जैन ग्रंथ मां जिनवाणी को केंद्र सरकार, शिक्षण पाठ्यक्रम में करें सम्मिलित

-तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी के जन्म कल्याणक के शुभावसर पर मां जिनवाणी को पाठ्यक्रम में करें सम्मिलित
City24news/अनिल मोहनिया
नूंह | जैन ग्रंथ मां जिनवाणी को शिक्षण संस्थानों के पाठ्यक्रम में सम्मिलित कर पढ़ाने (अध्धयन) की मांग जोर पकड़ने लगी है। अहिंसा को जीवन में धारण करने व अहिंसा के मार्ग पर चलने से ही विश्व में सच्ची शांति की स्थापना सम्भव हैं। वास्तविक शांति की स्थापना के लिए सरकार को शिक्षा संस्थानों में मां जिनवाणी ग्रंथ को पढ़ाना चाहिए। पूर्व अध्यक्ष रजत जैन की देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ,केंद्रीय शिक्षा मंत्री व केंद्र सरकार से मांग है की अहिंसा के प्रवर्तक जैन धर्म के 24 तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी के 2624 वें जन्म कल्याणक दिवस के शुभावसर पर देश व विश्व में शांति, एकता, अखंडता, संप्रभुता,आपसी प्रर्म,सौहार्द ,जनकल्याण की भावना के उद्देश्य को लेकर सरकार को मां जिनवाणी ग्रंथ की शिक्षा देनी चाहिए। ये ग्रंथ कला व वैज्ञानिक रूप से भी प्रासंगिक है। इसके अध्ययन से बच्चों का नैतिक,सामाजिक,सांस्कृतिक,सभ्यता मानसिक,शारीरिक, बौद्धिक विकास के साथ-साथ अहिंसा के पथ पर चलकर कला ओर विज्ञान का भी विकास होगा। जिससे समस्त जीवमात्र का कल्याण सम्भव हो सकें।