बीजेपी ने सहयोगी दलों को ख़त्म किया, सहयोगी दल भी रहे स्वार्थी : आफ़ताब अहमद
City24news@अनिल मोहनियां
नूंह | विधायक व कांग्रेस विधायक दल के उप नेता चौधरी आफ़ताब अहमद ने बीजेपी व उनके सहयोगी दलों पर स्वार्थ की राजनीति करने का आरोप लगाते हुए कहा कि बीजेपी ने जिस भी राजनैतिक दल से गठबंधन किया है उसे समय के साथ राजनैतिक रूप से ख़त्म करने का काम किया है। 2013 में हरियाणा जनहित कांग्रेस से गठबंधन के बाद अगस्त 2014 में बीजेपी से गठबंधन टूट गया। लेकिन विडंबना ये है कि अब फिर हरियाणा जनहित पार्टी के नेता कुलदीप बिश्नोई बीजेपी में शामिल हैं। कभी जनता से ये दुखड़ा रोना कि बीजेपी ने गठबंधन में धोकाधड़ी कि फिर आज उसी बीजेपी की गोद में बैठ जाना गंभीर राजनीति का परिचायक नहीं हो सकता, ऐसे दलों व नेताओं के कार्यकर्ता भी ख़ुद को ठगा सा महसूस करते हैं।
यही हाल जेजेपी पार्टी का रहा जो पारिवारिक विवाद की नींव पर खड़ी हुई, ये दल इनेलो से निकला जो बीजेपी का सहयोगी दल रहा। 2019 विधानसभा चुनाव से पूर्व जेजेपी नेता दुष्यंत चौटाला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर पर लगातार राजनैतिक हमले बोलते रहे, कई बार गंभीर आरोप लगाते फिरते, और लोगों से बीजेपी को हटाने के लिए वोट मांगे लेकिन 10 सीट विधानसभा में जीतने के पश्चात् ख़ुद जाकर बीजेपी की गोद में बैठ गए और सरकार बनवाने में मुख्य भूमिका निभाई। जेजीपी ने साढ़े चार साल सत्ता की ख़ुब मलाई खाई, फिर बीजेपी ने दूध से मक्खी की तरह निकल निर्दलियों व जेजेपी के कई विधायकों के अंदरूनी आश्वासनों पर सरकार बना ली। अब फिर जेजेपी जनता के सामने नया नाटक करने के लिए तैयार है।
वहीं इनेलो की बात की जाय तो पार्टी प्रदेश में दम तोड़ चुकी है और हालत ये है कि आज विधानसभा में सिर्फ़ एक विधायक है। आज इस दल के नेता अभय चौटाला बीजेपी को पानी पीकर जनता के सामने कोसकर ताली बटौरने का प्रयास कर रहे हैं लेकिन जनता आज भी यही सोच रही है कि इनेलो ने हमेशा बीजेपी संग गठबंधन रखा है। 2014 में ख़ुद अभय चौटाला ने इनेलो का समर्थन बिना माँगे नरेंद्र मोदी को दिया था। फिर उसके बाद राष्ट्रपति चुनावों में भी बीजेपी उम्मीदवार को ही वोट दिया, और जब कभी मनोहर लाल सरकार के ख़िलाफ़ अविश्वास प्रस्ताव आया तो सरकार के ख़िलाफ़ कभी वोट नहीं दिया। दरअसल इनेलो की ये हालत उनकी इसी नीति का नतीजा है।
1987 में जनता दल या 1996 में हरियाणा विकास पार्टी से बीजेपी गठबंधन होने के बाद टूटने के पश्चात ये ख़त्म ही हो गए। दरअसल बीजेपी और ये दल बिना वैचारिक गठबंधन के सत्ता के लालच में एक हुए फिर बीजेपी ने दोनों को ख़त्म ही कर दिया। हरियाणा में बसपा के साथ भी बीजेपी ने यही खेल खेला था:
विधायक आफ़ताब अहमद ने कहा कि पंजाब में अकाली के साथ पहले बीजेपी का गठबंधन फिर टूटना और अब फिर गोद में बैठने की फ़िराक़ जगज़ाहिर है। बिहार में बीजेपी पर उनके सहयोगी दल जेडीयू ने विश्वासघात के आरोप लगाकर अलग हुए, आज फिर उनकी गोद में हैं और फिर टूटने की खबरें बीजेपी व उनके सहयोगी दलों के स्वार्थ की जीती जागती दलीलें हैं। राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के पशुपति कुमार पारस को ज़रूरत पड़ने पर गठबंधन बना कर मंत्री बनाया जाता है तो आज ज़रूरत ख़त्म होने पर उन्हें छोड़कर चिराग़ पासवान से बीजेपी गठबंधन किया जाता है। दरअसल बीजेपी तभी तक सहयोगियों को साथ रखती है जब फँसी होती है, ज़रूरत ख़त्म होने के बाद फेंक देती है।
विधायक आफ़ताब अहमद ने कहा कि दरअसल बीजेपी किसी की भी सगी नहीं है ना किसी अन्य सहयोगी दल की ना फिर आम जन की। वायदे और प्रलोभन देकर सत्ता प्राप्ति इनका ध्येय रहा है और फिर सत्ता प्राप्ति पश्चात् छोटे दलों को ख़त्म करना इनका इतिहास रहा है। लेकिन ये भी चिंताजनक है कि इनेलो, जेजेपी जैसे दल वोट बीजेपी के ख़िलाफ़ बोलकर लेते हैं और गोदी में हमेशा बीजेपी के ही बैठते है, सत्ता की गोदी में बैठकर ये फिर अपने स्वार्थों की पूर्ति करते हैं। अच्छी बात ये है कि आज जनता जानचुकी है कि कौन राजनीतिक दल किसके हाथों में खेलता है और कौन उनके हक़ों के लिए संघर्ष करता है। कांग्रेस भले ही 2019 में प्रदेश में सरकार बनाने से थोड़ी दूर रह गई और अन्य दल बीजेपी के गोद में बैठ गए, इससे कांग्रेस पार्टी को इस चुनावी साल में हरियाणा में बंपर बहुमत जनता देने जा रही है। क्योंकि जनता जानती है कि कांग्रेस ही बीजेपी की विरोधी पार्टी है जबकि बाक़ी दल उनकी दाईं बाईं जैब में चले जाते हैं।