कमांडरों का सम्मेलन जारी बदलावों पर अधिक जोर देने के आह्वान के साथ संपन्न हुआ
City24News@ भावना कौशिश
नई दिल्ली। सेना के कमांडरों का सम्मेलन नई दिल्ली में समाप्त हो गया। इस सम्मेलन को साल में दो बार हाइब्रिड प्रारूप में आयोजित किया गया। 28 मार्च, 2024 को थल सेना सेनाध्यक्ष (सीओएएस) जनरल मनोज पांडे ने वर्चुअल माध्यम से पहले सत्र की अध्यक्षता की। इसके बाद 1 और 2 अप्रैल को दूसरे सत्र के तहत व्यक्तिगत चर्चा की गई। इसमें सेना के वरिष्ठ नेतृत्व ने सुरक्षा से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर विचार-विमर्श किया। इनमें बदलाव से संबंधित पहल, तकनीक का लाभ उठाना, क्षमता विकास के लिए नवाचार, परिचालन संबंधी तैयारियों का संवर्द्धन और उभरती सुरक्षा व मानव संसाधन से संबंधित मुद्दों का समाधान करना शामिल है।
इस सम्मेलन को सेना के वरिष्ठ अधिकारियों को चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान, थल सेनाध्यक्ष (सीओएएस) जनरल मनोज पांडे, नौसेना प्रमुख (सीएनएस) एडमिरल आर हरि कुमार और वायु सेना प्रमुख (सीएएस) एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने भी संबोधित किया।
सीडीएस ने पेशेवर दृष्टिकोण के साथ सीमाओं की सुरक्षा की प्रतिबद्धता के साथ-साथ चुनौतियों से निपटने और बदलावों को उत्साहपूर्वक अपनाने के लिए संरचनाओं व सैनिकों की सराहना की। उन्होंने वरिष्ठ सैन्य नेतृत्व से ‘सैन्य मामलों में तीसरी क्रांति’ के अनुरूप एकजुटता, एकीकरण और तकनीक के उपयोग से संबंधित के पहलुओं को अपनाने का भी आह्वान किया।
सेना प्रमुख (सीओएएस) ने अपने भाषण के दौरान असंख्य चुनौतियों से सफलतापूर्वक निपटने और बदलावों को उत्साह के साथ अपनाने के लिए सैन्य समुदाय की सराहना की। उन्होंने वरिष्ठ सैन्य नेतृत्व से सहयोगी सेवाओं और आधुनिक सेनाओं की सर्वश्रेष्ठ तौर-तरीकों को अपनाने के अलावा परिवर्तन व प्रौद्योगिकी के उपयोग की प्रक्रिया को जारी रखने का आह्वान किया। उन्होंने जमीनी व सभी स्तर के कमांडरों और सैनिकों के बीच स्थितिजन्य जागरूकता सुनिश्चित करने की जरूरत पर भी जोर दिया। सेना प्रमुख ने इस बात पर भी जोर दिया कि भविष्य की परिचालन संबंधित चुनौतियों का सामना करने के लिए बदलाव को स्वीकार करके और नए विचारों के लिए खुले रहकर सैद्धांतिक व संरचनात्मक सुधार करने की निरंतर जरूरत है।
सीएनएस और सीएएस ने समकालीन संघर्षों से मिली सीख को देखते हुए एकजुटता के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने बेहतर परिचालन परिणामों के लिए सेवाओं के बीच जमीनी स्तर पर समन्वय के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने अपनी-अपनी सेवाओं में संचालित पहलों की प्रमुख बातों को साझा किया और संयुक्त परिचालन व अभ्यास के दौरान सुगम समन्वय सुनिश्चित करने की जरूरत पर जोर दिया।
सेना के वरिष्ठ अधिकारियों को जी-20 शेरपा व नीति आयोग के पूर्व सीईओ अमिताभ कांत और पूर्व राजनयिक व उप-राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार पंकज शरण ने भी संबोधित किया। प्रतिष्ठित वक्ताओं ने बदलती भू-राजनीति और पड़ोस व वैश्विक परिदृश्य में विकास के भारत पर प्रभाव का उल्लेख किया। इन वक्ताओं ने भारत के उत्थान और भविष्य की दिशा में सशस्त्र बलों की लगातार बढ़ती भूमिका व महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने भविष्य में इन जटिल गतिविधियों को प्रभावी ढंग से परिचालित करने के लिए रणनीतिक नियोजन और तत्परता के महत्व पर जोर दिया।