जे.सी. बोस विश्वविद्यालय में दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ
– सतत विकास की दिशा में विज्ञान और प्रौद्योगिकी में नवीनतम प्रगति विषय सम्मेलन
– उभरते क्षेत्रों में अनुसंधान को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता: प्रो. बी.एस. राजपूत
– सम्मेलन में देश के 15 राज्यों तथा तीन देशों के प्रतिनिधि ले रहे है हिस्सा
– दो दिवसीय सम्मेलन में 10 तकनीकी सत्र और चार पूर्ण सत्र आयोजित होंगे और 170 शोध पत्र प्रस्तुत किये जायेंगे
सिटी24न्यूज़/जीतेन्द्र वत्स
फरीदाबाद I जे.सी. बोस विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाईएमसीए, फरीदाबाद द्वारा सतत विकास की दिशा में विज्ञान और प्रौद्योगिकी में नवीनतम प्रगति विषय पर आयोजित इंटरनेशनल एकेडमी ऑफ फिजिकल साइंसेज के 30वें अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आगाज हुआ। सम्मेलन में भारत और विदेशों से 200 से अधिक प्रतिभागी हिस्सा ले रहे है।
सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में कुमाऊं विश्वविद्यालय, नैनीताल के पूर्व कुलपति प्रो. बी.एस. राजपूत मुख्य अतिथि और एस.एन. बोस नेशनल सेंटर फॉर बेसिक साइंसेज, कोलकाता से प्रो. सुजीत के. बोस सम्मानित अतिथि रहे। सत्र की अध्यक्षता कुलपति प्रो. सुशील कुमार तोमर ने की तथा आईआईटी कानपुर के प्रो. पीयूष चंद्रा सत्र के मुख्य वक्त रहे। सम्मेलन का उद्घाटन अतिथियों द्वारा पारंपरिक दीप जलाकर किया गया, इसके बाद इंटरनेशनल एकेडमी ऑफ फिजिकल साइंसेज (आईएपीएस) के अध्यक्ष प्रो एच.एस. धामी ने सम्मेलन के बारे में संक्षिप्त परिचय दिया।
विश्वविद्यालय की निदेशक (आरएंडडी) प्रोफेसर मनीषा गर्ग, जो सम्मेलन की संयोजक भी हैं, ने प्रतिभागियों को विश्वविद्यालय द्वारा की गई शोध पहल के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि सम्मेलन में हरियाणा, पंजाब राजस्थान, असम, मेघालय, मणिपुर, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, ओडिशा, उत्तराखंड, चंडीगढ़, दिल्ली, तेलंगाना और हिमाचल प्रदेश सहित भारत के 15 राज्यों से प्रतिभागी हिस्सा ले रहे है। इसके अलावा जापान, रूस और अमेरिका से भी प्रतिभागी सम्मेलन में भाग ले रहे हैं। आईएपीएस के कार्यकारी सदस्य डॉ. मुकेश कुमार शर्मा ने इंटरनेशनल एकेडमी ऑफ फिजिकल साइंसेज की गतिविधियों तथा अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए इसके द्वारा प्रदान किए जाने वाले पुरस्कारों और फेलोशिप के बारे में संक्षिप्त जानकारी दी।
अपने संबोधन में कुलपति प्रो. सुशील कुमार तोमर ने प्रतिभागियों का स्वागत किया और अपने अनुभव साझा किये। उन्होंने अंतःविषय दृष्टिकोण को बढ़ावा देने के लिए सम्मेलन की सराहना की। उन्होंने कहा कि इस तरह का सम्मेलन विज्ञान और प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने और समाज की भलाई के लिए विचारों के आदान-प्रदान के लिए मंच प्रदान करते है।
सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रो. बी.एस. राजपूत ने राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर भारतीय भौतिक विज्ञानी सीवी रमन के योगदान को याद किया और देश में अनुसंधान में क्रांति लाने के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के तहत राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन की की पहल पर चर्चा की। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि देश में स्कूल स्तर से ही शोध गतिविधियों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। इसके अलावा, उन्होंने सम्मेलन के विषय पर चर्चा की और कहा कि क्वांटम प्रौद्योगिकियों, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और संसाधन प्रबंधन जैसे उभरते क्षेत्रों में अनुसंधान को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
सत्र को संबोधित करते हुए प्रो. सुजीत के. बोस ने प्रौद्योगिकियों के सैद्धांतिक और व्यावहारिक पहलुओं पर चर्चा की। उन्होंने अंतःविषय अनुसंधान के दायरे को लेकर भी चर्चा की। अपने मुख्य संबोधन में प्रो. पीयूष चंद्रा ने हार्वेस्टिंग के साथ पारिस्थितिक मॉडलिंग पर प्रस्तुति दी। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र संघ वाईएमसीए एमओबी के अध्यक्ष सुखदेव सिंह भी उपस्थित थे। इस अवसर पर सम्मेलन की कार्यवाही एवं सार पुस्तिका का विमोचन भी किया गया।
सम्मेलन के संयोजक प्रो अतुल मिश्रा, अध्यक्ष, कंप्यूटर इंजीनियरिंग विभाग और प्रोफेसर सोनिया बंसल, अध्यक्ष, भौतिकी विभाग ने बताया कि दो दिवसीय सम्मेलन के दौरान 10 तकनीकी सत्र और चार पूर्ण सत्र आयोजित होंगे, जिसमें देश के विभिन्न राज्यों तथा विदेशों के लगभग 200 शोधकर्ताओं द्वारा 170 शोध पत्र प्रस्तुत किए जाएंगे। सत्र के अंत में, प्रो. नीतू गुप्ता, डीन (विज्ञान और जीव विज्ञान) ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया।