भक्त भगवान को पुकारते है तो भगवान उनको दर्शन जरूर देते है: भागवत व्यास सुश्री कृष्ण संध्या

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City24news/सुमित गोयल
बल्लभगढ़ | श्री सियाराम हनुमान मंदिर ब्राह्मण वाडा के प्रांगण में श्री सियाराम हनुमान मंदिर सभा (रजिस्टर्ड)द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के चौथे दिन रविवार को भागवत व्यास सुश्री कृष्ण संध्या जी ने भक्तों से कहा कि परमात्मा का नाम सदा जपते रहो सुख हो या दुख हो सब बात भगवान से कहो।उन्होंने कहा कि जब जब भक्त भगवान को पुकारते है तो भगवान उनको दर्शन जरूर देते है।पशु भी जब दुख में उनको पुकारते हे जैसे कि हाथी ने अपने जीवन की रक्षा के लिए भगवान को पुकारा तो भगवान ने उसकी जान बचाई और मगरमच्छ का भी उद्धार किया।आगे कथा कहते हुए सुश्री कृष्ण संध्या जी ने भगवान श्री कृष्ण के जन्म की कथा सुनाई। जिसे सुनकर सभी श्राेता भक्ति में लीन हो गए।जिसमें उन्होंने श्री कृष्ण से संस्कार की सीख लेने की बात कही। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण स्वयं जानते थे कि वह परमात्मा हैं उसके बाद भी वह अपने माता पिता के चरणों को प्रणाम करने में कभी संकोच नहीं करते थे।श्रीमद् भागवत कथा के माध्यम से भागवत व्यास सुश्री कृष्ण व्यास ने पहले धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष की महत्ता पर प्रकाश डाला। साथ ही उन्होंने कहा कि जब-जब धरा पर अत्याचार, दुराचार, पापाचार बढ़ा है, तब-तब प्रभु का अवतार हुआ है।प्रभु का अवतार अत्याचार को समाप्त करने और धर्म की स्थापना के लिए होता है। जब धरा पर मथुरा के राजा कंस के अत्याचार अत्यधिक बढ़ गए, तब धरती की करुण पुकार सुनकर श्री हरि विष्णु ने देवकी माता के अष्टम पुत्र के रूप में भगवान श्री कृष्ण ने जन्म लिया। उन्होंने कहा कि प्रभु हमें समझाना चाहते हैं कि सृष्टि का सार तत्व परमात्मा है। इसलिए असार यानी संसार के नश्वर भोग पदार्थों की प्राप्ति में अपने समय, साधन और सामर्थ को अपव्यय करने की जगह हमें अपने अंदर स्थित परमात्मा को प्राप्त करने का लक्ष्य रखना चाहिए। इसी से जीवन का कल्याण संभव है।

कथा व्यास ने बताया कि वास्तविकता में श्रीकृष्ण केवल ग्वाल-बालों के सखा भर नहीं थे, बल्कि उन्हें दीक्षित करने वाले जगद्गुरु भी थे। श्रीकृष्ण ने उनकी आत्मा का जागरण किया और फिर आत्मिक स्तर पर स्थित रहकर सुंदर जीवन जीने का अनूठा पाठ पढ़ाया।कृष्ण जन्म के उपलक्ष्य ट्रस्ट द्वारा माखन मिश्री का भोग लगाया गया और सभी भक्तों के साथ बधाई गाते हुए फूल वर्षा टॉफी खिलौने की वर्षा की।

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