उत्तराखंड हादसे में लापता हुआ नूंह का लाल अग्निवीर समय सिंह अब नहीं रहा, गांव में हुआ सैनिक सम्मान के साथ अंतिम संस्कार।

City24news/अनिल मोहनिया
नूंह | उत्तराखंड के हर्षिल में बादल फटने की घटना में लापता हुए नूंह जिले के कुर्थला गांव के 19 वर्षीय अग्निवीर जवान समय सिंह का शव आखिरकार सेना को मिल गया। शनिवार को सेना द्वारा उनके पार्थिव शरीर को गांव लाया गया, जहां पूरे सैनिक सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया।
जैसे ही सेना की टुकड़ी समय सिंह के पार्थिव शरीर को लेकर गांव पहुंची, पूरा कुर्थला “शहीद समय सिंह अमर रहे” के नारों से गूंज उठा। ग्रामीणों ने शहीद के पार्थिव शरीर पर फूलों की वर्षा की। इस दौरान हर आंख नम थी और वातावरण गमगीन हो उठा।
गांव में उमड़ा जनसैलाब, हजारों लोगों ने दी अंतिम विदाई
समय सिंह का शव जब घर पहुंचा, तो परिजन अपने लाड़ले की एक झलक पाने के लिए बेताब हो उठे। मां और बहनों का रो-रोकर बुरा हाल था। कुछ ही देर बाद सेना के जवानों ने पूरे सम्मान के साथ अंतिम यात्रा प्रारंभ की। लोग “भारत माता की जय” और “शहीद समय सिंह अमर रहे” के नारे लगाते हुए पीछे-पीछे चल रहे थे।
अंतिम संस्कार में हजारों की संख्या में लोग मौजूद रहे। सेना की ओर से मेजर तिवारी सहित अन्य जवानों ने शहीद को सलामी दी। सबसे पहले सलामी उनके पिता दलबीर सिंह, जो स्वयं आर्मी से रिटायर्ड हैं, ने दी। इसके बाद नूंह विधायक आफताब अहमद, मुख्यमंत्री मीडिया कोऑर्डिनेटर मुकेश वशिष्ठ, इनेलो नेता ताहिर हुसैन, जेजेपी नेता नासिर हुसैन , कुंबर अरुण उजीना बीजेपी नेता समेत अन्य जनप्रतिनिधियों और ग्रामीणों ने भी श्रद्धांजलि अर्पित की।
सेना की ओर से मेजर तिवारी ने शहीद की वर्दी और तिरंगा झंडा उनके पिता को सम्मानपूर्वक सौंपा।
शाहिद समय सिंह को अंतिम वदाई के समय मां तथा दोनों बहनों का रो-रो कर था बुरा हाल। मां सहित दोनों बहने अपने भाई की एक झलक देखने के लिए थी बेताब।
बादल फटने की घटना में लापता हुआ था समय सिंह
गौरतलब है कि 5 अगस्त 2025 को उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के धराली, हर्षिल और सुक्की में बादल फटने की घटना से भारी तबाही हुई थी। इस दौरान हर्षिल आर्मी कैंप के पास बाढ़ और भूस्खलन में 8-10 जवान लापता हो गए थे। इन्हीं में कुर्थला गांव का लाल अग्निवीर समय सिंह भी शामिल था।
समय सिंह ने 30 अक्टूबर 2024 को अग्निवीर योजना के तहत सेना में भर्ती ली थी। वह अपने माता-पिता का इकलौता बेटा था। उसके पिता दलबीर सिंह खुद सेना से रिटायर्ड हैं।
पिता ने बताया कि बेटा 5 जून को ट्रेनिंग पूरी कर घर आया था और 20 जून को वापस हर्षिल कैंप लौट गया था। 4 अगस्त को शाम 7 से 9 बजे के बीच आखिरी बार घरवालों से बात हुई थी। 7 अगस्त को कैंप के सीओ ने फोन कर उसके लापता होने की सूचना दी।
पिता बोले – अग्निवीर योजना खत्म करे सरकार
बेटे के खोने के गम में डूबे पिता दलबीर सिंह ने सरकार से कहा कि “अग्निवीर जैसी योजना को बंद कर देना चाहिए। इस योजना से युवाओं का मनोबल कमजोर हो रहा है।”
गांव में शहीद के परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त करने वालों का तांता लगा हुआ है। हर कोई इस दुखद घटना से व्यथित है। मेवात क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई है।
देश ने खोया एक सच्चा सपूत
अग्निवीर समय सिंह ने अपने देश की सेवा करते हुए अपने प्राण न्योछावर कर दिए। कुर्थला गांव का यह वीर सपूत हमेशा अमर रहेगा। ग्रामीणों के शब्दों में —
“शहीद कभी मरते नहीं, वो देश की मिट्टी में बस जाते हैं।”
यह विषय चर्चा में रहा
वही शहीद अग्निवीर समय सिंह की अंतिम यात्रा में नूंह जिले से कोई भी बड़ा अधिकारी नहीं पहुंचा।