पौधारोपण कर पर्यावरण को बचाने की दिशा में कदम उठाएं। केदारनाथ अग्रवाल

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City24news/सुमित गोयल
फरीदाबाद अग्रवाल वैश्य समाज ने प्रदेश में बिगड़ रही पर्यावरण की स्थिति पर चिंता जाहिर करते हुए कहा है कि प्रदूषित हो रहा पर्यावरण इस बात का सूचक है कि हमें अपने पर्यावरण को बचाए रखने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे। जिनमें हमें पेड़ पौधों को लगाने पर जोर देना होगा। सड़कों के किनारे बड़े पेड़ लगाने होंगे ताकि गाड़ियों से पैदा होने वाले प्रदूषण को रोकने की दिशा में काम हो सके।अग्रवाल वैश्य समाज के संगठन मंत्री केदार नाथ अग्रवाल ने कहा कि प्रदेश के बिगड़ते पर्यावरण को देखते हुए अग्रवाल वैश्य समाज में फैसला किया है कि आने वाली 22 नवंबर को संगठन के स्थापना दिवस के अवसर पर संगठन के कार्यकर्ता अपने-अपने शहरों में पौधारोपण कर पर्यावरण को बचाने की दिशा में कदम उठाएंगे। इससे समाज के लोग प्रदेश के पर्यावरण के प्रति अपनी चिंता जाहिर करेंगे और उसकी रक्षा के प्रति अपना कर्तव्य निभाएंगे।

केदार नाथ अग्रवाल ने कहा कि सरकार ने पर्यावरण प्रदूषण को रोकने के लिए जो उपाय किए हैं वह गैर जरूरी और सही नहीं हैं।

उन्होंने कहा कि हर साल इन दिनों में यह समस्या सामने आ रही है। सरकार को चाहिए कि वह इस समस्या के मूल कारणों में जाकर उसका वैज्ञानिक और व्यवहारिक समाधान तलाशना चाहिए। उन्होंने कहा कि इसके लिए किसानों के सिर पर ठीकरा फोड़ना एक सामान्य सी बात हो गई है लेकिन इसके पीछे के मूल कारणों को जानकर ही समाधान किया जा सकता है।

उन्होंने बताया कि अशोक बुवानीवाला ने ग्रेप 4 के नियमों के कारण निर्माण कार्य बंद होने पर चिंता जताते हुए बताया है कि इससे प्रदेश में 5 लाख से ज्यादा लोगों का रोजगार प्रभावित हुआ है। प्रदेश में 5 लाख मजदूर हाथ पर हाथ धरकर बैठने पर मजबूर हो गया है। ऐसे में उसके सामने रोजी-रोटी का संकट भी पैदा हो गया है। 

केदार नाथ अग्रवाल ने कहा कि जहां तक पराली का सवाल है। यह सही है की पराली को जलाने से रोकने की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए लेकिन यह भी सच है कि आज से 10 साल पहले भी पराली जलती थी, लेकिन तब पर्यावरण पर इतना असर नहीं होता था। उन्होंने कहा कि प्रदूषण की असली वजह इस समय का मौसम भी है और ऐसे में सरकार को ठोस कदम उठाते हुए निजी वाहन जो पेट्रोल और डीजल से चलते हैं उनको रोकने की दिशा में कदम उठाना चाहिए और सार्वजनिक वाहनों पर जोर देना चाहिए। उन्होंने कहा कि स्कूलों में पांचवी तक की कक्षाएं बंद करने से स्कूल वाहनों के संचालन में कोई फर्क पड़ने वाला नहीं है। अगर सरकार स्कूलों में आने वाले अध्यापकों की गाड़ियों से आने पर प्रतिबंध लगाती तो पर्यावरण में कुछ सुधार नजर आ सकता था।

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