नौतपा में तापमान पंहुचा ज्वलंत बिंदु की ओर: मा.राजेश कुमार

0

कनीना | प्रति वर्ष मई माह के अंतिम व जून के प्रारंभ में भारत के उतरी और मध्य भाग में 9 दिन तक तापमान चरम सीमा पर होता है। इस अवधि को नौतपा के रूप में जाना जाता है। नो दिन की इस तपिश वाली गर्मी को अलग से महसूस किया जाता है।  नौतपा का महत्व केवल गर्मी तक ही सीमित नही होता बल्कि वैज्ञानिक आधार भी है। इसे मौसम विज्ञान ओर कृषि के लिए महत्वपूर्ण माना गया है। इस बारे में स्वतंत्रता सेनानी उतराधिकार संगठन सद्स्य एवं शिक्षक राजेश कुमार उन्हाणी ने बताया कि नो दिन की तपिश के दौरान सूर्य पृथ्वी के नजदीक आ जाता है। इस बार नौतपा की अवधि 25 मई से शुरू होकर 2 जून तक रहेगी।
एक किवंदती के मुताबिक दो मूषा,दो कातरा, दो तीडी दो ताव-दो की बादी जल हरे दो विसोर दो बाव। जिसका अर्थ नौतपा के पहले दो दिन लू नहीं चली तो चूहे बहुत हो जाएगें, अगले दो दिन लू नहीं चली तो फसल को नुकसान पंहुचाने वाले कातरा,कीट उत्पन्न हो जाएगें, तीसरे दो दिन लू नहीं चली तो टिडियों के अंडे नष्ट नहीं होगें, चौथे दो दिन लू नहीं चली तो बुखार होने वाले विषाणु नहीं मरेगें, पांचवे दो दिन नहीं तपे तो विश्वर यानि सांप-बिच्छू जहरीले जानवर नियंत्रण से बाहर हो जाएगें। लू चलने का अपना महत्व है ओर गर्मी पडना बेहद जरूरी है। नौतपा जलवायु तथा कृषि के अलावा नई उम्मद व संभावनाओं का संकेत भी देता है। उन्होंने गर्मी से बचाव के लिए आमजन को सावधानी बरतने का संदेश दिया है। गर्मी से बचाव के लिए उन्होंने आमजन से अत्यधिक मात्रा में पानी पीने, ढीले व सूती कपडे पहनने, धूप से बचने के लिए तोलिया,कैप व छाते का इस्तेमाल करने की सलाह दी।
बॉक्सू न्यूज
मौसम रह सकता है परिर्वनशील
ज्येष्ठ माह के पहले पखवाडे में तापमान 48 डग्री सेल्सियस पंहुचने पर चंहुओर तपिश दिखाई दे रही है। गर्मी के चलते दोपहर के समय सडकें सूनी दिखाई देने लगी हैं। ईधर कनीना विकास खंड के 53 गावों में बने अधिकांश जोहड बिना पानी के सूखे पडे होने से पशु-पक्षी पानी की तलाश में ईधर-उधर भटक रहे हैं। कृषि विभाग के अधिकारी डॉ. विकास कुमार ने बताया कि 31 मई से मौसम में परिवर्तन देखने को मिल कता है। तेज हवा के साथ छिटपुट बूंदाबांदी की संभावना बन रही है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *