आधुनिक युग में बीमारियों का सबसे बड़ा कारण पनीर

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City24news@ब्यूरो
फरीदाबाद | आयुर्वेद में पनीर को निकृष्टतम भोजन के रूप में बताया गया है, बोले तो कचरा, और कचरा भी ऐसा वैसा नहीं, ऐसा कचरा जिसे जानवरों को भी खिलाने से मना किया गया है। 

 दूध को फाड़कर या दूध का रूप विकृत करके पनीर बनता है, जैसे कोई सब्जी सड़ जाए तो क्या उसे खाएंगे ? पनीर भी सड़ा हुआ दूध है, भारतीय इतिहास में कहीं भी पनीर का उल्लेख नहीं है न ही ये भारतीय व्यंजन है, क्योंकि भारत में प्राचीन काल से ही दूध को विकृत करने की मनाही रही है।

पनीर खाने के नुकसान

 आयुर्वेद ने तो शुरू से ही मना किया था कि विकृत दूध लिवर और आंतों को नुकसान पहुंचाता है, लेकिन अब आधुनिक विज्ञान ने भी अपने नए शोध में साबित किया है कि पनीर खाने से आंतों पर अतिरिक्त दबाव आता है जिससे पाचन संबंधित रोग होते हैं। पनीर में पाया जाने वाले प्रोटीन को पचाने की क्षमता जानवरों में भी नहीं होती है, फिर मनुष्य उसे कैसे पचा सकता है ! नतीजा होता है खतरनाक कब्ज, फैटी लीवर और आगे चलकर शुगर, कोलेस्ट्रॉल, हाई ब्लडप्रेशर। यही पनीर पेट की खतरनाक बीमारी (आईबीएस) को भी पैदा करता है। 

 ज़्यादा पनीर खाने से खून में थक्के जमने की शिकायत होती है, जो ब्रेन हैमरेज और हार्ट फेलियर का कारण बनता है। वहीं ये पनीर हार्मोनल डिसबैलेंस का कारण बनता है जिससे हाइपोथायरायडिज्म या हाइपरथायराइडिज्म पनपता है, महिलाओं में गर्भ धारण करने की क्षमता कम होती है, पुरुषों में नपुंसकता आती है। कुल मिला कर यदि देखा जाए तो ये पनीर लाभ तो केवल जीभ को देता है, लेकिन हानि पूरे शरीर की करता है, पर कढ़ाई पनीर, शाही पनीर, मटर पनीर, चिली पनीर और भी न जाने क्या क्या पनीर….समोसे में पनीर, पकौड़ी में पनीर, पिज्जा में पनीर, बर्गर में पनीर, मतलब जहां देखो वहां पनीर, पनीर… भारत में शायद जितना दूध पैदा नहीं होता उससे ज़्यादा पनीर बनता होगा।

 भारतीय लोग पनीर के इतने दीवाने हो चुके हैं कि इन्हें जहां पनीर मिल जाता है, मजे से चाप लेते हैं, होटल में गए तो बिना पनीर खाये गले से निवाला नहीं निगलता।

 चिकित्सा विज्ञान में सबसे प्राचीन विधा आयुर्वेद में दूध, दही, घी का जिक्र हर जगह है किन्तु इस नामुराद पनीर का जिक्र कहीं नहीं मिलता, आखिर क्यों ? यदि पनीर इतना ही अच्छा है तो इसके बारे में किसी ऋषि मुनि ने कुछ लिखा क्यों नहीं ?

प्रकाश अस्थाना की फेसबुक वाॅल से साभार

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