देवतुल्य आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज को भारत रत्न देने की मांग

City24news/अनिल मोहनिया
नूंह | देवतुल्य,युगपुरुष,युगदृष्टा, अहिंसा प्रवर्तक,राष्ट्रसंत ,संत शिरोमणि,आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी मुनिराज के देवलोक गमन होने के पश्चात भारत के सर्वोच्च सम्मान भारतरत्न देने की मांग जोर पकडने लगी है। समाजसेवी व पूर्वअध्यक्ष रजत जैन “नगीना” ने उपरोक्त विचार प्रकट करते हुए बताया आचार्य विद्यासागर केवल मात्र जैन धर्म के अनुयायियों के ही संत नहीं बल्कि समस्त विश्व के संत थे।उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत को एक धार्मिक पहचान दिलाने का भी कार्य किया। रजत जैन ने आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज को भारत रत्न देने की उपाधि की मांग करते हुए बताया की उनका जन्म 10 अक्टूबर 1946 को हुआ था। 18 फरवरी 2024 को आचार्य श्री विद्यासागर जी का समाधि मरण हो गया ।आचार्य श्री ने अपना सारा जीवन अहिंसा के प्रचार प्रचार में लगा दिया उनके जीवन का उद्देश्य केवल मात्र जीवमात्र के कल्याण, पर्यावरण संरक्षण, धार्मिक व वैश्विक शिक्षा के प्रसार प्रचार,,के प्रति समर्पित रहा उनकी प्रेरणा से अनेकों गौशालाओं का निर्माण करवाया गया तथा हथकरघा उद्योग को भी बढ़ावा मिला। शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए उनकी प्रेरणा से कई स्कूलों व गुरुकुलों की स्थापना भी की गई जिससे की व्यक्ति शिक्षा ग्रहण कर राष्ट्र के निर्माण व विकास में अपना पूर्ण योगदान दे सके। रजत जैन की मांग हैं की देवलोकगगन के पश्चात आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज को देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी को भारत के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न देखकर सम्मानित करना चाहिए ।