स्वास्थ्य विभाग की एडवाइजरी के अनुरूप विशेष सावधानी बरतें जिलावासी :- उपायुक्त प्रशांत पंवार।
प्रदूषण से बचाव के लिए स्वास्थ्य विभाग ने जारी की एडवाइजरी
City24news/अनिल मोहनिया
नूंह | एकाएक बढ़ते वायु प्रदूषण के चलते नागरिकों के स्वास्थ्य की सुरक्षा को लेकर स्वास्थ्य विभाग ने विशेष एडवाइजरी जारी की है। उपायुक्त प्रशांत पंवार ने जिला के नागरिकों से स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी की गई एडवाइजरी के अनुरूप विशेष सावधानी बरतने की अपील की है।
स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी एडवाइजरी के अनुसार वायु प्रदूषण के मुख्य स्रोत बाहरी वायु प्रदूषण (एंबिएंट एयर पॉल्यूशन), मानवीय गतिविधियों से उत्पन्न प्रदूषण, औद्योगिक उत्सर्जन (जीवाश्म ईंधन जलने, प्रक्रिया और फ्यूजिटिव उत्सर्जन), वाहनों का एमिशन, सडक़ पर उडऩे वाली धूल, निर्माण और विध्वंस गतिविधियां, प्राकृतिक स्रोतों से उत्पन्न प्रदूषण, कूड़ा जलाना (कूड़ा, हॉर्टिकल्चर वेस्ट, फसल अवशेष आदि), खाना पकाने और आतिशबाजी के लिए ठोस ईंधन का उपयोग है द्य वायु प्रदूषण भारत में स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्याओं का कारण है और इसके लिए तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है।
वायु प्रदूषण का बुरा असर
वायु प्रदूषण से सबसे ज्यादा असर बच्चों, बुजुर्ग, गर्भवती महिलाओं और बीमार लोगों पर होता है द्य अंतर्निहित चिकित्सा स्थितियों (विशेष रूप से पुरानी फुफ्फुसीय या हृदय संबंधी समस्याओं) वाले रोगियों, गर्भवती महिलाओं, छोटे बच्चों और बुजुर्गों को अधिक सावधान रहना चाहिए और वायु प्रदूषण के संपर्क में आने से बचना चाहिए।
सिविल सर्जन डॉक्टर सरबजीत थापर ने बताया की वायु प्रदूषण एक प्रमुख पर्यावरणीय खतरा है जो कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है। वायु प्रदूषण से निमोनिया, अस्थमा और क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) सहित तीव्र और दीर्घकालिक श्वसन संबंधी रोग हो सकते हैं। वायु प्रदूषण से इस्केमिक हृदय रोग और स्ट्रोक हो सकता है। वायु प्रदूषण से फेफड़ों का कैंसर हो सकता है। वायु प्रदूषण से संज्ञानात्मक हानि और मनोभ्रंश हो सकता है। वायु प्रदूषण से समय से पहले जन्म और जन्म के समय कम वजन का जोखिम बढ़ सकता है। वायु प्रदूषण से मृत जन्म और गर्भपात का जोखिम बढ़ सकता है।
क्या करें :
आँखों को नियमित रूप से स्वच्छ पानी से धोएं, गुनगुने पानी से नियमित गरारे करें, सार्वजनिक परिवहन या कार पूल का प्रयोग करें, घरों व कार्य स्थलों के अन्दर झाड़ू लगाने की बजाए गिला पोछा लगाएं, सांस फूलने, सीने में तकलीफ या दर्द, खांसी, आँखों में जलन होने पर तुरंत डॉक्टर की सलाह लें।