प्रयागराज में जनवरी माह में आरभ होगा महाकुम्भ

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-13 जनवरी से 8 मार्च तक चलने वाले मेले में होगें 8 शाही स्नान
-मेला प्रशासन ने 13 अखाडों के साधुओं को की जमींन आलट
-सुरंक्षा व्यवस्था के होगें पुख्ता इंतजाम

City24news/सुनील दीक्षित
कनीना | प्रयागराज में 12 वर्ष बाद आयोजित होने वाले महाकुंभ मेले को लेकर यूपी सरकार की ओर से युद्व स्तर पर तैयारियां की जा रही हैं। इस मेले में हरियाणा के महेंद्रगढ जिले सहित विभिन्न हिस्सों से श्रधालु जाने की योजना बनाने लगे हैं। अपर मेलाधिकारी विवेक चतुर्वेदी  ने बताया कि महाकुंभ मेला 2025 की विधिवत शुरुआत 13 जनवरी 2025 से होगी जो 8 मार्च तक जारी रहेगी। इस दौरान 8 शाही स्नान होगें। प्रयागराज में आयोजित होने वाले इस महाकुंभ में दूर-दूर से श्रधालु गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों के संगम पर डुबकि लगाएगें। मेले में जनसुविधाओं को लेकर सरकार की ओर से कार्य किया जा रहा है। इस मेले में देश-विदेश से लाखों लोग हिस्सा लेते हैं। इसे हिंदू ओर सनातन धर्म का सबसे बड़ा उत्सव माना जाता है। सरकारी आंकडे के मुताबिक 2013 में आयोजित महाकुंभ में 3 करोड लोग कुंभ स्नान के लिए लाए थे। गंगा नदी के तटपर आयोजित होने वाले कुंभ में इस बार भी करोडों श्रधालुओं के पंहुचने की संभावना है। आधुनिक इलाहाबाद में ’प्रयाग’ हिंदुओं के लिए सबसे महत्वपूर्ण तीर्थस्थल माना जाता है। लेकिन संगम में संगम का महत्व सबसे पवित्र है जहां पवित्र गंगा, यमुना और पौराणिक सरस्वती मिलकर एक हो जाती हैं।
अमृत की 4 बूंदो से प्रसिद्व हुए 4 तीर्थ
कनीना वासी कंवरसैन वशिष्ठ ने प्रचलित दतकथाओं के माध्यम से बताया कि भगवान विष्णु अमृत का कुंभ ’घड़ा’ लेकर जा रहे थे, तभी हाथापाई हुई और चार बूंदें छलक गईं। जो प्रयाग, हरिद्वार, नासिक और उज्जैन के चार तीर्थों पर जा गिरी। कालांतर में चारों तीर्थ स्थान के रूप में प्रसिद्व हुए। तीर्थ वह स्थान है जहाँ भक्त मोक्ष प्राप्त कर सकते हैं। इन स्थानों पर यह आयोजन प्रत्येक तीन साल में कुंभ मेले के रूप में आयोजित होता है। जो प्रत्येक तीर्थ पर बारी-बारी से आयोजित किया जाता है। प्रयागराज के संगम को तीर्थराज, ’तीर्थों का राजा’ के रूप में जाना जाता है और यहाँ हर बारह साल में एक बार कुंभ आयोजित किया जाता है, जो सबसे बड़ा और सबसे पवित्र है। एक महीने से अधिक समय तक चलने वाले इस महाकुंभ में एक विशाल तंबूनुमा बस्ती का निर्माण किया जाता है, जिसमें झोपड़ियाँ, चबूतरे, नागरिक सुविधाएँ, प्रशासनिक और सुरक्षा उपाय शामिल होते हैं। इसे सरकार, स्थानीय अधिकारियों और पुलिस द्वारा शानदार तरीके से आयोजित किया जाता है। यह मेला विशेष रूप से धार्मिक तपस्वियों-साधुओं और महंतों – की असाधारण उपस्थिति के लिए प्रसिद्ध है, जो जंगलों, पहाड़ों और गुफाओं में दूर-दराज के ठिकानों से आकर्षित होकर आते हैं।
एक बार जब ज्योतिषी शुभ स्नान,समय या कुंभयोग निर्धारित कर लेते हैं, जिसमें सबसे पहले नागा साधुओं की सेना पानी में उतरती है, जो अपने नग्न शरीर को राख से ढकते हैं लंबी जटाओं में बाल रखते हैं। साधु, अपने आप को आस्था के संरक्षक के रूप में देखते हैं, एक आक्रमणकारी सेना की तरह धूमधाम और बहादुरी के साथ निर्धारित समय पर संगम पर पहुँचते हैं।  
संगम
इस स्थान पर गंगा का भूरा पानी यमुना के हरे पानी से मिलता है, साथ ही पौराणिक सरस्वती भी मिलती है, जो अदृश्य है लेकिन माना जाता है कि वह भूमिगत बहती है। यह सिविल लाइंस से लगभग 7 किमी दूर स्थित है, जहाँ से अकबर किले की पूर्वी प्राचीर दिखाई देती है। पवित्र संगम की ओर विस्तृत बाढ़ के मैदान और कीचड़ भरे तट फैले हुए हैं। नदी के बीच में पुजारी पूजा करने के लिए छोटे-छोटे चबूतरों पर बैठते हैं और उथले पानी में श्रद्धालुओं की पूजा-अर्चना में मदद करते हैं। संगम के पानी में डुबकी लगाना हिंदू धर्मावलंबियों के लिए सबसे पवित्र तीर्थ माना जाता है। महाकुंभ के दौरान संगम वास्तव में जीवंत हो उठता है।
महाकुंभ के लिए किया जा रहा व्यापक प्रबंध
प्रयागराज में महाकुम्भ 2025 के लिए मेला क्षेत्र में 13 अखाड़ों की बसावट का पहला चरण पूरा हो गया है। अपर मेलाधिकारी विवेक चतुर्वेदी ने बताया कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर कुम्भ मेला प्रशासन ने अखाड़ों के संतों की सहमति से मेला क्षेत्र में छावनी बसाने के लिए सभी 13 अखाड़ों को मंगलवार को भूमि आवंटित कर दी। अपर मेलाधिकारी ने बताया कि मंगलवार को तीन वैष्णव अखाड़ों को भी कुंभ क्षेत्र के अखाड़ा सेक्टर में मेला प्रशासन की तरफ से भूमि दी गई।
उन्होंने बताया कि महाकुम्भ मेला 14 जनवरी, 2025 को मकर संक्रांति स्नान पर्व के साथ शुरू होगा जो करीब 40 दिन चलने के बाद 26 फरवरी, 2025 को महाशिवरात्रि स्नान के साथ संपन्न होगा।
’महाकुंभ 2025 के शाही स्नान की तिथियां’
– 13 जनवरी पौष पूर्णिमा पर शाही स्नान की शुरुआत होगी।
– 14 जनवरी मकर संक्रांति पर शाही स्नान होगा
– 29 जनवरी मौनी अमावस्या पर शाही स्नान होगा।  
– 03 फरवरी वसंत पंचमी पर शाही स्नान होगा।
– 04 फरवरी अचला सप्तमी पर स्नान होगा।
– 12 फरवरी माघ पूर्णिमा पर शाही स्नान होगा।
-26 फरवरी महाशिवरात्री पर शाही स्नान।  
– 08 मार्च कोे स्नान के बाद कुंभ स्नान का होगा।

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