नौ गांवों की जमीन अधिग्रहण मुआवजा को लेकर किसानों ने एडीसी से की मुलाकात

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City24news/अनिल मोहनिया
नूंह । भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष रवि आजाद के नेतृत्व में रोजका मेव इंडस्ट्री एरिया के साथ लगते नौ गांव के कई किसान लघु सचिवालय पहुंचे यहां किसानों के एक प्रतिनिधि मंडल ने एडीसी प्रदीप सिंह से एसडीएम की मौजूदगी में एचएसआईआईडीसी के वरिष्ठ अधिकारियों को लेकर को अपनी मांगों को लेकर अवगत कराया। हाफिज सिराजुद्दीन ने बताया कि हमारी तीन बड़ी मांग है सबसे पहले किसानों को गुमराह करके भूमि अधिग्रहण के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाना से रोकने संबंधित जो पेपर पर साइन कराए गए हैं वह वापस दिया जाए। 2012 से अटकी पड़ी 25 लाख रुपए प्रति एकड़ की राशि ब्याज सहित किसानों को दी जाए तथा जिन नौ गांव की जमीन अधिग्रहण की गई वहां विकास संबंधित कार्य करवाए जाएं उन्होंने बताया कि अधिकारियों ने गांव के विकास संबंधित कार्य एक सप्ताह में शुरू करवाने का आश्वासन दिया है साथ ही दूसरी मांगों के संबंध में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी व संबंधित वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात करवाने का आश्वासन भी दिया है भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष रवि आजाद ने बताया कि किसानों ने अगस्त 2024 से इंडस्ट्री एरिया में सड़क बनाने सीवर व पेयजल लाइन डालने और बिजली ट्रांसमिशन संबंधित कार्य बंद करवा रखे हैं यदि सरकार ने सकारात्मक रुख दिखाकर किसानों की मांगे नहीं मानी तो बड़ा फैसला लेकर आगे की कार्रवाई की जाएगी। किसानों ने कहा कि शुरुआती दौर में की वार्ता सकारात्मक रही है । किसानों की ओर से एक मांग पत्र भी अधिकारियों को सोपा गया।

किसान नेताओं के मुताबिक वर्ष 2010 में अधिग्रहण की मुआवजा राशि 25 लाख रूप्ये प्रति एकड के हिसाब से दिया गया था। उसी समय बल्लभगढ़, फरीदाबाद जिले के 5 गांवों मच्छगर, चदांवली, मुजेडी, नवादा, सौतई की जमीन आईएमटी के लिए अधिग्रहित हुई थी। जिसका मुआवजा भी 25 लाख रुपए प्रति एकड के हिसाब से दिया गया था। उन गांववासियो ने मुआवजा राशी कम समझकर धरना प्रर्दशन शुरू कर दिया। जो कुछ दिन बाद सरकार ने उनकी मांग मान ली और मुआवजा राशि 21 लाख रुपए ओर बढ़ाकर 46 लाख रूपए कर दिया। जब आईएमटी रोजका मेव में लगने वाले 9 गांवों के किसानों को पता चला की मच्छगर, चदांवली, मुजेडी, नवादा, सौतई (बल्लभगढ़, फरीदाबाद) के किसानों का मुआवजा राशि बढ़ा दी गई है तो रोजका मेव के किसानों ने कम मुआवजा को लेकर धरना शुरू कर दिया और धरना लगभग 1.5 साल (18 माह) तक चला। उसके बाद सरकार किसानों के पास आई। जिसमें किसानों और सरकार के नुमाइंदों के बीच बातचीत होकर मुआवजा राशि 46 लाख रुपए प्रति एकड देने की बात हुई और सरकार ने मुआवजा राशि देने से पहले 9 गांवों के भोले भाले और अनपढ किसानों से एक इकरारनामा पर हस्ताक्षर व अंगूठा कराकर 46 लाख रुपए में से 21 लाख रुपए दिया। जब किसानों के सामने यह बात आई तो किसान दोबारा से साल 2013 से धरना पर बैठ गए। किसानों ने धरना प्रर्दशन दोबारा शुरू कर दिया।

किसान शान्तिप्रिय तरीके से अपना धरना प्रर्दशन चलाते रहे। कुछ दिनों के बाद भारतीय जनता पार्टी की सरकार बन गई किसानों ने अपना मुआवजा राशि की गुहार बीजेपी सरकार से लगाई। किसान नेताओं ने कहा कि अधिग्रहण के समय किसानों से लिया गया इकरारनामा को निरस्त किया जाए और बकाया मुआवजा राशि देकर किसानों के साथ न्याय किया जाए। किसान नेता रवि आजाद ने कहा कि सभी दस्तावेज बैठक में किसानों की तरफ से रखे गए हैं। उम्मीद है जल्द ही दशकों पुरानी मांग मंजूर होगी।

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