डीएपी खाद नहीं मिलने पर हो रही रबि फसल बिजाई में देरी

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किसान दिन में मंडी में बाजरा बेचने जाते हैं तो रात के समय करते हैं खेतों में कार्य
बौना साबित हो रहा है आधार कार्ड के माध्यम से 3 बैग खाद देने का फार्मुला  

City24news/सुनील दीक्षित
कनीना | खरीफ फसल के भंडारण के बाद अब अचानक डीएपी खाद की मांग बढ गई है। खाद बिक्री केंद्र पर प्रतिदिन किसानों की कतारें लग रही हैं। विदित रहे कि क्षेत्र के किसान खरीफ फसल को सुलझाकर रबि फसल की बिजाई कार्य में जुट गए हैं। कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक 20 अक्टूबर तक सरसों तथा 15 नवम्बर तक गेहूं बिजाई का उत्तम समय माना गया है। जिसके लिए किसान खेतों की जुताई कर पलेवा कार्य कर रहे हैं। सरसों व व गेहूं की बिजाई के लिए किसान डीएपी खाद का जुगाड कर रहे हैं। जिसके लिए मारामारी मची हुई है। इफको किसान सेवा केंद्र, हैफेड तथा प्राईवेट खाद-बीज बिक्री केंद्रों पर डीएपी के लिए कतारें लग रही हैं। आधार कार्ड के माध्यम से राशनिंग करते हुए खाद का वितरण किया जा रहा है। कहने को तो इफको किसान सेवा केंद्र पर एक आधार कार्ड पर 3 बैग डीएपी अलाट किए जा रहे हैं लेकिन सिफारिश हो तो एक व्यक्ति को 30 बैग भी दे दिए जाते हैं। कनीना केंद्र पर ऐसा ही मामला सामने आया है। जिसमें एक ओर खाए के लिए किसान कतारबध खडे हैं, वहीं से ककराला का एक व्यक्ति एक-एक कर 30 बैग डीएपी ले जाता है। जिसका जवाग केंद्र संचालक के पास भी नहीं है। किसान सत्यवीर सिंह रामबास,नरेंद्र सिंह छितरोली, रोशन सिंह नांगल ने बताया कि सरसों तथा गेहूं की बिजाई से पहले डरएपी खाद की बिजाई की जाती है, तब कहीं जाकर सरसों उगती है। डीएपी खाद समय पर उपलब्ध न होने पर किसान सरसों की बिजाई से लेट हो रहे हैं। किसानों ने कहा कि बीती 30 जुलाई सेे माॅनसून की बारिश होने के बाद कुंए की मोटर बंद की गई थी जो कमोबेश बंद हैं। समय-समय पर बारिश होने पर उनकी ओर से ट्यूवैल से फसल की सिंचाई नहीं की गई। नहरों में भी पानी की खासी सप्लाई हुई है। समय-समय पर बारिश होने के कारण सरसों बिजाई के लिए कहीं-कहीं पर पलेवा करने की जरूरत भी नहीं है। हालांकि पलेवा के लिए नहरो में पानी छोड दिया गया है वहीं कृषि के लिए एग्रीकल्चर फीडर में बिजली की समुचित सप्लाई की जा रही है। दिनरात एक कर किसान खेत खाली कर रहे हैं। दिन के समय मंडी में बाजरा बेचने जा रहे है तो रात्री के समय सरसों बिजाई के लिए खेतों में कार्य कर रहे हैं।
दक्षिण हरियाणा के साथ लगते राजस्थान के अलवर, झंझुनु, बहरोड, चूरू क्षेत्र के किसान भी हरियाणा से खाद की आपूर्ति करते हैं। हरियाणा-राजस्थान के इन क्षेत्रों मेें बेटी-रोटी का रिश्ता होने के चलते महेंद्रगढ जिले के विभिन्न खाद बिक्री केद्रों पर डीएपी की मांग बढ जाती है।
ईधर कहा जा रहा है कि उर्वरक कंपनिया खाद के आयात में कटौती कर रही हैं। चालू वित्तवर्ष के पिछले 5 माह अप्रैल से अगस्त तक देश में 15-9लाख टन डीएपी खाद का आयात किया गया जबकि बीते वर्ष यह 32-5 लाख टन था। रबि सीजन में 52 लाख एमटी डीएपी खाद की एवज में 20 लाख एमटी उत्पादन का लख्य रखा गया है। इसमें कम्पनियां की आमदनी कम तथा लागत अधिक बाई जाती है।
इस बारे में आलोक खाद भंडार के संचालक आलोक गोयल ने बताया कि डीएपी,एनपीके तथा ग्र्रो प्लस एसएसपी खाद की समुचित मात्रा में प्रचुर मात्रा में उपलब्धता है। खाद को लेकर किसानों के सामने कोई दिक्कत नहीं रहने वाली। बाजरे की कटाई से निवृत हुए किसान खाद खरीदने लगे हैं।
कृषि विभाग के एडीओ विकास यादव ने बताया कि कनीना विकास खंड में करीब 33 हजार हैक्टेयर कृषि योज्य भूमि है जिसमें से 19 हजार हैक्टेयर भूमि में बाजरा, 6 हजार हैक्टेयर में गवार 6900 हैक्टेर भूमि में कपास तथा 98 हैक्टेयर रक्बे में मंूग की खेती गई थी। खरीफ फसल की बंपर पैदावार हो रही है। खेत खाली होने पर किसानों ने सरसों की बिजाई शुरू कर दी है।
एसडीएम अमित कुमार ने बताया कि खाद की उपलब्धता में कोई कमी नहीं है। किसान धैर्य रखें। सभी किसानों को डीएपी खाद उपलब्ध कराया जाएगा।

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