बच्चों को करे साइबर क्राइम के प्रति जागरूक

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  • अभिभावक साइबर क्राइम प्रति जागरूक होकर बच्चों को करे साइबर क्राइम के प्रति जागरूक
  • अपने बच्चों को साइबर क्राईम हेल्पलाइन नंबर 1930 के बारे में भी जागरूक करें

city24news@रोबिन माथुर

हथीन| पुलिस अधीक्षक डॉ अंशु सिंगला ने अभिभावकों को सलाह दी है कि वे अपने बच्चों को साइबर क्राइम के प्रति जागरूक करे। साथ ही कहा कि हम सब यह सुनिश्चित करना चाहते है कि हमारा बच्चा साइबर अपराध का शिकार न बने। इसके लिए हमें बच्चों की निगरानी करनी पड़ेंगी। निगरानी की कमी खतरनाक साबित हो सकती है। हम अक्सर बच्चों को माता-पिता के उपकरणों के साथ-साथ संवेदनशील व्यक्तिगत वित्तीय डेटा तक माता-पिता की निगरानी के बिना एक्सेस करते देखते हैं । अपने माता-पिता के फोन तक  पहुंच बेहद खतरनाक है क्योंकि बच्चे इंटरनेट पर हिंसक या आपत्तिजनक सामग्री के संपर्क में आ सकते हैं। अगर बच्चे अपने माता पिता की जानकारी के बिना उनकी ऑनलाइन बैंकिंग सुविधाओ का उपयोग कर ऑनलाइन शॉपिंग करते है तो  कानूनी रूप से यह एक अपराध है। साइबर अपराध कंप्यूटर नेटवर्क, कंप्यूटर संसाधनों या समग्र रूप से डिजिटल संचार उपकरणों की मदद से किए गए अपराध हैं। जबकि बच्चे इस तरह के अपराधों के लिए सबसे अधिक संवेदनशील होते हैं वे किशोर अपराधियों में भी बदल सकते हैं यदि उन्हें उचित रूप से संवेदनशील नहीं बनाया गया है। कुछ ऐसे भी ऑनलाइन गेम है जो बच्चों को आत्महत्या तक के लिए प्रोत्साहित करते है। बच्चे ऑनलाइन गेम के दिखाये जाने वाले दृश्य व संचार आधारित मीडिया द्वारा दिखाई जाने वाली हर चीज सीखते है जबकि ये ऑनलाइन गेम उम्र प्रतिबंधों के साथ आते है परंतु देखने की बात यह है कि इनकी निगरानी कौन करता है। बच्चे अपने सोशल मीडिया या मैसेजिंग सेवाओं के माध्यम से बिना निगरानी और पर्यवेक्षण के इंटरनेट का उपयोग करते है और वे इंटरनेट के माध्यम से अजनबियो के संपर्क में रहते है। इंटरनेट के युग में स्कूल में भी इंटरनेट आधारित असाइनमेंट दिए जाते हैं। कई बच्चे अनजाने में मैसेजिंग साइट्स के जरिए अपने दोस्तों के साथ पर्सनल फोटो या सेल्फी शेयर करते हैं लेकिन ये छिपा हुआ उत्पीड़न हैं। अभिभावक ये कभी नहीं जान पाते कि सामग्री प्राप्त करने वाले बच्चे की अनुपस्थिति में कौन उसका फोन का उपयोग कर सकता है।एसपी ने कहा कि माता-पिता के पास अक्सर अपने बच्चों की निगरानी के लिए समय नहीं होता है। माता-पिता की निगरानी से बचने में बच्चे खुद भी होशियार हो गए हैं फिर भी अपने बच्चों को सुरक्षित रखने के लिए कोशिश करें कि अपने डिजिटल डिवाइस से बच्चे को कभी शांत न करें। स्कैचबुक और क्रेयॉन जैसे पारंपरिक शांतिकारक बिना निगरानी वाली डिजिटल आदतों की तुलना में कहीं बेहतर और सुरक्षित हैं। जब आपका बच्चा आपका फोन लेने के लिए अडिग हो और वह देखने के लिए कहे जो वह देखना चाहता है तो इससे बच्चा यह सीखेगा कि एक रहस्य साझा करने के लिए माता-पिता पर निर्भर किया जा सकता है। जब आप आसपास न हों तो अपने बच्चे को सोशल मीडिया का इस्तेमाल न करने दें। उसे अपना नेटवर्क रखने के लिए तभी प्रोत्साहित करें जब वह खतरों से पूरी तरह वाकिफ हो। उसे अपना दोस्त बनाए ताकि आप उसका मार्गदर्शन कर सकें और उसे अपराधियों से बचा सकें। अपने बच्चे को सोशल मीडिया पर रिपोर्ट करना, ब्लॉक करना और साइबर अपराधियों से बचने बारे सिखाएं। बच्चे को असली और नकली प्रोफाइल में फर्क पहचानना सिखाए। अपने बच्चे से कहें कि वह अकेले में ऑनलाइन शॉपिंग का विकल्प न चुनें। उन्हे बताए कि ऑनलाइन शॉपिंग में आपके कार्ड का प्रतिरूपन हो सकता है।  उन्होंने आगे कहा कि साइबर क्राईम होने पर अपने बच्चे को पुलिस तक पहुंचना सिखाएं। अपने बच्चों को साइबर क्राईम हेल्पलाइन नंबर 1930 के बारे में भी जागरूक करें। यह भी सुनिश्चित करे कि जरूरत पड़ने पर उसके पास पुलिस के साइबर क्राईम प्रिवेंशन सेल की जानकारी है या नहीं।

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