नांगल के किसान बिजेंद्र ने नकदी फसल में दिखाई दिलचस्पी

-डेढ लाख रूपये के मुनाफे की जताई संभावना
-कपास व बाजरे की फसल से कहीं बेहतर बताई नकदी फसल की पैदावार
City24news/सुनील दीक्षित
कनीना | कनीना उपमंडल के विभिन्न गावों में उन्न्त किसानों द्वारा नकदी फसलों को अपनाकर लाभ लिया जा रहा है। किसान कल्याण विभाग की ओर से ऐसे किसानों को सब्सिडी भी दी जाती है। जिससे उन्हें दोहरा लाभ मिल रहा है। इसी कडी में गांव नांगल मोहनपुर के किसान बिजेंदर कुमार की ओर से नकदी फसल की ऑर्गेनिक खेती की जा रही है। उसके पास 4 एकड़ ही पुश्तैनी जमीन है। जिसमें वह प्रतिवर्ष तीन एकड़ में घीया,टमाटर, प्याज, पेठा व ककड़ी की बिजाई करता है। चालू वित वर्ष में उन्होंने ककड़ी,बैंगन, तरबूज, घीया,प्याज व पेठा लगायी हुई है। जिस पर करीब 35000 रुपए प्रति एकड़ की लागत आई। जिस पर हरियाणा सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण विभाग की ओर से 50 फीसदी अनुदान की घोषणा की गई है। उन्होंने बताया कि सब्जी की प्राकृतिक खेती करने में लगभग 70 हजार रुपए प्रति एकड़ का खर्चा होता है। उनकी ओर से की पैदा की जा रही सब्जी की खेती में किसी प्रकार के रासायनिक खाद का प्रयोग नहीं किया जाता। जिससे सब्जि की गुणवत्ता व खाने का टेस्ट लाजवाब होता है। उनके द्वारा गौशाला से गोबर का खाद लाकर इस्तेमाल किया जाता है। सब्जि में कीड़े की रोकथाम के लिए नीम के पत्ते, निम्बू का रस व सरसों की खल का घोल बनाकर छिडकाव किया जाता है। जिससे कोई साइड इफेक्ट नहीं होता।
किसान विजेंद्र व रोशन लाल ने बताया कि इससे पूर्व बाजरे व कपास की फसल से 30 से 35 हजार रूपये प्रति एकड़ की आमदनी होती थी जबकि सब्जी की खेती करने से करीब डेढ़ लाख रुपए की आमदनी हो जाती है। कृषि विशेषज्ञों की सलाह से उनके द्वारा मल्चिंग विधि अपनाई जाती है। जिस पर कृषि एवं किसान कल्याण विभाग से साढे छह हजार रूपये प्रति एकड के हिसाब से अनुदान मिल जाता है। टपका सिंचाई विधि अपनाने पर 85 प्रतिशत सब्सिडी मिलती है।
उन्होंने बताया कि नकदी फसल के पहले साल भले ही उत्पादन कम हो लेकिन उसकी बिक्री करने के लिए दूर नहीं जाना पड़ता वही खेत में ही सब्जी की बिक्री हो जाती है। उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से किसानों को सुविधाएं दी जा रही हैं। उनसे बेहतर लाभ भी मिल रहा है।