अटेली सामुदायिक केंद्र के नीचे 60 गांव, नहीं है अल्ट्रासाउंड की सुविधा

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City24news@अशोक कौशिक 

नारनौल। सरकार व स्वास्थ्य विभाग बेशक नागरिकों को बेहतरीन स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने का ढिंढोरा पीट रहा है, लेकिन धरातल पर यह सफेद हाथी ही साबित हो रहा है। नागरिक अस्पताल नारनौल में दवाओं का टोटा है। इससे मरीज और तीमारदार काफी परेशान है। दवाइयां न मिलने के कारण उन्हें बाहर से महंगी दवाइयां खरीदनी पड़ रही है। वहीं अटेली के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में सुविधाओं का नितांत अभाव है। 

नागरिक अस्पताल नारनौल में रोजाना करीब 1000 मरीज इलाज करवाने आते हैं। उन्हें यहां पर डॉक्टर तो मिल रहे हैं लेकिन डॉक्टरों द्वारा लिखी जा रही दवाइयां उन्हें अस्पताल से नहीं मिल रही। इसके कारण मरीजों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

अस्पताल के अंदर दवाइयां ना होने के कारण मरीजों को बाहर मेडिकल स्टोरों से महंगे दामों पर दवाइयां खरीदनी पड़ रही है। उन्हें सरकारी अस्पताल का कोई फायदा नहीं मिल रहा। डॉक्टरों की दवाइयां लेने सरकारी मेडिकल स्टोर पर जाओ तो कहा जाता है कि यह दवाइयां यहां पर नहीं है, बाहर से ले लो।

इस बारे में मेडिकल सुपरिंटेंडेंट सरजीत थापर ने बताया कि अस्पताल में सुचारू रूप से दवाइया आ रही है फिर भी यदि किसी दवाई की कोई कमी है तो, इस बारे में उच्च अधिकारियों को लिखकर दवाइयां मंगवा लेंगे। अस्पताल में दवाइयां की कोई कमी नहीं होने दी जाएगी।

उधर अटेली में दिखावे के लिए स्वास्थ्य केंद्र को सामान्य अस्पताल का दर्जा मिला हुआ है, लेकिन धरातल की सच्चाई में यह सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र तक ही सीमित है। इस केंद्र की स्थापना से अब तक अल्ट्रासाउंड मशीन का टोटा बना हुआ है। इसके कारण गर्भवती महिलाओं को चिकित्सक निजी अस्पताल में भेजने को मजबूर हैं।

-कांटी, सीहमा व बाछौद सहित अनेक गांव के आते हैं लोग

अटेली सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के अंतर्गत कांटी, सीहमा व बाछौद सहित तीन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र व 60 गांव आते हैं, जिसके चलते हर महीने गर्भवती की संख्या भी लगभग 200 के करीब रहती है। विभाग के नियमों के अनुसार हर महीने की 9 व 10 तथा 23 तारीख को गर्भवती महिलाओं की जांच के लिए कैंप का आयोजन किया जाता है, परंतु अल्ट्रासाउंड मशीन के अभाव में चिकित्सकों द्वारा जांच के उपरांत निजी अस्पताल में अल्ट्रासाउंड के लिए भेजना पड़ता है। वो एक अलग बात है कि चिकित्सकों की पर्ची के बाद निशुल्क किया जाता है लेकिन ऐसे में महिलाओं को इधर उधर चक्कर काटने पड़ते हैं।

– एक कैंप में 60 से 70 महिलाएं जांच के लिए पहुंचती

अल्ट्रासाउंड जांच रिपोर्ट के बाद महिलाओं को रिपोर्ट दिखाने लिए दोबारा से स्वास्थ्य केंद्र में दस्तक देनी पड़ती है। आंकड़ों के अनुसार एक कैंप में 60 से 70 के करीब महिलाएं जांच के लिए पहुंचती है। 2008 में जब नरेश यादव विधायक थे तो उनके द्वारा नई अनाज मंडी में आयोजित रैली में तत्कालीन मुख्यमंत्री चौधरी भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने अटेली के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र को नवनिर्मित भवन के निर्माण के साथ-साथ सामान्य अस्पताल का दर्जा देने की घोषणा की थी। उसी के बाद तीन मंजिला भवन का निर्माण तो हुआ, लेकिन डेढ़ दशक से अधिक समय बीत जाने के बाद भी सामान्य का दर्जा नहीं मिल सका है। स्वास्थ्य विभाग ने दिखावे के तौर पर मुख्य द्वार पर सामान्य अस्पताल दर्शाया हुआ है, लेकिन धरातल पर आज भी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ही है।

अल्ट्रासाउंड मशीन की कमी को महसूस किया जा रहा है लेकिन गर्भवती महिलाओं को किसी प्रकार की कोई परेशानी न हो इसके लिए निजी अस्पताल से विभाग ने कांट्रेक्ट किया हुआ है, जहां निशुल्क अल्ट्रासाउंड किया जाता है।

-डॉ. विजय यादव, एसएमओ, सामान्य अस्पताल, मंडी अटेली।

अस्पताल में महिला चिकित्सकों व एक्स-रे के लिए रेडियोग्राफर की कमी को दूर कर दिया गया है, अब जल्द ही अल्ट्रासाउंड मशीन भी उपलब्ध कराने का प्रयास किया जा रहा है, ताकि गर्भवती महिलाओं की यह परेशानी भी दूर हो सकें।

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