बूचड़खानों से त्रस्त मेवात के लोगों का प्रतिनिधिमण्डल मिला सांसद दीपेन्द्र हुड्डा से

• सांसद दीपेन्द्र ने सरकार से मांग करी कि उनकी समस्या का समाधान करे
City24news/अनिल मोहनिया
नूंह | बीजेपी सरकार में मेवात में बूचड़खानों की संख्या में हुई अनियंत्रित व रिकॉर्ड बढ़ोत्तरी से त्रस्त मेवात संयुक्त संघर्ष समिति का एक प्रतिनिधिमंडल आज सांसद दीपेन्द्र हुड्डा से मिला और अपनी मांगों का ज्ञापन सौंपा। दीपेन्द्र हुड्डा ने उनकी मांग को जायज बताते हुए कहा कि बीजेपी सरकार की कथनी व करनी में कितना फर्क है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि मेवात में रिकॉर्ड बूचड़खाने खुलवाये गए हैं। जबकि, यहाँ शिक्षा के लिए स्कूल, कॉलेज, यूनिवर्सिटी की जरूरत है लेकिन कोई स्कूल तक नहीं खुला। उन्होंने कहा कि इन बूचड़खानों से स्थानीय लोगों को स्वास्थ्य, पीने के पानी से जुड़ी समस्याएं उत्पन्न हो गई हैं। गंदगी से बीमारी फैल रही है। हवा और पानी जीवन के आधार हैं, दोनों प्रदूषित होते जा रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा की इन बूचड़खानों में सत्ता के नज़दीकी नेताओं की पार्टनरशिप होने की ख़बरें भी आ रही हैं। दीपेन्द्र हुड्डा ने सरकार से मांग करी कि मेवात के लोगों की समस्याओं का समाधान करे।
बूचड़खानों को बंद करने के लिए चल रहे आन्दोलन के प्रतिनिधिमंडल ने सांसद को बताया कि बूचड़खानों से सिर्फ हवा ही नहीं, बल्कि जमीन और जमीन के अंदर का पानी भी दूषित हो रहा है। बूचड़खानों से निकलने वाली गंदगी, प्रदूषण के चलते कैंसर, दमा, टीबी, चर्म रोग और सांस की गंभीर बीमारियाँ फैलने का खतरा बढ़ता जा रहा है। बारिश के मौसम में यह समस्या और भी गंभीर हो गई है। बूचड़खानों से निकलने वाले अवशेषों को खुले में फेंकने से भीषण दुर्गंध कई किलोमीटर तक फैल जाती है। बूचड़ख़ाने इलाके में स्कूल, अस्पताल के पास गंदगी और बदबू के चलते लोग यहाँ से पलायन करने को मजबूर हो रहे हैं। केन्द्रीय भूजल बोर्ड ने इसे जल संकट क्षेत्र घोषित किया है। इलाके में भूजल स्तर गिरता जा रहा है और जल संकट तेजी से बढ़ रहा है। अत्यधिक जल दोहन, रासायन मिश्रित अपशिष्ट से वायु प्रदूषण का खतरा बढ़ता जा रहा है।
प्रतिनिधिमण्डल ने बताया कि बीजेपी सरकार के कार्यकाल में मेवात इलाके में बूचड़खानों की संख्या तेजी से बढ़ी है। बूचड़ख़ानों के आस-पास खूंखार कुत्ते पनप रहे हैं जो अक्सर छोटे बच्चों, महिलाओं पर हमला कर देते हैं। कुत्तों के हमलों से जुड़ी कई घटनाएं रिपोर्ट हो चुकी हैं। गांवों में आवारा कुत्तों का आतंक इस कदर है कि स्कूल जाने वाले बच्चे उनके डर से घरों से निकल नहीं पाते।
बूचड़ख़ाने आंदोलन के संदर्भ में “मेवात संयुक्त संघर्ष समिति” के प्रतिनिधिमंडल में प्रमुख रूप से फ़ज्रुद्दीन बेसर,मास्टर वहाब जलालपुर,एडवोकेट रशीद, अज़ीज़ हुसैन, सरपंच जलालपुर, चौधरी रफ़ीक हतोड़ी, प्रधान जिला सरपंच एसोसिएशन, कांग्रेस नेता शाहीन सम्स, मुफ़्ती सलीम, आरिफ ठेकेदार, बघोला, लियाकत अली, सरपंच सुडाका, मुबारिक अटेरना, मौलाना साबिर क़ासमी, वसीम अहमद, सरपंच चांदनी, ज़करिया परसाद, सकरस, शौकत खुवलजिका, इरफ़ान सरपंच कंकरखेड़ी, मोहसिन चौधरी, सकरस, सलीम अहमद, सरपंच अखनाका, हाजी मेव मोहम्मद उस्मान आदि मौजूद रहे।