आज सांय 5ः40 से 8ः17 तक कर सकते हैं दीपावली पूजन
दीवाली के समय लक्ष्मी,गणेश व सरस्वती की नवीन प्रतिमओ में होती है पूजा
City24news/सुनील दीक्षित
कनीना | विद्व ब्राह्मण संगठन के संरक्षक आचार्य मनीष निर्मल शास्त्री ने कहा कि दीपावली के अवसर पर,अमावस्या तिथि को भगवान गणेश एवं देवी लक्ष्मी की नवीन प्रतिमाओं की पूजा की जाती है। लक्ष्मी-गणेश पूजा के अतिरिक्त इस दिन कुबेर पूजा तथा बही-खाता पूजा भी की जाती है। दीवाली के समय लक्ष्मी,गणेश सरस्वती पूजा,दीवाली पूजा मुहूर्त में ही की जानी चाहिये। दीवाली पूजा मुहूर्त निर्धारित करनें में स्थिर लग्न, प्रदोषकाल एवं अमावस्या तिथि पर विचार किया जाता है। सम्पूर्ण दीवाली पूजा में निम्नलिखित पूजा सम्म्लित होती हैं। इस बार बृहस्पतिवार, 31 अक्टूबर को दीपावली पूजन का शुभ समय प्रदोष काल सांय 5ः40 से 8ः17 बजे का है। इस दौरान पूजन करना श्रेष्ठफलदायक है। वृषभ लगन 6ः29 से 8ः25,निशीथ काल रात्रि 11ः36 से 12ः26 और सिंह लगन रात्रि 12ः59 से 3ः15 बजे तक हैं।
दीपावली पूजन में निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिये। ’आत्म-शोधन-आन्तरिक एवं बाह्य आत्म शुद्धि।’संकल्प-सम्पूर्ण विधि-विधान से दीवाली पूजा के अनुष्ठान सम्पन्न करने का पवित्र संकल्प ग्रहण किया जाता है। शान्ति पाठ-समस्त प्राणियों के जीवन में सुखः, शान्ति व समृद्धि हेतु शान्ति पाठ किया जाता है। मंगल पाठ-समस्त प्राणियों की मनोकामनाओं की पूर्ति हेतु मंगल पाठ किया जाता है। कलश स्थापना-कलश स्थापना की जाती है।’गणपति पूजा- संक्षिप्त पंच-चरणीय गणेश पूजन विधि। ’विसर्जन-प्रार्थना द्वारा औपचारिक रूप से दीवाली पूजा सम्पन्न करना’। उपरोक्त पूजा सम्पूर्ण विधि-विधान से की जाती है। सम्पूर्ण दीवाली पूजा सम्पन्न करने में कुछ घण्टों का समय लग सकता है। यह सम्भव है कि लक्ष्मी पूजा मुहूर्त अल्प समय के लिये ही उपलब्ध हो और उसमें सम्पूर्ण दीवाली पूजा सम्पन्न न की जा सके। अतः दीवाली पूजा, लक्ष्मी पूजा मुहूर्त से पूर्व ही आरम्भ की जा सकती है, जिससे लक्ष्मी पूजा का समय उपलब्ध मुहूर्त के साथ संयोजित हो सके। शेष पूजा, लक्ष्मी पूजा मुहूर्त के समाप्त होने के पश्चात् भी की जा सकती है। यह स्मरण रहे कि दीवाली पूजा में प्रज्वलित किया गया दीप रात्रि पर्यन्त निर्विघ्न प्रज्वलित रहना चाहिये। पूजनोपरान्त श्रीसूक्त, लक्ष्मी सूक्त तथा देवी लक्ष्मी की अन्य स्तुतियों का पाठ करना चाहिये। यदि सम्भव हो तो देवी लक्ष्मी की स्तुति हेतु जागरण करना चाहिये।