किसान डी.ए.पी. खाद के विकल्प के रूप में एन.पी.के. खाद को दें प्राथमिकता : डीडीए विरेंद्र देव आर्य

0

City24news/अनिल मोहनिया
नूंह | जिला में लगभग 63 हजार हेक्टेयर में होती है गेहूं की बिजाई, जिला में लगभग 32 हजार हेक्टेयर में होती है सरसों की बिजाई | कृषि एवं किसान कल्याण विभाग ने जिला में बढ़ाई डीएपी खाद की सप्लाई, कृषि एंव किसान कल्याण विभाग के उप निदेशक डा. विरेंद देव आर्य ने बताया कि रबी सीजन के दौरान किसानो को डी.ए.पी. खाद की किल्लत न झेलनी पडे, इसके लिए कृषि विभाग ने कमर कस ली है, जिसके अंतर्गत एक तरफ जहां कृषि विभाग ने डी.ए.पी. का पर्याप्त स्टॉक बनाए रखने का रोडमैप तैयार किया है। वहीं दूसरी तरफ कृषि विभाग किसानों को डी.ए.पी. के विकल्प के तौर पर एन.पी.के. तथा एस.एस.पी खाद का इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित कर रहा है। उन्होंने कहा कि किसान रबी सीजन की प्रमुख फसलें सरसों और गेंहू की बिजाई करने की तैयारियों में जुट गए है। ऐसे में डी.ए.पी. खाद की डिमांड बढ़ गई है। नूंह जिले में रबी सीजन के दौरान अक्तूबर, नवंबर व दिसंबर माह में करीब 8 हजार एम.टी. डी.ए.पी. खाद की डिमांड रहती है। उक्त डिमांड को पूरा करने के लिए एक तरफ  जहां कृषि विभाग ने खाद के रैक मंगवाने की रणनीती तैयार की है, वहीं दूसरी तरफ डी.ए.पी के विकल्प भी किसानों के सामने रखे हैं। 

  उन्होंने बताया कि नूंह जिले में रबी सीजन के दौरान करीब 62 से 63 हजार हैक्टेयर भूमि में गेंहू की बिजाई की जाती है इसके अतिरिक्त 30 से 32 हजार हैक्टेयर में सरसों की फसल उगाई जाती है। किसान धान, बाजरा की बिक्री करके अब खाद लेकर जा रहें है। मौजूदा समय में नूंह जिले मे आज 839 एम.टी. डी.ए.पी, 373 एम.टी. एन.पी.के तथा 125 एम.टी. एस.एस.पी उपलब्ध है। कृषि विभाग ने डी.ए.पी की सप्लाई को बढाया है। दूसरी तरफ रासायनिक खाद की खपत को कम करने के लिए एक तरफ जहां कृषि विभाग किसानों को प्राकृतिक खेती पद्धति के गुर सिखा रहा है, वहीं दूसरी तरफ रबी सीजन में इस बार नैनो यूरिया व नैनो डी.ए.पी. के इस्तेमाल के प्रति भी किसानो को जागरूक कर रहा है। कृषि विभाग द्वारा ड्रोन के माध्यम से भी किसानो को खाद का छिडक़ाव करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है।  उप निदेशक ने बताया की रबी सीजन की शुरूवात हो चुकी है। किसानों की खाद की किल्लत ना झेलनी पडे, इसके लिए विभाग का हर सम्भव कदम उठा रहा है। जिले में डी.ए.पी. खाद की कोई कमी नहीं है। किसानो से आह्वïान किया जाता है कि वे आवश्यकता से अधिक खाद का स्टॉक ना करें। इसके अतिरिक्त नैनो डी.ए.पी. व एन.पी.के. खाद को भी विकल्प के तौर पर इस्तेमाल कर सकते हैं। 

  उन्होंने कहा कि जिले में डी.ए.पी की डिमांड को कंट्रोल करने के लिए कृषि विभाग लगातार डी.ए.पी, के विकल्प भी तलाश रहा है। जिसके अंतर्गत अब एन.पी.के व एस.एस.पी. खाद को भी बढावा देने के लिए किसानों को जागरूक किया जा रहा है।  एन.पी.के. उर्वरक मुख्य रूप से नाईट्रोजन,फॉस्फोरस ओर पोटाश्यिम से बना होता है। नाईट्रोजन पौधों को तेजी से बढ़ाने में मदद करता है, साथ ही बीज और फसलों के उत्पादन को भी बढाता है और प्रकाश संशलेशण में भी सहायता करता है। डी.ए.पी. पौधों की जड़ो को लम्बा व मजबूत करता है पोटास से पौधो में कीट व बिमारियों के विरुद्घ प्रतिरोधक क्षमता आती है। उन्होंने किसानों से आह्वïान कि वे डी.ए.पी के विकल्प के तौर पर एन.पी.के. का इस्तेमाल कर सकते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *