फलोरोसिस रोकथाम एवं नियंत्रण कार्यक्रम : उपायुक्त धीरेंद्र खड़गटा 

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अनिल मोहनियां

नूंह | जिला उपायुक्त धीरेंद्र खड़गटा ने कहा कि जिला के गांव में शुद्ध पेयजल उपलब्ध हो और पानी में फलोराइड की मात्रा तय मानकों से अधिक ना हो इसके लिए जिले में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा राष्ट्रीय फलोरोसिस रोकथाम एवं नियंत्रण कार्यक्रम चलाया जा रहा है। जिसमें मुख्य रूप से फलोरोसिस की टीम द्वारा गांव -गांव जाकर तथा स्कूलों में पढने वाले बच्चों के सर्वे द्वारा दांतों और हड्डियों की जाॅंच की जा रही है। पीने के पानी में फलोराइड की अधिकता होने के कारण छोटे बच्चों और व्यक्तियों में दाॅंतों में पीलापन तथा हड्डियों में टेढापन (विकृति) बहुत ही सामान्य है। जिले की फलोरोसिस टीम द्वारा स्कूलों तथा गांवों में जाकर फलोरोसिस संबंधी रोगियों की जांच की जा रही है तथा मौके पर ही उपचार तथा परामर्श दिया जा रहा है, तथा जटिल मरीजों के उपचार के लिए सिविल अस्पताल मांडीखेडा लाया जा रहा है तथा अधिक जटिल मरीजों का मेडिकल कालेज नल्हड में इलाज किया जाता है। 

सिविल सर्जन डा. राजीव बातिश ने बताया कि फलोरोसिस विभाग द्वारा दंत्य फलोरोसिस ग्रस्त लोंगों को फलोराइड मुक्त टुथपेस्ट वितरित की गई। अधिक जटिल मरीजों का दंत रोग विभाग द्वारा जरूरी इलाज किया गया। 

फलोरोसिस विभाग जिला नूंह के नोडल अधिकारी डाॅ. हेमन्त कुमार ने बताया की पीने के पानी में अधिक फलोराइड होने की वजह से उतपन्न हुई फलोरोसिस बामारी के मुख्य लक्षण इस प्रकार हैै जैसे : उल्टी आना, भूख कम लगना, पेट में दर्द होना, गैस बनना, पेट फूलना, मांसपेसियों तथा जोंडों में दर्द होना, लम्बी दूरी तक चलने में असमर्थ होना।

जिला नूंह के फलोरोसिस बीमारी से बचाव के लिए अपने पीने के पानी की जाॅंच कमरा नं. 46 सिविल अस्पताल मांडीखेड़ा में कराएं तथा बीमारी से बचाव के लिए भरपूर मात्रा में फली,हरी सब्जियों दूध तथा दुग्ध उत्पादन वाला संतुलित भोजन करें तथा उच्च फलोराइड युक्त भोजन जैसे काला नमक, सुपारी तम्बाकू तथा फलोराइड युक्त टूथपेस्ट का इस्तेमाल करने से बचें, और अधिक परामर्श के लिए फलोरोसिस विभाग सिविल अस्पताल मांडीखेडा में सम्पर्क करें।

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