभाएंगे। मार्च 1928 में नागपुर के निकट एक पहाड़ी पर स्वयंसेवकों को एकत्र करके, भगवाध्वज के समक्ष प्रतिज्ञा का पहला कार्यक्रम सम्पन्न कराया गया था। देश की पूर्ण स्वतंत्रता एवं विकास के लिए स्वयंसेवकों को वीरव्रती बनाने के निमित्त आयोजित इस प्रथम कार्यक्रम में 99 स्वयंसेवकों ने प्रतिज्ञा की थी। इस अवसर पर डॉ. हेडगेवार ने संघ के उद्देश्य को स्पष्ट करते हुए जो भाषण दिया, वह स्वतंत्रता प्राप्ति की संघ की आकांक्षा को स्पष्टतौर पर व्यक्त करता है। उन्होंने कहा- “हमारा उद्देश्य हिन्दू राष्ट्र की पूर्ण स्वाधीनता है। संघ का निर्माण इसी महान लक्ष्य के लिए हुआ है”। इस स्पष्ट अभिव्यक्ति के बाद कहने के लिए कुछ और भी बचता है क्या? यह भी समझना होगा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता अपनी नित्य प्रार्थना में कहते हैं कि इस राष्ट्र को परम वैभव पर लेकर जाना है। क्या कोई पराधीन राष्ट्र परम वैभव पर जा सकता है? स्पष्ट है कि भारत की स्वतंत्रता का लक्ष्य संघ की स्थापना में निहित था।

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