विकसित भारत के निर्माण में मातृभाषा का उपयोग महत्त्वपूर्ण: प्रो. टंकेश्वर कुमार

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City24news@अशोक कौशिक 

नारनौल। हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय महेन्द्रगढ़ में शुक्रवार को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के उपलक्ष्य में शिक्षक शिक्षा विभाग द्वारा विशेषज्ञ व्याख्यान का आयोजन किया गया। आयोजन में विश्वविद्यालय कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार ने इस अवसर पर प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए मातृभाषा के महत्त्व व मातृभाषा दिवस के आयोजन से संबंधित इतिहास से अवगत कराया और बताया कि किस तरह से मातृभाषा हमारी सामाजिक, सांस्कृतिक व देश के विकास के साथ-साथ मानवीय पहचान को सुरक्षित करने में मददगार है। उन्होंने कहा कि विकसित भारत के निर्माण में मातृभाषा की भूमिका बेहद महत्त्वपूर्ण है। 

कुलपति ने अपने संबोधन में कहा कि मस्तिष्क का सीधा संबंध व्यक्ति की मातृभाषा से होता है। किसी भी देश के विकास में नवाचार का योगदान महत्त्वपूर्ण होता है और नवाचार के लिए आवश्यक है कि हम अपनी भाषा में खोज करें। विश्व के विकसित देशों में शामिल जर्मनी, इटली, फ्रांस, जापान को देखें तो समझ आता है कि किस तरह से इन देशों ने अपनी भाषा को विकास का माध्यम बनाया। ये सभी देश अपनी भाषाओं में ही अनुसंधान व नवाचार की ओर अग्रसर हैं। हमें भी अब इस दिशा में आगे बढ़ना होगा। अंग्रेजी भाषा का उपयोग आवश्यकता हो सकती है लेकिन विकसित भारत के संकल्प को पूर्ण करने हेतु मातृभाषा को स्वीकार कर उसके साथ आगे बढ़ना होगा। 

इससे पूर्व में विभाग के प्रो. प्रमोद कुमार ने स्वागत भाषण प्रस्तुत किया और बताया कि किस तरह से आम जीवन में मातृभाषा आपसी संवाद में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसी क्रम में विभाग के प्रो. नंद किशोर व प्रो. दिनेश चहल ने भी अपने संबोधन में मातृभाषा की महत्ता और उसके उपयोग की ओर प्रतिभागियों का ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने बताया कि किस तरह से राष्ट्रीय शिक्षा नीति मातृभाषा में शिक्षा की बात करती है और विद्यार्थियों को भाषा की स्वतंत्रता प्रदान करती है। कार्यक्रम के अंत में डॉ. रेनु यादव ने धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर शिक्षक शिक्षा विभाग के विद्यार्थी, शोधार्थी व शिक्षक उपस्थित रहे।

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