रेवाड़ी व कोसली सीट पर भाजपा नेताओं की बगावत शुरू

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इस्तीफों की लगी झड़ी, रेवाड़ी में भाजपा से त्यागपत्र दे 2 नेताओं ने निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा की
City24news/निकिता माधौगढ़िया
रेवाड़ी। भारतीय जनता पार्टी ने जैसे ही रेवाड़ी व कोसली प्रत्याशियों की पहली सूची जारी की वहीं से बगावत शुरू हो गई। बॉलीवुड स्टार राजकुमार राव के रिश्ते में जीजा लगने वाले सुनील राव ने भी बीजेपी को अलविदा कह दिया है व उन्होंने हरियाणा चुनाव प्रबंधन समिति के सदस्य सहित अन्य विभिन्न पदों की जिम्मेदारी से त्यागपत्र दे दिया है। सुनील राव कोसली सीट से टिकट के दावेदार थे लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिला। इसी प्रकार रेवाड़ी से टिकट के दावेदार परिवार पहचान पत्र स्टेट कोर्डिनेटर डॉक्टर सतीश खोला और युवा नेता प्रशांत सन्नी यादव ने भी पार्टी छोड़ दी है। दोनों नेताओं ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। सन्नी यादव ने तो यहां तक कह दिया कि उनकी टिकट किसने कटवाई है वह उसे व्यक्ति को खोजने में लगे हुए हैं। जल्द ही उस व्यक्ति का पर्दाफाश किया जाएगा। इसी प्रकार डॉक्टर सतीश खोला जो परिवार पहचान पत्र के कोऑर्डिनेटर थे उन्होंने कहा कि मैंने पार्टी में सबसे ज्यादा मेहनत की है। मैंने पार्टी में परिवार पहचाना पत्र में उन गलतियों को ठीक करने का बीड़ा उठाया था जिसको मंत्री, विधायक व पार्टी ठीक करने में नाकामयाब रहे। परिवार पहचान पत्र में जितनी भारी कमियां थी उनको ठीक करने की कोशिश करते हुए एक लाख से ऊपर लोगों के राशन कार्ड और परिवार पहचान पत्र ठीक करवाए मगर पार्टी ने मेरी वफादारी को नजर अंदाज कर दिया व कोसली के विधायक को टिकट दे दी। दोनों नेताओं ने कहा कि यदि कोसली का विधायक इतना ही बढ़िया होता तो कोसली के लोग उनकी टिकट की मांग करते व पार्टी उनको रेवाड़ी विधानसभा में नहीं लाती। अब भाजपा में बुरी तरह से बगावत शुरू हो गई है। इधर टिकट की आस में बैठे पूर्व विधायक रणधीर सिंह कापड़ीवास, पूर्व में चुनाव लड़ चुके सुनील मूसेपुर व पूर्व जिला प्रमुख एडवोकेट सतीश यादव एडवोकेट ने भी बगावत शुरू कर दी है। अब लक्ष्मण सिंह यादव के लिए रेवाड़ी का मुकाबला बहुत ही टाइट हो गया है। यह सीट इन बगावती शुरू के बीच में फस्ती नजर आ रही है और इसका सीधा लाभ विधायक चिरंजीव राव को मिलता दिखाई दे रहा है जो भाजपा के लिए काफी नुकसानदेह होगा। इसी प्रकार कोसली की सीट में भी भाजपा नेताओं में असंतोष होने से वहां के भी हालत खराब हो चुके हैं। इधर बावल की सीट भी फांसी हुई है, जिसको लेकर पार्टी घोषणा नहीं कर पा रही है व मंथन में लगी हुई है। अब पार्टी के लिए यह बड़ा मुश्किल दौर चल रहा है कि वह राव की माने या पार्टी के पदाधिकारी की माने। मंत्री डॉ बनवारी लाल बहुत ही कद्दावर नेता है जिन्होंने 10 साल अपना मंत्रिमंडल का कार्यकाल पूरा किया है मगर पार्टी पर उनकी टिकट कटवाने की दबाव की राजनीति की कहानी चल रही है या कुछ और, उनकी भी टिकट संशय में है। यहां कुछ भी कहना उचित नहीं है क्योंकि बीजेपी के उम्मीदवारों में असंतोष बढ़ता ही जा रहा है जो कांग्रेस के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। चिरंजीव राव को इसलिए लाभ मिल सकता है क्योंकि चिरंजीव राव अकेले ही मैदान में उम्मीदवार थे। कांग्रेस से उनको ही टिकट मिलने की प्रबल संभावना है क्योंकि उनके अलावा किसीने भी अपनी दावेदारी मजबूती से नहीं जताई थी व लाल यादव के दामाद में हैं तथा कद्दावर नेता कैप्टन अजय सिंह यादव के बेटे हैं। कांग्रेस की वोट बंधी हुई है व भाजपा बिखराव की स्थिति में है। इसलिए इसका सीधा लाभ चिरंजीव राव को मिलता दिखाई दे रहा है। अब यह तो समय ही बताया कि रेवाड़ी व कोसली में सत्ता का ताज किसके सर सजेगा।

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