जरूरतमंदों को ईद की खुशियों में शामिल करें नासिर हुसैन अड़बर

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City24news@अनिल मोहनियां

नूंह | रमजान के आखरी दिनों में सदका ए फितर का उद्देश्य रोज़ो की (कमियों )की माफ़ी और गरीब लोगों की मदद करना है ताकि गरीब वर्ग भी ईद की ख़ुशीयों में शामिल हो सके 

एक माह के रोजे रखने के बाद इस्लाम धर्म का सब से बड़ा त्योहार ईद है।अब सवाल यह है कि मुस्लिम ईद का त्योहार एक साथ जमा हो कर और दो रकात नमाज पड कर क्यों मनाते हैं। नासिर हुसैन अड़बर ने कहा कि रमजान का महीना इबादत की ट्रेनिंग का महीना है खुशी और सूरूर का महीना है उन्होंने कहा कि इस महीने में जन्नत के दरवाजे खौल दिए जाते हैं और जहन्नुम के दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं शैतान कैद कर दिए जाते हैं जन्नत को रोजाना सजाया जाता है अल्लाह का अर्श पहले आसमान पर आ जाता है अल्लाह की तरफ से ऐलान हो रहा होता है कि है कोई बखशिश चाहने वाला है कोई अपनी जरूरतों को मांगने वाला। फर्ज सत्तर फर्ज के बराबर हो जाता है और नफिल नमाज फर्ज के बराबर हो जाती है नासिर हुसैन अड़बर बताया कि फर्ज और नफ्ल का फर्क इतना बड़ा है की इसांन कयामत तक नफ्ल पडता रहे तो फर्ज नमाज के एक सज्दे के बराबर नहीं हो सकता और रमजान के महीने में जो इमान वाले मर जाते हैं उन का हिसाब नहीं होता कब्र में मुनकर नकीर फरिश्ते नहीं आते अल्लाह ताआला उन्हे अपने दरिया ए रहमत से माफ फरमा देते हैं इस तरह 29 रात तक यह सिलसिला चलता रहता है और आखरी रात अल्लाह ताआला ऐलान करता है मेरे बंदो ने पूरे रमजान की रात में तरावीह पडी और दिन में रोजा रखे मेने इस कार्य के बदले सब की बखशिश फरमा दी बस इस की खुशी में हम सब मिल कर अल्लाह की बारगाह में सब मिल कर दो रकात शुक्राने की दो रकत नफ्ल अदा करते हैं और अल्लाह का शुक्र अदा करते हैं

 हदीस में है सदक़ा-ए -फितर ईद की नमाज से पहले पहले अदा कर देना चाहिए सदक़ा-ए फितर की मिक़दार हदीस में 4 चीजों से बताई गई है अगर आप गैंहू से अदा कर रहे हैं तो गेहूं का वजन पौने दो 1.75 किलो 

और जौ साढ़े तीन 3.5 किलो 

खजूर साढ़े तीन किलो 3.5 और किशमिश 3.5 किलो इन 4 चीजों से सदका-ए -फितर अदा होगा इन चीजों की कीमत भी चुका सकते हैं जो अपने शहर मे हो 

 अपनी माली हैसियत के मुताबिक ऊपर दी गयी चीजों से मुसलमान सदका-ए -फितर अदा कर सकते हैं

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