हिंदू विद्या निकेतन नूंह में हवन करके मनायी जन्म जयंती एवं पुण्यतिथि पर स्वदेशी दिवस
City24news/अनिल मोहनिया
नूंह | राजीव दीक्षित की जन्म जयंती एवं पुण्यतिथि पर स्वदेशी दिवस हिंदू विद्या निकेतन नूंह में हवन करके मनाया गया जिसमें स्वदेशी प्रवक्ता राजीव संस्था के संयोजक आचार्य राजेश ने कहा कि अमर बलिदानी राजीव भाई की पावन स्मृति को प्रणाम करते हुए उनकी राष्ट्रभक्ति , धर्म संस्कृति के प्रति भावना , विशुद्ध भारतीय विचारधारा , सिद्धांतों को याद करते हुए आज उनकी शारीरिक उपस्थिति की कमी को हम अनुभव करते हैं कि आज वो होते तो भारत का आधार ही कुछ अलग होता । 30 नवंबर 1967 को राजीव भाई का जन्म हुआ था और 30 नवंबर 2010 को उनका सर्वोच्च बलिदान इस राष्ट्र हेतु हो गया जिसके जाने से देशद्रोही , धूर्त, , अवसरवादी , योग व्यापारी , स्वार्थी कमर्शियल सरीखे लोगो को लाभ हुआ ।
आज राजीव भैया अपने विचारो से हमारे जज्बातो में आज भी उपस्थिति है किंतु उन्हें गए आज 14 वर्ष बीत गए है जो 14 वर्ष का वनवास ही प्रतीत होते हैं हम सबके लिए । आज उनकी 57 वी जन्मतिथि एवं 15 वी पुण्यतिथि है और आज के दिन देश में उनके कार्यकर्ताओं द्वारा स्वदेशी दिवस मनाया जाता है । सुभाष चंद्र राष्ट्रचिंतक ने बताया कि आप सभी देश में उनके कार्यकर्ता राजीववादी साथी पूरी निष्ठा, ईमानदारी के साथ उनके जाने के बाद उनके विभिन्न कार्यो को उनकी प्रेरणा से कर रहे है जिसे देखकर सुखद एहसास होता है । गौमाता के महत्व, व्यवस्था परिवर्तन , स्वदेशी , गो आधारित व्यवस्था , विषमुक्त खेती , गुरुकुल शिक्षा पद्धति आदि सभी कार्यो एवं प्रकल्प के प्रति आप सभी अपने अपने स्तर पर कार्य निरंतर कर रहे हैं जिसे देखकर हमे बड़ी प्रसन्नता एवं गौरव अनुभूत होता है कि राजीव भैया जैसे आदर्श पर सभी कार्यकर्ता उनके पदचिन्हों में चलने का प्रयास कर रहे हैं बल्कि यह उनके द्वारा ही हो सका जिसके कारण हम सभी इस राह पर चल सके हैं । सूबेदार मेजर लालचंद आर्य ने बताया कि
जिस प्रकार भारत में अंग्रेजो के समय से ही एकीकृत जाग्रत देशभक्त लोगो का प्रयोग किया जाता रहा है उसी तरह वर्तमान दशकों में राजीव भाई के जाग्रत समुदाय को विभिन्न मुद्दों एवं लोगो द्वारा मूल विचार एवं लड़ाई से दूर करके अपने अपने हितो में प्रयोग हेतु सुनियोजित तरीके से कमर्शियल बुद्धिजीवी लोगो द्वारा दिग्भ्रमित किया जा रहा हैं। राजीव भाई की जाग्रत राजीववादी पौध को हाइब्रिड , जीएम बनाकर राजीव भाई की विचाधारधारा में हो रही संकरता के प्रति हम सभी को समझने की आवश्यकता है जिसके कारण हमारे साथी राजीव भाई की मूल लड़ाई से दूर दूसरे लोगो के द्वारा प्रयोग किए जा रहे हैं । यह बात समझ लीजिए कि राजीव भाई जैसा या राजीव भाई कोई दूसरा नहीं है अपितु उनकी आड़ में आज राजीववादी लोगो को दिग्भ्रमित करने वाले पोलिटिकल , बुद्धिजीवी एवं कमर्शियल क्रांतिकारी मार्केट में बहुत है जो अवसरों के आधार पर राजीव भाई के लोगो को अपने अपने मुद्दों, संगठनों एवं स्वार्थ पर साधते जा रहे हैं । कवि वेदपाल आर्य ने कहा राजीव भाई का सपना था भारत को भारतीयता की मान्यता के आधार पर फिर से खड़ा करना। आचार्य राजेश ने कहा
इनफार्मेशन , लेक्चर और नॉलेज को सबसे पहले कहीं से कॉपी करके लोगो को सुनाने का नाम श्री राजीव दीक्षित नहीं था अपितु त्याग, पवित्रता , सुचिता, भारतीयता , सरलता , निश्छलता, निष्पक्षता, स्पष्टवादिता का सिद्धांत थे राजीव भाई जिनके समान किसी भी व्यक्ति की तुलना , महिमामण्डन करना लोगो की कोरी भावुकता का परिचय मात्र है इसी कारण कोरोना काल में अंधानुकरण विवेकशून्यता से लोगो ने २~३ कमर्शियल लोगो को राजीव दीक्षित के तौर पर ही प्लांट कर दिया ।
कठिन विपरीत समय में भले ही देशहित में हम कोई भी
व्यक्ति अच्छा कार्य करे समाज , राष्ट्रहित में तो उसका साथ देना चाहिए , उपयुक्त लड़ाई में साथ देना दीजिये एक कार्य की सीमा तक जिसका कोई दुष्प्रभाव ना हो तो लेकिन अपनी कोरी भावुकता में , अधैर्यता से राजीव दीक्षित जी के जैसा आदर्श और स्थान किसी भी व्यक्ति को ना दीजिए । राजीव भाई का कार्य कोई एक व्यक्ति , एक संगठन नहीं कर रहा बल्कि उनके कार्य को आज लाखो लोग मिलकर कर रहे हैं अतः सैद्धांतिक धरातल में कमर्शियल लोगो के आधार पर नहीं , मर्यादित भारतीयता के उच्च आदर्श और सोपान में उनके कार्यो पर चलने वाले लोग है । इतने वर्षों में राजीव भाई के जाने के बाद खड़े धर्मनिष्ठ राष्ट्रवादी राजीववादी लोग कार्य की तड़प के कारण कोरी भावुकता में आज विभिन्न लोगो द्वारा राजीव भाई की भावना उनके समर्पित लोगो को अपने अपने खेमे में लेकर राजीव भाई की फसलो को काटे जा रहे है जिसके कारण आज राजीव भाई के मूल अभियान और लड़ाई से उनके काफ़ी राजीववादी ही दूर हो रहे हैं । ऐसे लोगो का राजीव भाई के मूल विचारो से हटकर वैचारिक परिवर्तन हो रहा है और उन्हें स्वयं भी नहीं पता की वो विभिन्न लोगो के द्वारा प्रयोग हो रहे हैं तथा उन्हें वामपंथ का तड़का लगाकर, स्वार्थ के तवे में पकाकर , अंधविरोध को राष्ट्रप्रेम बताकर , धर्म -भारतीयता से किनारे कराकर विभिन्नलोग प्रयोग में लेते जा रहे हैं ।
स्कूल के प्रधानाचार्य पृथ्वीराज कौशल ने कहा राजीव दीक्षित युग पुरुष नहीं बल्कि युग युग के पुरुष थे महर्षि दयानंद के बाद राजीव दीक्षित का नाम ही आता है राजीव भाई का प्रत्येक समर्पित अंतिम व्यक्ति स्वयं में राजीव दीक्षित जी की छाया है। इस अवसर पर टिंकू, राधेश्याम, जतिन, कैलाश स्कूल का आचार्य वर्ग भी उपस्थित रहा।