हकेवि में विशेषज्ञ व्याख्यान आयोजित

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City24news@अशोक कौशिक 

नारनौल। हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय महेंद्रगढ़ के हिंदी विभाग में ’हिंदी की व्यावसायिकता और रोजगार’ विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया गया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति और मुख्य संरक्षक प्रो. टंकेश्वर कुमार ने कहा कि इस आयोजन से विद्यार्थियों में नई ऊर्जा के संचार में मदद मिलेगी। साथ ही संरक्षक प्रो. सुषमा यादव ने हिंदी में नए रोजगार की संभावनाएं व्यक्त की। आयोजन में अंतर्राष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा के सहायक आचार्य डॉ. संदीप कुमार वर्मा विशेषज्ञ के रूप में उपस्थित रहे। 

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ. संदीप कुमार वर्मा ने बताया कि भारतीय संविधान द्वारा खड़ी बोली को राजभाषा स्वीकार किए जाने के साथ हिंदी का परंपरागत स्वरूप और अध्ययन व्यावहारिक हो गया है। हर जीवित भाषा में वैज्ञानिक, तकनीकी और उद्यमिता की संभावनाएं होती हैं, उसकी प्रयोजनीयता की भी संभावनाएं होती हैं। यह संभावनाएं हिंदी में भी हैं। हिंदी में आज कई तरह से रोजगार के अवसर उपलब्ध हैं। कार्यकारी हिन्दी, हिन्दी भाषा का व्यावहारिक रुप है जिसका संबंध विभिन्न संस्थाओं के दैनिक कामकाज से है। यह हिन्दी का क्रियात्मक रुप है जो हिन्दी को वार्तालाप, संप्रेषण एवं साहित्य लिखने आदि की परंपरागत सोच को दूर करता है। हिन्दी भाषा ने अपने आपको वाणिज्य, प्रशासनिक एवं विदेशी संबंधों की भाषा के रूप में विकसित कर लिया है। कार्यकारी हिन्दी के विभिन्न रुप बताते हुए सर ने कार्यालयीन एवं प्रशासनिक हिन्दी पर प्रकाश डाला और बताया कि यह हिन्दी भाषा का एक रुप है जो सरकारी कार्यालयों एवं सार्वजनिक उपक्रमों में प्रयोग में ली जाती है। आज हिंदी भाषा के बढ़ते चलन और वैश्विक रूप ने रोजगार की अनेक संभावनाओं को उजागर किया है।  

इससे पूर्व हिंदी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. बीरपाल सिंह यादव ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में विषय की गंभीरता को स्पष्ट करते हुए कहा कि जब भी भाषा का विस्तार और विकास होता है, तब उसमें एक दृष्टि और जुड़ जाती है और वह है रोजगार की संभावना। कार्यक्रम के संयोजक डॉ. कामराज सिंधु ने विषय के बारे में बताते हुए कहा कि संचार-सूचना प्रौद्योगिकी में दिनों-दिन बढ़ रही हिंदी की उपयोगिता और अनिवार्यता अधिक से अधिक कार्य-सक्षम युवाओं को रोजगार दिला रही है। भारत सरकार की आधिकारिक भाषा और संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक भाषाओं में से एक के रूप में, हिंदी अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति और संचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। डिजिटल युग ने इंटरनेट, सोशल मीडिया और डिजिटल सामग्री के माध्यम से हिंदी की वैश्विक पहुंच को आसान बना दिया है। कार्यक्रम में मंच संचालन प्रियंका तथा मुख्य वक्ता का परिचय शोधार्थी दिनेश ने दिया। कार्यक्रम के अंत में विभाग के सहायक आचार्य डॉ. अमित कुमार ने धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर डॉ. रीना स्वामी, डॉ. सिद्धार्थ शंकर राय, विद्यार्थी व शोधार्थी उपस्थित रहे।

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