माताएं अपने शिशु को लिटाकर न पिलाएं दूध : ईएनटी सर्जन डा. शिल्पी अरोड़ा
City24news@हेमलता
पलवल | जिला नागरिक अस्पताल पलवल में सिविल सर्जन डा. नरेश कुमार गर्ग के दिशा-निर्देशन व डिप्टी सिविल सर्जन डा. नवीन गर्ग के मार्गदर्शन में मंगलवार 5 मार्च को विश्व श्रवण दिवस मनाया गया। सिविल सर्जन डा. नरेश गर्ग ने बताया कि इस वर्ष यह आयोजन बदलती मानसिकता आइए कान और सुनने की देखभाल को सभी के लिए वास्तविकता बनाएं थीम पर मनाया गया। उन्होंने बताया कि बच्चों में कान बहने, कान में संक्रमण होने, कान में चोट लगने से, बचपन में खसरा, मेनिनजाइटिस तथा मम्स (कन्फेडे) रोग होने से बहरापन हो सकता है। इसलिए कान में कोई सींक या नुकीली चीज न डालें, और न ही तरल पदार्थ अर्थात तेल आदि डालें।
इस मौके पर ईएनटी सर्जन डा. दीप किशोर ने बताया कि विश्व में लगभग 80 प्रतिशत लोगों की कान और सुनने की क्षमता की जरूरतें पूरी नहीं हो पातीं हैं। कान की बीमारियों पर विश्व स्तर पर लगभग अमेरिकी 10 खरब डॉलर की वार्षिक लागत का खर्चा आता है। उनका कहना है कि सामाजिक रूप से लोगों को इसका ज्ञान न होना और विविध भ्रांतियों के कारण हम बधिरता (बहरेपन) को ठीक कर पाने में पूर्ण सक्षम नहीं हो पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इसके लिए लोगों का जागरूक होना बेहद जरूरी है। विश्व श्रवण (हियरिंग) दिवस को मनाने का उद्देश्य लोगों और स्वास्थ्य कर्मचारियों की बधिरता संबंधी भ्रांतियां दूर करना, लोगों की बहरेपन संबंधी भ्रांतियों को दूर करना, सभी सिविल सोसाइटीज और देशों में बधिरता संबंधी शंकाओं को दूर करना तथा लोगों की भ्रांतियों को दूर कर समस्त सुविधाएं देकर बधिरता की चिकित्सा करना है।
ईएनटी सर्जन डा. दीप किशोर ने उपस्थित सभी बच्चों व लोगों को ज्यादा ऊंची आवाज में संगीत न सुनने, मोबाइल चलाते समय इअर बड व लीड का इस्तेमाल न करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि हमेशा धीमी व मधुर आवाज में ही संगीत सुनें। उन्होंने बताया कि कोक्लियर इंप्लांट के 6 महीने से 3 वर्ष की उम्र तक ही ज्यादा अच्छे परिणाम मिलते हैं।
ईएनटी सर्जन डा. शिल्पी अरोड़ा ने कहा कि माताओं को अपने बच्चों को लिटा कर दूध नहीं पिलाना चाहिए। इससे बच्चों में कान बहने की संभावना रहती है। उन्होंने बताया कि जिला के सिविल अस्पताल पलवल, एसडीएच होडल, सभी सीएचसी, पीएचसी में 3 से 9 मार्च तक कान की बीमारियों से संबंधित जागरूकता शिविर लगाए जा रहे हैं।
चिकित्सा अधीक्षक डा. अजय माम ने बताया कि छोटे बच्चों में अक्सर कान बहने की शिकायत मिलती है। ऐसी स्थिति में तुरंत कान, नाक, गला रोग विशेषज्ञ व सर्जन से परामर्श कर ईलाज करवाना चाहिए। उन्होंने बताया कि 6 महीने से 3 वर्ष की उम्र पर ही कोक्लियर इंप्लांट के ज्यादा अच्छे परिणाम मिलते हैं। इस कार्यक्रम में कान से संबंधित बीमारियों से ग्रस्त अर्थात बहरे-गूंगे बच्चों की पेंटिंग प्रतियोगिता भी कराई गई। इस प्रतियोगिता में प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले सभी विजेताओं को पुरस्कृत भी किया गया।
इस अवसर पर चिकित्सा अधीक्षक डा. अजय माम, ईएनटी सर्जन डा. शिल्पी अरोड़ा, डा. दीप किशोर, मेडिकल ऑफिसर (आयुष) डा. रूपलाल, फिजियोथैरेपिस्ट डा. लितेश मलिक, इंटरवेंशनिस्ट पूनम शर्मा, ऑडियोलॉजिस्ट पुष्पा कुमारी, मनीष और लक्ष्मण सहित बच्चे व महिलाएं मौजूद रहे।