भगवान श्री परशुराम के जन्मोत्सव पर किया हवन यज्ञ

-भगवान श्री परशुराम जन्मोत्सव की विशेष की पूजा अर्चना
-अक्षय तृतीया के दिन भगवान आदिनाथ को आहार देने के साथ से हुई दान देने की प्रथा प्रारंभ
City24news/अनिल मोहनिया
नूंह | भगवान श्री परशुराम जन्मोत्सव पर नगीना में श्री ब्राह्मण चौपाल पर हवन यज्ञ किया गया।ये जानकारी ब्राह्मण समाज नगीना के अध्यक्ष पंडित बाबूराम शर्मा ने देते हुए बताया की हवन यज्ञ करने से पर्यावरण शुद्ध होता है तथा और असुरियो शक्तियों का विनाश होता है व्यक्ति को नियमित रूप से यज्ञ हवन करना चाहिए । हवन यज्ञ करने का उद्देश्य जनता में धर्म के प्रति प्रभावना जागृत करना है। सर्वजातीय सेवा समिति के उपाध्यक्ष रजत जैन ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा की भगवान विष्णु के दस अवतारों में से छठे अवतार भगवान श्री परशुराम जी का है, और वो आठ चिरंजीवियों में से एक है। सच्चे हृदय- मन से जो भक्तिभाव से पूजा,अर्चना करता है ,वो सभी दुखों से मुक्ति पाकर परम सुख प्राप्त कर अपनी आत्मा का आत्मकल्याण करता है। रजत ने कहा की जीवमात्र के सर्व मंगल,सर्व कार्येषु, सर्व कल्याण के उद्देश्य को लेकर परोपकार की भावना से कार्य करना चाहिए । पंडित नंदकिशोर शर्मा के पावन सानिध्य में देश की उन्नति समृद्धि खुशहाली,आपसी प्रेम- सौहार्द की कामना के साथ भगवान परशुराम की पूजा अर्चना-आरती मंत्रोच्चारणो के साथ विधिपूर्वक की गई। प्रसाद भी वितरित किया गया।कार्यक्रम का संचालन रजत जैन ने किया। जैन धर्म में भी है अक्षय तृतीया का महत्व :- अक्षय तृतीया का अत्यंत महत्व है आज के दिन जैन धर्म के वर्तमान चोबीसी के प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ ने लगभग एक वर्ष पश्चात आहार ग्रहण किया था। रजत जैन नगीना ने बताया की भगवान आदिनाथ ने छह माह की अवधि तक उपवास (व्रत)रखा। उसके पश्चात व आहार लेने के लिए नगर नगर में गए तो जनता को आहार की विधि का ज्ञान न होने के कारण जनता ने उन्हें हीरे जवाहरात आदि देने का प्रयास किया ,लेकिन भगवान आदिनाथ ने उन्हें ग्रहण नहीं किया। इसी प्रकार छह माह का अतिरिक्त समय ओर बिना आहार लिए व्यतीत हो गया। रजत ने बताया की भगवान आदिनाथ का लगभग एक वर्ष का समय बिना आहार के व्यतीत हो जाने के पश्चात वे हस्तिनापुर राज्य पहुंचे तो वहां उनके पौत्र राजा श्रेयांश ने उन्हें आहार में ईख ( गन्ना) का रस दिया। वह दिन अक्षय तृतीया का शुभ दिन था और भगवान आदिनाथ ने लगभग एक वर्ष पश्चात आहार लिया। तभी से दान देने की परंपरा की शुरुआत हुई। रजत ने बताया की अक्षय तृतीया के दिन किया गया दान पूजा और अनुष्ठान अक्षयफल प्रदान करता है। इसलिए ये दिन अत्यंत शुभमय, पावन पवित्र ,पुण्य ,माना जाता है। पहलगाम में आतंकवादियों के द्वारा कायरतापूर्ण तरीके से 26 व्यक्तियों की हत्या करके मार डाला था। इसकी कड़े शब्दों में निंदा की गई । दिवंगत आत्माओं की शांति के लिए भगवान से विशेष प्रार्थना की। दो मिनट मौन रखकर श्रद्धांजलि अर्पित की।
इस अवसर पर इसपर पंडित चक्रदत्त शर्मा, पंडित कमल शर्मा, पंडित दिनेश शर्मा, पंडित नवीन शर्मा, रजत जैन, नंदलाल प्रजापत,शुभम शर्मा, हरीश शर्मा , लाजपत शर्मा, डिम्पल शर्मा आदि उपस्थित रहे।