विश्व इतिहास में अद्वितीय है माता गुजरी की कहानी: धनेश अदलखा
सिख समाज ने जताया विधायक धनेश अदलखा का आभार
बीके चौक पर लगी माता गुजरी कौर और साबिजादों की प्रतिमा की फेसिंग और सुन्दर बनाने व सुरक्षित के लिए
बीके चौक का नाम होगा माताजी चौक-धनेश अदलखा
City24news/जितेन्द्र सिंह
फरीदाबाद। बीके चौक पर लगी माता गुजरी कौर और साहिबजादा बाबा जोरावर सिंह व साहिबजादा बाबा फतेहसिंह सिंह की प्रतिमा की फेसिंग और सुन्दर बनाने के लिए आज सिख समाज ने विधायक धनेश अदलखा का आभार जताया। इस मौके पर निवर्तमान महापौर सुमन बाला,निर्वतमान पार्षद सरदार जसवंत सिंह,निर्वतमान पार्षद मनोज नासवा,मदन थापर, गुरप्रसाद सिंह, गुरदेव सिंह, सुखवंत सिंह बिल्ला, दिलबाग सिंह, गुरजीत सिंह टिट्टू, संजय भाटिया, सचदेवा जी, गुरुमीत सिंह लिटल, गुरुमीत सिंह देवल, रूबी सिंह ईशर, कुलवंत सिंह चहल , मोहन सिंह भाटिया, रणजीत सिंह राणा, राधे श्याम भाटिया, सतपाल सिंह पाला, अमित आहूजा, सतनाम सिंह मंगल, दलजीत सिंह शैंकी, राकेश ओझला, वीरेंद्र अरोड़ा, अजय मक्कड़, संदीप बत्रा, संदीप दत्ता,लक्ष्य मक्कड़ सहित सिख समाज के कई लोग मौजूद थे। इस अवसर पर विधायक धनेश अदलखा ने घोषणा करते हुए कहा कि बीके चौक का नाम जल्दी ही माताजी चौक होगा और बीके चौक से जो हार्डवेयर चौक को जाने वाली सडक़ का यदि कोई नामाकरण नहीं हुआ होगा तो उसका नाम श्री गुरू तेग बहादुर रोड़ होगा। धनेश अदलखा ने कहा कि माता गुजरी कौर, सिख धर्म के नौवें गुरु गुरु तेग बहादुर की पत्नी और दसवें गुरु गुरु गोबिंद सिंह की मां थीं. उनका जन्म 1624 में कपूरथला में हुआ था. माता गुजरी ने सिख धर्म के इतिहास में अहम भूमिका निभाई, उनका जीवन सिख धर्म के प्रति लचीलापन, त्याग, और अटूट भक्ति की कहानी है। उन्होनें अपने पति गुरू तेग बहादुर जी को हिम्मत व दिलेरी के साथ कश्मीर के पंडितों की पुकार सुन धर्मरक्षा हेतू शहीदी देने के लिए भेजने की हिम्मत दिखाई। धनेश अदलखा ने कहा कि विश्व इतिहास में अद्वितीय है माता गुजरी की कहानी। उन्होनें गुरूद्वारे कमेटी के पदाधिकारियों से अपील की कि वे रागियों का पंजीकरण करवाएं ताकि हम उन्हें भी मेडीक्लेम सुविधा दे सके ताकि वो ईएसआई से अपना ईलाज करवा सके। इस मौकेपर निर्वतमान महापौर सुमन बाला,निर्वतमान पार्षद सरदार जसवंत सिंह और निर्वतमान पार्षद मनोज नासवा ने कहा कि माता गुजरी कौर नारी शक्ति की प्रतीक,वात्सल्य,सेवा,परोपकार,त्याग,उत्र्सग की शक्तिस्वरूपा थी जिन्होनें अपने पति गुरू तेग बहादुर को लड़ते देखा और बड़ी दिलेरी से उनकी हौसला अफजाई कर हिम्मत एवं धैर्य का पचिय दिया।