रक्षाबंधन के पावन पर्व पर ग्राम छछेड़ा में रक्षासूत्र और हवन करके मनाया

0

City24news/अनिल मोहनिया
नूंह | संस्कृत दिवस एवं रक्षाबंधन के पावन पर्व पर ग्राम छछेड़ा में रक्षासूत्र और हवन करके मनाया। श्रावणी पर्व वेद कथा का श्रवण करना यानी सुनना,सुनाना, वेदों का पढ़ने और पढ़ाने, सुननेऔर सुनाते हैं यही श्रावणी पर्व कहलाता है। इस दिन पुराने या जो यज्ञोपवीत अर्थात जनेऊ बदलकर नए पहनते हैं और जिनके गले में नहीं है इसी दिन पहनते हैं। इसी दिन उपनयन संस्कार भी होता है । जिसमें आचार्य राजेश ने संस्कृत ने कहा संस्कृत देवताओं की वाणी है। संस्कृत केवल एक भाषा मात्र नहीं है अपितु एक विचार है। संस्कृति और एक संस्कार भी है कोई भी देश या समाज अपने सांस्कृतिक मूल्यों को सही से बिना उन्नति नहीं कर सकता। आचार्य ने कहा संस्कृत भाषा हमारी महान संस्कृति और संस्कारों की आधारशिला है। संस्कृत पढ़ने से व्यक्ति अपने जीवन के साथ दूसरों को भी संस्कारित करता है ऐसी महान संस्कृति वाला देश भारत की संस्कृत भाषा है। सबसे प्राचीन देवनागरी लिपि है, सभी देशों के नाम से कोई ना कोई भाषा जुड़ी है हिंदुस्तान के नाम से हिंदी जापान से जापानी,चीन से चीनी और अरब से अरबी, जर्मनी से जर्मन भाषा संस्कृत किसी देश के नाम से नहीं जुड़ी है संस्कृत मानव मात्र के कल्याण के लिए हैं। आचार्य राजेश ने कहा सर्वे भवंतु सुखिनः सर्वे संतु निरामया सर्वे भद्राणि पश्यंतु मां कश्चित दुःख भाग्भवेत्। आचार्य ने कहा संस्कृत के शास्त्रों में वसुदेव कुटुंबकम की भावना, तमसो मा ज्योतिर्गमय, मृत्योर्मामृतम गमयः धर्मो रक्षति रक्षितः। श्रावणी उपाकर्म गुरुकुल में जाने के लिए ब्रह्मचारी उपनयन संस्कार किया जाता है, जिसमें बच्चे गुरुकुल में प्रवेश पाते हैं। वह भी आज के दिन ही किया जाता है जिससे बालक द्विज बनता है। रक्षाबंधन संस्कृत दिवस और उपाकर्म एक साथ इतने त्यौहार भारत में ही संभव है। दुनिया की सबसे प्राचीन पुस्तक वेद जिसमें मानव बनो का विचार पूरी दुनिया को दिया। आचार्य राजेश ने बताया देश की सांस्कृतिक विरासत की रक्षा के लिए संस्कृत का पठन-पाठन जरूरी है। संस्कृत पढ़ने से संस्कारवान यशस्वी और धर्मात्मा बनता है और लोक परलोक दोनों सुधारते हैं। आचार्य राजेश ने कहा वेद,शास्त्र, उपनिषद, रामायण, महाभारत, पुराण संस्कृत भाषा में रचित हैं। आधुनिक युग संस्कृत भाषा के कम्प्यूटर लिए अत्यंत उपयोगी है। इस अवसर पर कविता भगिनी,राखी शास्त्री, योगेश,सुखदेव हंस, माता 

रेशम देवी आदि उपस्थित रहे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed