सेठ भामाशाह के जीवन में राष्ट्र धर्म ही सबसे बड़ा धर्म था: रजत जैन

0

-सेठ भामाशाह ने अपना सर्वत्र जीवन राष्ट्र को समर्पित कर दिया 
City24news/अनिल मोहनिया
नूंह | महान स्वतंत्रता सेनानी दानवीर सेठ भामाशाह के जीवन में राज धर्म ही सबसे बड़ा धर्म था इसी के चलते उन्होंने अपनी धन संपत्ति राष्ट्र की रक्षा के लिए महाराणा प्रताप को समर्पित कर दी। जिससे कि देश की रक्षा की जा सके। उक्त जानकारी सर्वजातीय सेवा समिती के उपाध्यक्ष व समाजसेवी रजत जैन ने देते हुए बताया की सेठ भामाशाह का जन्म जैन कुल में 28 अप्रैल 1547 को पिता भारमल्ल में माता कर्पूरी देवी के घर हुआ। सेठ भामाशाह बचपन से ही धार्मिक निर्भीक प्रवृत्ति के होने के साथ वह सच्चे राजभक्त प्रवृत्ति के होने के कारण उनके आचार विचार देशभक्ति से परिपूर्ण थे। रजत ने बताया की राष्ट्र भावना उन में बचपन से ही कूट-कूट कर भरी हुई थी। उनके पिता भारमल्ल जी भी राणा उदय सिंह जी की सेवा में उच्च पद पर थे। उनके पिता ने मुगलों के खिलाफ युद्ध करते हुए अपने प्राणों का बलिदान कर दिया था। रजत ने कहा की ये दोहा सेठ भामाशाह की देशभक्ति के लिए प्रचलित है। वह धन्य देश की माटी है जिसमें भामा सा लाल पला, कुछ दानवीर की यश गाथा को मेट सका क्या काल भला। रजत ने बताया कि 16 जनवरी 1600 को सेठ भामाशाह इस संसार को त्याग कर देवलोकगमन हो गया। सेठ भामाशाह बेशक आज हमारे बीच नहीं है लेकिन उन्होंने अपना सर्वत्र जीवन राष्ट्र को समर्पित (अर्पित) कर दिया। रजत ने कहा कि देशभक्ति, नैतिकता, ईमानदारी, निर्भता, व राजधर्म के उच्च आदर्श सिद्धांत से परिपूर्ण जो मार्ग दानवीर सेठ भामाशाह जी ने देशवासियों को दिखाया वो सिद्धांत आज भी देशवासियों के दिलों दिमाग में जीवित (जीवंत) है। समाज में राष्ट्र के उत्थान के लिए प्रत्येक देशवासी को विशेषकर युवा पीढ़ी को उनके दिखाए मार्ग पर चलकर समाजवादी देश के उत्थान में अपना संपूर्ण योगदान देकर नवभारत का निर्माण कर उनके सपनों को साकार करें। यही दानवीर को सच्ची श्रद्धांजली अर्पित होगी। देशवासियों के हृदय में उनके विचार व आदर्श सदैव जीवित रहेंगे देश सदैव उनका ऋणी व आभारी रहेगा। सेठ भामाशाह से महापुरुष युगों युगों में कभी-कभी इस धरती पर जन्म लेते हैं उन्होंने मातृभूमि की रक्षा के लिए अपना सर्वत्र समर्पण कर दिया। युवाओं को उनके सपने को साकार करने के लिए उनके द्वारा दिखाए गए देशभक्ति के मार्ग पर चलकर देश सेवा के लिए सदैव तक पर रहना चाहिए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *