गुरुग्राम में आचार्य श्री 108 ज्ञान भूषण जी मुनिराज का 32वां चातुर्मास होगा
आचार्य श्री 108 ज्ञानभूषण के द्वारा होगी ज्ञान की अमृतवर्षा
City24news/अनिल मोहनिया
गुरुग्राम | गुरु द्रोण की धार्मिक नगरी के नाम से विख्यात गुरुग्राम के जैकमपुरा स्थित श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर में वात्सल्य मूर्ति आचार्य श्री 108 ज्ञानभूषण जी मुनिराज रत्नाकर का ससंघ चातुर्मास होना निश्चित हुआ है। जिसकी वजह से गुरुग्राम के आसपास के क्षेत्र में हर्ष की लहर व्याप्त है । गुरुग्राम के नजदीक मेवात क्षेत्र के सर्व समाज में आचार्य श्री के चातुर्मास को लेकर हर्षोल्लास का माहौल व्याप्त है। उक्त जानकारी सर्वजातीय सेवा समिति के उपाध्याय रजत जैन ने देते हुए बताया की मुनिराज श्री का 32 वां चातुर्मास गुरु पूर्णिमा के मंगल दिन 21 जुलाई से 01 नवंबर दीपावली तक होगा।
ससंघ होगा चातुर्मास:- रजत जैन ने बताया की इस बार आचार्य श्री 108 ज्ञान भूषण जी का ससंघ चातुर्मास होगा। जिसमें महाराज श्री के अतिरिक्त धर्म वत्सल प्रभाविका क्षुल्लिका 105 श्री ज्ञानगंगा माता जी,क्षुल्लिका श्री 105 ज्ञानवर्षा माताजी, क्षुल्लिका श्री 105 ज्ञानवाणी माता जी, क्षुल्लक श्री 105 ऋजुभूषण जी महाराज, के अतिरिक्त कई ब्रह्मचारी भी चातुर्मास संघ में सम्मिलित रहगें।
कहां-कहां हुए आचार्य श्री के चातुर्मास:- रजत जैन ने बताया की आचार्य श्री ज्ञान भूषण जी मुनिराज का इस बार प्रथम बार गुरुग्राम में ससंघ चातुर्मास हो रहा है। जिसको लेकर जनमानस में अपार हर्षोल्लास का वातावरण व्याप्त है। इससे पूर्व मुनिराज का चातुर्मास 1993 रामगढ़ ,1994 नगलीपूना, 1995 मुजफ्फरनगर, 1996 फिरोजपुर झिरका ,1997 कैरना, 1998 कैलाशनगर दिल्ली, 1999 बरनावा , 2000 मोदीनगर, 2001 में ईसरी, 2002 फिरोजपुर झिरका, 2003 बडौत, 2004 नौगावां, 2005 कांधला ,2006 बड़ागांव, 2007 सीकरी, 2008 पलवल, 2009 बोलखेड़ा ,2010 मौजपुर दिल्ली, 2011 तिजारा ,2012 नगलीपूना, 2013 रामगढ़, 2014 सेक्टर-16 फरीदाबाद, 2015 शामली ,2016 मनोज्ञधाम, 2017 फिरोजपुर झिरका, 2018 मथुरा, 2019 मोदीनगर ,2020 फिरोजपुर झिरका ,2021 सीकरी, 2022 मोदीनगर, ओर 2023 में फिरोजपुर झिरका में आचार्य श्री108 ज्ञानभूषण जी मुनिराज का चातुर्मास संपन्न हुआ।
क्या होता है चातुर्मास:- जैन धर्म की परंपरा के अनुसार जैन मुनिराज व महाराज श्री वर्षा ऋतु के चार माह के कार्यकाल में विहार नहीं करते हैं। अपने आवागमन के लिए एक निश्चित दूरी की रेखा निर्धारित कर लेते हैं। प्राणी मात्र की रक्षा हेतु व अपने आत्म कल्याण के लिए चार माह एक ही नगर में निवास करते हैं। क्योंकि वर्षा ऋतु काल में जीव जंतुओं की उत्पत्ति अधिक होती है।
ज्ञान के द्वारा ज्ञान की अमृतवर्षा:- आचार्य 108 श्री ज्ञान भूषण मुनिराज जी के द्वारा गुरुग्राम में चारमाह के प्रवास के दौरान आचार्य श्री अपने तप, त्याग,संयम,धैर्य,आचरण,गुणों, ज्ञान,प्रवचनों के माध्यम से प्रत्येक जीव मात्र के कल्याण के निमित्त ज्ञान की अमृतवर्षा करेंगे। जिसमें जीवमात्र भक्तिसागर की भक्ति में डुबकी लगाकर अपना आध्यात्मिक व आत्म कल्याण कर सकें।