सरसों की पैदावार के लिए प्रदेश में दूसरा स्थान रखने वाले नूंह जिले के किसानों की सरसों की फसल पर संकट के बादल छाए हुए हैं
City24news/अनिल मोहनिया
नूंह | हरियाणा प्रदेश में सरसों उत्पादन में दूसरा स्थान रखने वाले जिला नूंह के किसानों पर संकट के बादल छाए हुए हैं। सरसों की फसल बोने वाले किसान फसल में पहला नहरी पानी दे रहे हैं। जिसके बाद फसल खराब होती नजर आ रही है। फसल का खराब होने का कारण नहरी पानी है। जिसमें अधिक केमिकल होने की वजह से फसल गल रही है।
नूंह जिले के उप मंडल कृषि अधिकारी डॉ अजीत से जब इस बारे में बात की गई तो उन्होंने कहा कि नूंह जिले का अधिकतर किसान नहरी पानी अपनी फसलों में लगता है नहरी पानी में केमिकल अधिक होते हैं जिन किसानों के द्वारा सरसों की फसल में नहरी पानी लगाया है उन किसानों की सरसों की फसल खराब हो गई है।
नूंह के उपमंडल कृषि अधिकारी डॉ अजीत सिंह ने बताया कि नूंह जिले में कुल सरसों का रखवा 30 हज़ार हेक्टेयर के आसपास है और उन्होंने कहा कि सरसों की फसल ज्यादा सेंसिटिव क्रॉप है और पानी के अगेंस्ट है तो इसमें सभी किसान भाइयों से कहना चाहूंगा कि एक तो इसमें सबसे पहले हल्का पानी देना चाहिए। उन्होंने कहा कि यहां पर एक माइनर ट्रेन है । उसमें हमने टेस्टिंग कराई थी तो इसके अंदर मेटल और कुछ पेस्टिसाइड है। जिसकी वजह से इस नहर का पानी लगे से सरसों की फसल खराब हो रही है।
उप मंडल कृषि अधिकारी डॉ अजीत ने कहा कि किसानों को नहरी पानी अपनी फसलों में नहीं देना चाहिए और इसके अलावा उन्होंने कहा कि जिन किसानों की सरसों की फसल में नुकसान हुआ है उन किसानों को खराब हुई सरसों की फसल में एक सप्रे करें जिसमें ढाई किलो नाइट्रोजन और 400 से 500 ग्राम जिंक सल्फेट लेकर दोनों का घोल बनाकर 150 से 200 लीटर पानी में मिला ले और हर 15 दिन बाद इस घोल का स्प्रे खेत में करें। इस स्प्रे को करने के बाद 70 से 80% फसल में सुधार होगा और किसान को होने वाले नुकसान से कुछ निजात मिल सकेगी।